भाग 1: दूरियों की चुप्पीदिल्ली, शाम के 6:20।ऑफिस बस से उतरकर माया पैदल अपने घर की ओर चलने लगी। ...
भाग 4: "कहानी जिसमें रूह बसती है" रात ढल चुकी थी, पर हवेली की दीवारों पर वक़्त ठहर गया ...
---(कुछ बातें सिर्फ वक़्त के साथ समझ आती हैं… और कुछ प्यार वक़्त से पढ़े-लिखे होते हैं।)लेक के ब्रिज ...
भाग 2(जहाँ सपने भी सच बन जाते हैं... और चाबी सिर्फ ताला नहीं, रास्ता खोलती है।)उस रात मैं नींद ...
मुझे सब याद है…मैं अपने घर में थी।वही घर... जहाँ की हर दीवार, हर कोना मुझे पहचानता था।वही सोफ़ा, ...