चारों तरफ़ बर्फ़ से ढकी दुकाने थी...उन दुकानो में एक दुकान किताबों की भी थी... जिसका दरवाज़ा हमेशा खुला ...
दोपहर के २ बज रहे थे...दरवाज़ा खुला...- ओ सिया...तुम अकेले ही आयी हो???वो कॉलेज से घर आयी ही थी ...