Mystic Quill stories download free PDF

तू ही मेरी आशिकी - 8

by Mystic Quill

अगली सुबह...कमरे की खिड़की से धूप की महीन लकीरें फर्श पर गिर रही थीं।चिड़ियों की आवाजें हल्के से कमरे ...

तेरी मेरी खामोशियां। - 12

by Mystic Quill
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सानिया के जाने के बाद, कमरे में फिर से वही ख़ामोशी लौट आई थी…लेकिन इस बार वो ख़ामोशी डर ...

तू ही मेरी आशिकी - 7

by Mystic Quill
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तीन दिन बाद...मारिया उस दिन छोटे के साथ नानी के कहने पर पास के बाजार गई थी।छोटे को नए ...

तेरी मेरी खामोशियां। - 11

by Mystic Quill
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कमरे में कदम रखते ही एक ठंडी, मद्धम सी महक नायरा की सांसों में उतर गई। सफेद और सुनहरी ...

तू ही मेरी आशिकी - 6

by Mystic Quill
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कुछ दिन बाद…मारिया अब बहुत कम बोलती थी, पर उसकी ख़ामोशियाँ बहुत कुछ कहने लगी थीं।छोटे के साथ खेलते ...

तेरी मेरी खामोशियां। - 10

by Mystic Quill
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हफ़्ते कैसे बीते, उसे खुद नहीं पता चला…हर दिन जैसे एक साए की तरह गुज़रता गया।नायरा खामोश हो गई ...

तू ही मेरी आशिकी - 5

by Mystic Quill
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रात के 3 बजे।क्लब की रौशनी अब बुझ चुकी थी —सिर्फ दीवारों पर फैली हल्की पीली रोशनी अब भी ...

तेरी मेरी खामोशियां। - 9

by Mystic Quill
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कमरे का दरवाज़ा बंद होते ही, निम्मी ने झट से परदे गिराए और अपनी खास वाली चप्पल पहन ली ...

तू ही मेरी आशिकी - 4

by Mystic Quill
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दरगाह से लौटते हुए...मारिया की रूह अब भी उस दरगाह की मिट्टी में अटकी थी। शहर की सड़कों पर ...

तेरी मेरी खामोशियां। - 8

by Mystic Quill
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रात का वक्त था...नायरा घर लौटी तो हर चीज़ पहले जैसी थी—दीवारें, लोग, बातें... मगर उसके अंदर कुछ टूट ...