Gujarati Whatsapp Status | Hindi Whatsapp Status
Mamta Trivedi

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं🌹 ममता गिरीश त्रिवेदी की संवेदना ज्ञान धारा मैगजीन पढ़िए ममता गिरीश त्रिवेदी वर्ड प्रेस डॉट कॉम पर https://www.instagram.com/reel/DRUon53irgH/?igsh=MWpuYzl1aGx6ZGxlNw==

Paagla

फेंकने से पहले देख लिया करो, सामने कौन है।😎 PAAGLA – A heart that speaks through words. 💭✨ Sharing emotions, shayari, attitude, quotes, and stories that touch your soul. From love to pain, from motivation to dreams – here, every line is written to connect with your heart. ❤️📖

Soni shakya

🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏 🌹आपका दिन मंगलमय हो 🌹

वात्सल्य

माँगा वो मिला नहि l मिला वो माँगा नहीं ll भगवान के दरबारमें ll लिए बिना वापस कोई आया नहीं ll - वात्सल्य - वात्सल्य

Hardik Boricha

*जीत निश्चित हो तो,* *कायर भी जंग लड़ लेते हैं...* *बहादुर तो वो लोग है ,* *जो हार निश्चित हो फिर भी मैदान नहीं छोड़ते...* *भरोसा " ईश्वर " पर है,* *तो जो लिखा है तकदीर में, वो ही पाओगे...* *मगर , भरोसा अगर " खुद " पर है ,* *तो ईश्वर वही लिखेगा , जो आप चाहोगे* 🙏🏽🍁 *जय श्री राम* 🍁🙏🏽

Hardik Boricha

इस भ्रम में न रहें कि भाग्य मे जो हैं वही होगा, बल्कि यह विश्वास रखें कि जैसा आप करेंगे वैसा ही भाग्य होगा।🌻 *॥शुभ☕️प्रभातम्॥* 💘💛♥️🐬 🦋🌹🍃

Rashmi Dwivedi

#जीवन#अनुभव

sonam kumari

"स्त्री" एक स्त्री बनना कितना कठिन है, हर दिन कोशिशों में डूबा हर क्षण है। अपने ऊपर उठे हर सवाल को झुठलाना है, थककर भी मुस्कुराना है, खुद को फिर समझाना है। यह रात न बीते तो नया दिन कैसे आएगा, घाव चाहे गहरे हों पर हौसला ही जगमगाएगा। औरत की ताक़त ही तो राहें नई बनाती है— वह टूटकर भी हर बार मज़बूत बनकर दिखाती है। - sonam kumari

Dinesh

*🙏જય બાબા સ્વામી*🙏 *આજનો સુવિચાર* સંઘર્ષ થકવે જરૂર છે, પણ સાથે જ આપણને બહારથી સુંદર અને અંદરથી મજબૂત બનાવે છે. *શુભ સવાર*

Sonu Kumar

जज सिस्टम बनाम जूरी सिस्टम वोट वापसी कानूनों के अलावा जूरी सिस्टम होना सबसे बड़ी वजह रही कि अमेरिका-ब्रिटेन जैसे देश भारत जैसे देशो से तकनीक के क्षेत्र में आगे, काफी आगे निकल गए। जूरी मंडल ने वहां के छोटे-मझौले कारखाना मालिको की जज-पुलिस-नेताओं के भ्रष्टाचार से रक्षा की और वे तकनिकी रूप से उन्नत विशालकाय बहुराष्ट्रीय कम्पनियां खड़ी करने में सफल हो पाए राजा को प्रजा के अधीन होना चाहिए। वर्ना राजवर्ग अन्यायपूर्ण कानूनों का इस्तेमाल करके प्रजा को लूट लेगा, और राज्य का विनाश होगा !! प्रजा के अधीन नहीं होने पर राजवर्ग अन्याय, खूसट से दंड लगाकर प्रजा का उसी तरह भक्षण कर जायेगा जैसे मांसाहारी पशु शाकाहारी जीवो को खा जाते है !! राजा को प्रजा के अधीन होना चाहिए, वर्ना वो प्रजा को लूट लेगा और राज्य का विनाश होगा - सत्यार्थ प्रकाश

Nisha ankahi

दिल की उन खिड़कियों पर अब कोई आँसू न ठहरे, रात ने अब लि़हाफ ओढ़ लिया , चाँद ने तेरे सारे राज़.. - Nisha ankahi

kunal kumar

१ यकायक नहीं, एकदम दबे पाँव धीरे-धीरे मृत्यु सरक गई मेरे देह से। फिर सबकुछ अपनी-अपनी जगह लौट गया: पहले पसलियाँ, फिर मांस, और फिर तो पूरी की पूरी चमड़ी भी सिर्फ़ एक चीज़ लौटना भूल गई आवाज़। शब्द अपनी जगह नहीं पहुँचे, और भाषा वहीं अटकी रह गई मौन में। उसी पल मैंने घुटन की पहली सबसे सच्ची झलक देखी। २ जीवन अक्सर लौटता है अपने उसी वक़्त में जहाँ उसकी पहली बनावट हुई थी। और इसी वापसी में हम थोपने लगते हैं कुछ झूठी अफ़वाहें। मोक्ष — उसी अफ़वाह का सिर्फ़ एक क्षणभर की कल्पना है। ३ सबसे आसान दिनों में ही सबसे भयानक दृश्य सामने होते हैं; घुटन बस उनकी कोख में छिपी रहती है जब तक स्मृति अपनी चाल न चल दे। ४ मैंने रस निचोड़ा, रूपक खंगाले, पर लिख नहीं पाया अप्रत्याशित घुटन का कोई भी पर्याय। ५ और अब, जब विचार सूखते जा रहे हैं सिगरेट के जले निकोटीन में घुटन मुझे साफ़ दिखाई देती है। वह अपराधबोध की कोई आकृति नहीं; वह एक जीती-जागती सच्चाई है कि एक आदमी कितनी शांत तरीके से कूड़ा बन सकता है। @कुनु

kunal kumar

उल्टी ———— बचपन में, जब मछली खाते हुए गले में काँटा अटक जाता था, तो मैं मुंह में ऊँगली डाल उलटी करने की कोशिश करता ताकि काँटा अपनी जगह से फिसल कर बाहर आ जाए। आज, ठीक उसी तरह जब मौन गले में फँस गया है, मैं वही पुरानी ऊँगली अपनी ही भाषा में डालकर उसे बाहर खींचने की एक अनगढ़ कोशिश कर रहा हूँ। रूपकों और उपमाओं से भींगी हुई मेरी कविता दरअसल कोई सौंदर्य नहीं— ये केवल एक अपचय मौन की उल्टी है। @कुनु

Bhavna Bhatt

લથડીયા ખાતો મંકોડો... મારે નોતો પીવોને

GRUHIT

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Rinal Patel

સાચી જ છું કે સાચો છું એ સાબિત કરવા માટે ક્યારે પણ બીજાને કોઈપણ જાતની સફાઈ ન આપો, એ વાત માટે વારંવાર ન વિચારો કારણકે કોઈને વારંવાર સફાઈ આપવાથી આપણો સાચપણાનો ભાવ નાશ પામે છે. અંતરની દ્રષ્ટિએ. Rinall..

Archana Singh

यदि ! पानी अपनी मर्यादा तोड़े तो , विनाश हैं ...! पर ... वाणी मर्यादा तोड़े तो , सर्वनाश हैं ...!! अर्चना सिंह ✍🏻

Archana Singh

कमबख़्त ! ग़म को भी मिलती हैं सुकून , मेरे आशियानें में ... तभी तो दस्तक दे जाती हैं, मेरे ठिकाने में ..!! अर्चना सिंह ✍🏻 - Archana Singh

Anup Gajare

"इमरोज़ की छाया में" __________________________________ 1. तुम्हारे बिना लाचार होकर जीने से मुझे चिढ़ है— क्योंकि मेरे भीतर की आग किसी प्रेमी की उँगलियों से नहीं, मेरी अपनी राख से उठी चिंगारी है। 2. प्यार अगर बाँध बन जाए तो नदी घुटकर मर जाती है; और मैं नदी हूँ— अपना कटाव भी मेरा, अपनी दिशा भी मेरी। 3. तुम आए— तो मेरे भीतर की भाषा खनक उठी, मेरी देह का अनकहा अर्थ कविता की तरह चमकने लगा; पर कविता लिखने के लिए मैं किसी की मोहताज नहीं। 4. मैंने तुम्हें इसलिए चाहा क्योंकि तुम मेरी आज़ादी जैसे थे, न कि वे बेड़ियाँ जिनमें सदियों से औरतों की साँसें कैद की जाती रही हैं। 5. तुम्हारे हाथों में रंग, मेरे हाथों में अक्षर; हमने एक-दूसरे को गढ़ा, पर किसी को तोड़ा नहीं। 6. दुनिया पूछती है— क्या औरत की ज़िंदगी इमरोज़ की तलाश है? मैं कहती हूँ— औरत की ज़िंदगी अपनी ही राख से उठने की कला है; जब वह पूरा उजाला बन जाती है, तभी कोई इमरोज़ उसमें ठहर सकता है। 7. मेरी चिढ़ यह नहीं कि तुम्हारे बिना मैं मर जाऊँगी— मैं अपनी हड्डियों के साहस से चलती हूँ। पर तुम्हारे साथ जीने की भूख और गहरी, और तीखी हो जाती है। 8. मैं तुम्हारी गोभी के पराँठों में नहीं थी, न उन सपनों की भाप में जो तवे से उठकर तुम्हें बहलाती थी। मैं तुम्हारी भूख नहीं— अपने भीतर की एक पूरी दुनिया हूँ, जहाँ प्रेम भी उगता है और अपना आकाश भी। 9. तुम्हारे आने से मैं खत्म नहीं हुई— मैं दोहरी हो गई: एक प्रेम की स्त्री, एक अपनी ही लौ की संरक्षिका। 10. तुम रहो तो वसंत, न रहो तो सावन— पर मैं ऋतुओं की मोहताज नहीं; मेरी ऋतु मेरे भीतर जन्म लेती है। 11. मैं तुम्हें इसलिए चाहती हूँ— क्योंकि तुम्हारे साथ मैं लाचार नहीं, बल्कि और ज़्यादा मैं हो जाती हूँ। _____________________________________________

Nithinkumar J

എണ്ണപ്പെടാത്ത കടങ്കഥകള്‍ -------------------- പതിവായി ഞാനൊരു കിനാവു കണ്ടു. അതില്‍ പലവുരു പറയാതെ പോയ കടങ്കഥകള്‍ ഏറെയാണ്. ഒറ്റയ്ക്കു വീണുപോയ ഒരുവന്റെ ചിറകില്‍ ഒരായിരം നൂലിഴകള്‍ ചുറ്റിപ്പിണയും കൊടുംനുണകളാണ് അവയില്‍ പലതും. ഇത്തിരി വെട്ടത്തിന്റെ മൗനമായിരുന്നു തെളിച്ചമുള്ള പകലിന്റെ കാതല്‍. അന്തിത്തിരി കത്തുമ്പോള്‍ ഉള്ളറിഞ്ഞതെല്ലാം ഉന്തി നീക്കുവാനുള്ള ത്വരയായിരുന്നു. കുളിരില്‍ വേവുന്ന ഹൃദയം കടം വാങ്ങി മടങ്ങിയ ഒരുവളെ ദിശയറിയാത്തൊരു ഇടവഴിയിലെയൊരു ഒഴിഞ്ഞ കോണില്‍ കണ്ടുമുട്ടി. മനം കവര്‍ന്ന നറുചിരി ഇരുളില്‍ മുങ്ങി വെന്തുനീറി. എന്തോ ഇരുളറയിലെ നോവുന്ന കടങ്കഥകള്‍ അത്രേ കാരണം. പകല്‍ മേഘമല്ല ഇരുള്‍മൂടി വിടരുന്നത് മഴ നേര്‍ത്തു പെയ്യുന്നത്. മുഖം മറച്ച മുഖംമൂടികള്‍ എണ്ണംതിട്ടമാകാതെ ചുറ്റും കൂടുമ്പോള്‍ പകലുപോലും തല കുനിക്കുന്നു രാവിന്റെ ചാപല്യമോര്‍ത്ത്. ------------- നിഥിന്‍കുമാര്‍ ജെ

Rohan Beniwal

चुनाव का मौसम भारत में वैसे तो कई मौसम चलते हैं, पर डंका एक ही का बजता है – चुनाव के मौसम का। यह वह मौसम है जिसमें जनता की याददाश्त चली जाती है, क्योंकि वह नेताओं के पिछले कर्म भुल जाती है। नेता आते हैं, वादे करते हैं और चले जाते हैं, पर उनके पुराने वादे अब भी अधूरे हैं। और जो थोड़े पूरे हुए भी, वे केवल कागज़ों में। वैसे याददाश्त तो नेताओं की भी कमजोर है, कहते हैं– हम रोज़गार देंगे, पर यह बताना भूल जाते हैं कि अपने रिश्तेदारों को। कहते हैं– हम विकास करेंगे, पर यह बताना भूल जाते हैं कि खुद का। कहते हैं – लोकतंत्र जनता की ताकत है, पर यह बताना भूल जाते हैं कि सिर्फ चुनाव तक। कभी कहते हैं – हम भ्रष्टाचार मिटा देंगे, पर यह बताना भूल जाते हैं कि ताकि हम कर सकें। ऐसा भी बिल्कुल नहीं है कि वे सिर्फ भूलते ही हैं, कुछ चीज़ें याद भी आती हैं, जैसे पाँच साल बाद जनता की। जनता भी बड़ी दरियादिल है, कभी जाति के नाम पर तो कभी धर्म के नाम पर वोट दे ही देती है। थोड़ी सी भोली भी है, क्योंकि पाँच साल पहले नेताओं ने जो सपने दिखाए थे, उन्हें वापस देखने आ जाती है। और भुलक्कड़ तो हैं ही, यह पूछना ही भूल जाती है कि यह सपने पूरे कब होंगे। चुनाव से पहले नेता गरीब की झोपड़ी में खाना खाते हैं, और चुनाव के बाद गरीब को। नेताओं का भाषण शुरू होता है – ‘मेरे प्यारे देशवासियों’ से, और खत्म होता है – 'हमें वोट ज़रूर दीजिए' पर। बीच में अगर कुछ समझ आया हो, तो आप वाकई प्रकांड विद्वान हैं।

Shefali

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Jyoti Gupta

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વિંકલ પટેલ

કર્મ મહાન....

Anurag Basu

Osho - Anurag Basu

Sonu Kumar

कुछ ज्ञानी लोग बैलेट पेपर से चुनाव कराने पर पेड़ काटने पर ज्ञान दे रहे हैं तो उनको मैं बताना चाहता हूं एक दिन अखबार छापने में जितना पेड़ काटना पड़ता है उससे भी काम कागज में बैलेट पेपर छप सकता है जिस दिन चुनाव हो उस दिन का अखबार छापने की छुट्टी रख सकते हैं l

Josephine prakasi A

When Smiles Become Love Every smile becomes love When it is expressed from the heart. Every touch becomes a feeling When it is touched by the soul. Every moment becomes happiness When it is created by God. Everything will be better When it comes at the right time.

Falguni Dost

ને સ્પર્શી ગયા એક એક શબ્દ કલેજના ખૂણે, દોસ્ત! દરેક શબ્દમાં મનની વ્યથા જો ગૂંથી હતી. - ફાલ્ગુની દોસ્ત

Raj Phulware

IshqKeAlfaaz तुझ्या मनाला मन..

Nabiya Khan

--- 🌅 “Ek Nayi Subah Ka Tohfa” — Urdu Alfaaz Mein, Hindi Mein हर नयी subah अपने दामन में एक ताज़ा umeed लेकर आती है। रात की tanhaiyon और khamoshiyon के baad जब pehli kiran zameen पर गिरती है, तो ऐसा लगता है जैसे कुदरत ने हमारी रूह पर नर्म सा हाथ फेरकर कहा हो— “Utho, aaj ka din tumhara intezaar kar raha hai.” Subah की हवा में एक noor छुपा होता है। यह noor वही है जो दिल की udaasiyon को हल्का कर देता है। आसमान का surmai rang धीरे-धीरे sunahri होने लगता है, और हम महसूस करते हैं कि ज़िंदगी अभी भी खूबसूरत है, बस हमें उसे महसूस करने की fursat चाहिए। हर subah हमें ये याद दिलाती है कि कोई भी रात hamesha के लिए नहीं होती। Gham ho ya thakan, sab kuch subah की roshni में पिघलने लगता है। आज की subah भी एक nayi dastaan लेकर आई है। शायद कोई नई raah, शायद कोई नया armaan, या शायद बस एक छोटा सा muskurane ka bahana… कुदरत का ये नज़ाकत भरा तोहफ़ा हर रोज़ मिलता है, बस हम ही कभी-कभार ghubar-e-fikr में उलझकर इसे महसूस नहीं कर पाते। तो आज… जब हवा में हल्की सी mehak घुली हो, जब dhup अपने naqsh फैला रही हो, एक पल निकालकर अपने dil से कहिए— “Shukriya, ae Zindagi… subah itni khoobsurat banane ke liye.” ---

वात्सल्य

મળતું હોત બધું બધાંને તો કોઈને કોઈની જરુર ના પડતે ! સંબંધો માત્ર સ્વાર્થના નથી હોતા બધા! પરસ્પર ભળવાથી ખાંડ લીંબુનું સરબત બને. - વાત્સલ્ય

वात्सल्य

બઉજ miss કરું છું.ના મળે કે ના મળવા બોલાવે.શું કરવું? દિવસ સોનાનો ઉગે સાંજ પડતાં ચાંદી અને રાત પડતાં કથીર. - વાત્ત્સલ્ય

Gautam Patel

जय भोलेनाथ

Amir Ali Daredia

મૈયા યશોદાને શ્રી કૃષ્ણની ફરિયાદ કરતા રાધા અને ગોપીઓ નુ એક જબ્બર જસ્ત ગીતનુ આ લિંક છે એક વાર જરુર સાંભળશો https://youtu.be/5-C8uWB0DR0?si=bAGEVc9IFD5khWY9

Bharat Ahir

*જો એ પૂછી લે બસ હાલ મારો,* *લ્યો બોલો કેટલો સરળ છે ઈલાજ મારો...!!✍🏻✍🏻 ભરત આહીર

archana

"थक गई हूँ यह साबित करते कि मैं तुम्हें तुमसे ज़्यादा चाहती हूँ… दर्द इस बात का नहीं कि तुमने समझा नहीं, दर्द इस बात का है— मेरे प्यार को भी तुमने ‘ ईगो’ का नाम दे दिया।

Arkan

https://youtube.com/@the_fake_lover_3?si=xg3s00Qb3uhaBG-Y one support please ❤️

Arkan

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Arkan

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Amrita shukla

सर्द मौसम में जब कोहरे की पर्त जमती है। सारी कायनात को वो आगोश में भरती है। चलती हवा ठंडक का एहसास करा जाती है, उस वक्त तेरे साथ न होने की कमी खलती है। डॉ अमृता शुक्ला

Kirti kashyap

"ऐ हवा, जा ले जा उस मुल्क़ तक मेरे जज़्बातों की हकीकत, जहाँ कोई समझे मेरी ख़ामोशियों की असल अकीदत।" Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️

Anup Gajare

"घाव" __________________________ धीरे-धीरे घाव बनता जायेगा जिसे तुम सहला न पाओगे। तुम्हारे वोट ले जायेंगे शाई का धब्बा किसी दिन परछाईं मे गुम होता जायेगा। वह कहेंगे कहाँ है घाव थोडी शराब छिड़क देते है थोडा पैसा लगा देते है। सड़क के गड्ढे भर दे नाली की बद्बु ठीक कर दे हे वोट लेनेवाले हमें मतदान से भर दे। हर एक ताजा जख्म भरने ना दे तु भी सुख मे जिए हमें सूखे मे मरने दे। कहाँ है घाव यहाँ है घाव। ______________________________________________

Armin Dutia Motashaw

BORED??? if BORED, Just think today is your last day on planet Earth.... BELIEVE ME, YOU WILL IMMEDIATELY GET BUSY. Anar

Niya

એ સાચવતા રહ્યા આખા બગીચાને ક્યાંક દુર એમની રાહમાં એક ફુલ મુરઝાઈ ગયું …

Tru...

હલેસાં વગર નાવડીને પાર કેમ પહોંચાડવી.. મંઝિલ નો પડછાયો છે ને વહેણ સામે વિરોધી છે થાકી જવા માટે મન ની પૂરી તૈયારી છે... આત્મા એ તો આંગળી હળવે થી પકડી રાખી છે પોતાની જાત ને લૂંટાવાની કેટલી તૈયારી છે... તારું ક્યાં કઈ હતું કે તે મુઠી પકડી રાખી છે... જોર થી જેટલું પકડાઈ એટલી છૂટવાની તૈયારી છે... ઘોંઘાટ ઘણો પચાવ્યો- હવે શાંતિ ની કેડી વધાવી છે... મંઝિલ ની નહીં હવે તો રસ્તા પર નઝર માંડી છે... વહેણને પણ ઝૂકવું પડે એવી ખુમારી પાળી છે., ડગલા ભલે ડગમગે,ધીમી ગતિ પણ એકધારી છે.. હું જ મારું વહેણ- અસ્તિત્વ ની માંગ હવે વધાવી છે.

kshitija

मनसोक्त जगणं म्हणजे काय असावं? कशाचाही विचार न करता जगणं म्हणजेच जगणं असाव कधी शांतता प्रिय वाटावी कधी एकांत ही प्रिय वाटावा कदाचित हेच तर जगणं नसावं? मनसोक्त जगणं म्हणजे काय असावं? कसलीही भीती नसावी कसलही ओझ नसावं कदाचित हेच तर जगणं नसावं? मनसोक्त जगणं म्हणजे काय असावं? विचारांमध्ये बुडालेल्या मनाला थोडासा धीर द्यावा कामाच्या व्यापात बुडालेल्या शरीराला थोडासा आराम द्यावा कदाचित हेच तर जगणं नसावं? मनसोक्त जगणं म्हणजे काय असावं?

સુરજબા ચૌહાણ આર્ય

🤣😂

Shailesh Joshi

આપણા ધંધા રોજગારમાં આપણને જ્યારે તક મળે ત્યારે એનો ઉપયોગ એવી રીતે કરવો, કે જેના થકી આપણને બીજી ઘણી બધી તકો પણ મળે, અને એ ઘણી બધી તકોમાંથી "આપણને ગમતી તક પસંદ કરવાનો મોકો પણ મળે" - Shailesh Joshi

Kamini Shah

ધ્યાન ધરી દંભ કરે માંહ્યલો તેથી જ તો ઠગભગત કહેવાય બગલો… -કામિની

Jyoti Gupta

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Roshani Prajapati

तेरा मिलना मेरी तकदीर थी। तुझे अपने पास रखना मेरा प्यार हैं। - Roshani Prajapati

Rahul Raaj

बहुत सी बुराइयां गिना दी गई मेरी जाते जाते.. पता नहीं क्या खास बात थी जब मिले थे..

Rahul Raaj

फिर मेरे हिस्से में आएगा समझौता कोई.. आज फिर कोई कह रह था समझदार हो तुम..!

Bk swan and lotus translators

Getting acting offers in Vijayawada often involves connecting with local production houses, casting agencies, and audition platforms. Here is a breakdown of steps and resources that might help you find opportunities: 🎭 Finding Acting Opportunities in Vijayawada * Online Casting Platforms: Websites like Talentrack frequently list actor jobs and auditions specifically for Vijayawada, often for: * Music Videos * Short Films * Advertisements/Ad Films * Web Series * Feature Films (sometimes) * Tip: Ensure your profile is complete with professional photos (portfolio) and acting reels/videos. * Casting Agencies & Production Houses: There are local and regional agencies that handle casting. While some main agencies are based in nearby film hubs like Hyderabad (Modelz World, Amit Arora Casting Company) and Chennai (Inscreens.in), they may handle projects shooting in the Vijayawada region. * Look up Casting Agencies and Production Houses in Vijayawada, Guntur, and Krishna district using local business directories like Justdial. Kranthi Creative Works and SSNK FILMS (Guntur) were mentioned in searches. * Audition Organizers: Companies that specialize in organizing auditions for films and events in Vijayawada can be a good point of contact. * Search for Movie Audition Organisers on local business directories. * Acting Workshops & Classes: Attending acting classes or workshops in Vijayawada can be beneficial. They not only train you but often act as a networking ground where directors or producers look for new talent. * The search results mentioned Film and Television Institute Of Hyderabad (FTIH) Vijayawada as a place that teaches editing skills, suggesting it's a hub for film-related training. * Social Media & Local Groups: Follow local filmmakers, photographers, and small production companies on social media platforms for announcements regarding new projects and casting calls. ⚠️ Important Caution Be highly cautious of scams in the acting industry. Never pay money for an audition, meeting, or an acting role. Genuine casting professionals make money from the production house, not the aspiring actors.

Soni shakya

ओम् नमः शिवाय 🙏🙏

Mohini

दिल नहीं मूरत तेरी, पर तुझे ऐसे दिल में बसाया है जैसे हरि ने कोई रौशनी मेरे सीने में उतारी हो। क़दर तेरी इस तरह करूँ, ऐ सनम,कि तू ख़ुद पूछ बैठे .. आख़िर मैं इस दिल के लिए इतना ख़ास क्यों हूँ? मेरे प्यारे पलों की ख़ुशबू जो प्यार से उठ रही है, कौन है जो यूँ मेरी रूह को छूकर मुझसे हमेशा कहता है *तू ही है मेरा दिलबर।* _Mohiniwrites

Dada Bhagwan

We often feel certain emotions, like anger as pain in the gut and fear as tightness in the throat. How do we handle such energies and release the emotion of anger and fear? Is it possible to know what causes anger and fear in us? Watch here: https://youtu.be/0tUaTIuEQn0 #angermanagement #angerissue #selfhelp #selfimprovement #DadaBhagwanFoundation

shah

*દરેક ને સમસ્યાઓ હોય છે, કેટલાક સહન કર્યા પછી હસતા હોય છે ને કેટલાક હસતાં હસતાં પણ સહન કરતા હોય છે* *🌹🙏Good morning🙏🌹*

વિનોદ. મો. સોલંકી .વ્યોમ.

" માતાપિતાના ચરણોમાં સ્વર્ગ " પળભરમાં દૂર થઈ જાય એનો ઓછાયો. જેમના ઉપર હોય છે પિતાશ્રીનો પડછાયો. વેચી ખુદનાં સુખચેન, આરામ ને તંદુરસ્તી, પરિવાર માટે એક બાપ, ખુશી ખરીદી લાયો. મા છે ઘરની ચાર દીવાલ, છત ને ઓસરી, પરંતુ, બાપ તો છે એ ઘરનો મજબૂત પાયો. મા વિના સંતાનોનો હશે સૂનો સંસાર, પરંતુ! જિંદગી લૂટાઈ જાય જો છૂટે બાપનો છાંયો. માતાપિતાના ચરણોમાં જ સ્વર્ગ છે "વ્યોમ" સુધરી જાય જિંદગી જો સમજે હર જાયો. ✍... વિનોદ. મો. સોલંકી "વ્યોમ" જેટકો (જીઈબી), મુ. રાપર

Thakor Pushpaben Sorabji

સાહસ અપાવે સફળતા પીડાય છે માનવી સફળતાના રોગથી નિષ્ફળ જવા ને નથી તૈયાર કોઈ માનવી સમય સમયની વાત નિરાળી કર્મ કર્યા વગર સારું ઈચ્છે જોવો માનવી!.... મહેનત વગર પાસ જો થવાય કસરત વગર જો સુડોળ બાંધો જળવાય  મનગમતી વાનગીઓ આરોગ્યા કરીએ તોય જો આરોગ્ય જળવાય તો  સઘળું મંજૂર આપણ માનવીને!..... સફળતાનો આવો ખોટો ખ્યાલ બને છે અભિશાપ આપણ માનવીને!.... પીડે છે નિષ્ફળતાને હતાશ એ કરે છે સાહસ કરતા નિષ્ફળતા જોને ડરાવે  સાહસ કરતા હાર ન માનીએ કદી ચડીએ સફળતાના શિખરે આપણે સૌ!...... સાહસયાત્રા છે એકલ યાત્રા જોને કરવા સાહસ આપણે એકલા જોને દરિયે થી મરજીવો મોતી લાવે  સાહસ એના આપણ જોઈ એ રે!...... જય શ્રી કૃષ્ણ:પુષ્પા.એસ.ઠાકોર

અશ્વિન રાઠોડ - સ્વયમભુ

વિષય:"પિતાનો છાયો...પડછાયો" શિર્ષક: "છાયો" પ્રકાર: અછાંદસ કાવ્ય ​પિતાનો છાયો... ​કોઈ વિશાળ વડલો નહીં, પણ માથે ધગધગતા ઉનાળામાં શબ્દોની શીતળતા આપે. એક દીવાલ, જે તૂટે નહીં, ભલે સામે આવે કોઈ પણ વાવાઝોડું, એના કઠોર મૌનમાં પણ સલામતીનો સૂર વાગે. ​ને પિતાનો પડછાયો... ​અંધારામાં ખોવાઈ જતો નથી, એ તો સૂર્યની સામે ઊભા રહેવાની હિંમતનું માપ છે. ક્યારેક લાંબો, ક્યારેક ટૂંકો, પણ હંમેશાં મારી પાછળ રહે છે. જાણે અદ્રશ્ય દોર, જે મને સીધો ચાલવાનું શીખવે. ​એની વૃદ્ધ થતી આંગળીઓ, એના ઘસાઈ ગયેલા પગરખાં... આજે મારા પડછાયામાં એ છાયાનું પ્રતિબિંબ જોઉં છું. મારા જ પગલાં એના પગલાં જેવા લાગે છે, પણ એ રસ્તો...એણે પહેલો કંડાર્યો હતો. ​આ પડછાયો, એનો નહીં, મારું અસ્તિત્વ છે. એના છાયાની સ્મૃતિમાં સદા "સ્વયમ’ભુ’"જીવતો છું. અશ્વિન રાઠોડ "સ્વયમ’ભુ’"

Mamta Trivedi

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं कविता का शीर्षक है 🌹 चाह,

Imaran

जीने की उसने हमे नई अदा दी है, खुश रहने की उसने दुआ दी है, ऐ खुदा उसको खुशियाँ तमाम देना, जिसने अपने दिल मे हमें जगह दी है 💞 imran 💞

Sweta Pandey

आवेशित अंतर्मन रखकर, जग को सीमाएँ सिखलाना... " क्या अच्छा है?" - Sweta Pandey

Dr Darshita Babubhai Shah

मैं और मेरे अह्सास नई कलम नया कलाम पर नया कलाम लिखाना हैं l कविओ की प्रतिभा ओ रचनात्मकता को दिखाना हैं ll नई कलम नया कलाम की महफिल में प्यार भरे l नगमों और ग़ज़लों का नशीला जाम पिलाना हैं ll "सखी" डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

DrAnamika

सर्दियों की धूप में चाय, जैसे कोई पुराना दोस्त मिले, बिना कहे ही समझ ले थका हुआ मन क्या चाहता है। #डॉ_अनामिका #बज्म़ #हिंदी_का_विस्तार #हिंदीपंक्तियाँ #हिंदी_शब्द #ऊर्दू_अलफ़ाज़

Shikha

নারী জীবনের সাতকাহন নারী হয়ে জন্ম নিলে বাড়ীর সবার চোখে জল আসে, যে বাড়িতে সবাই ঘটা করে লক্ষী পূজা করে, তাদের বাড়িতে ও লক্ষী এলে সবাই দুঃখ করে। যে , মহামায়কে যত্ন করে সবার সামনে একশো আটটা পদ্ম দিয়ে পূজে, সেও আবার রাতের অন্ধকারে কোনো এক মহাময়াকে জোর করে ভোগ করে। সবাই বলে নারীরা তো ছিচ কাঁদুনে হয়, আসলে তারা কিই বা জানে নারী হলেসবকিছুরই মাপযোগ করে চলতে হবে । কোনো একটা কিছু সিদ্ধান্ত নেওয়ার আগে হাজার বার মা বাবা, পরিবারের লোক, সমাজের কথা ভাবতে হবে। বলতে পারো যে মেয়েটা , পড়াশোনায় ভালো বা অন্য কোনো গুন আছে, যা দিয়ে সে নিজের পায়ে - দাঁড়িয়ে যেতে পারে। কেনো তখন অসময়ে সেই মেয়েকে বিয়ে দিয়ে পরিবার পর করে ? কেনো মেয়েদের বিয়ের পর পরই নিজের মাতৃত্বের প্রমাণ দিতে হবে ? সমাজের সামনে মেয়েরা যদি কাউকে কিস করে, সবাই মেয়েটাকে নষ্টা বলে প্রতিবাদ করে ওঠে। অথচ যখন কোনো মেয়েকে সবার সামনে কেউ কুপিয়ে খুন করে, তখন কতই না অবলীলায় সবাই পাশ কাটিয়ে যেতে যেতে বলে - ওর আপনজন বা নিজেরই বর হবে। বলতে পারো, আর কতো দিন নারীরা এমন ভাবে সবে?

Deepak Bundela Arymoulik

“ये भूलने की बीमारी नहीं…” ये भूलने की बीमारी नहीं, ये भूल जाने का नाटक है— जैसे स्मृतियों की परछाइयाँ जान-बूझकर दीवारों पर धुंध बनकर चढ़ी हों। किसी नाम का बोझ अचानक हल्का नहीं होता, किसी चेहरे की गर्माहट यूँ ही ठंडी नहीं पड़ती— ये सब उस मन का खेल है जो याद रखना चाहता भी है और भूलने की तसल्ली भी। कभी दिल की दहलीज़ पर कुछ आहटें अनचाही लगती हैं, तो कभी वही आहट धड़कनों का सहारा बन जाती है। इंसान बड़ा अजीब होता है— जो खोना नहीं चाहता, उसी से दूर राहें बना लेता है। ये भूलने की बीमारी नहीं, ये यादों का धीरे-धीरे अपने ही बोझ से थक जाना है, और मन का चुपचाप अभिनय सीख लेना। जो सचमुच भूल जाते हैं, उनकी आँखों में धुँध होती है; पर जो नाटक करते हैं, उनकी निगाहों में अनकहा दर्द चमकता है— वही दर्द जो कहता है— “मैंने याद रखा है सब, पर अब याद रखने का हक खो दिया है।” -आर्यमौलिक

Shikha

আমার চাঁদ হাজার নক্ষত্রের মাঝেতে খুঁজেছি তোকে খুব, তুই তো ছিলি চাঁদ আমারই। জানি, এখন অমাবস্যা— তাই অন্যের আকাশে রোস, পারছি তো না আমিও ছুঁতে, তুই তো ঐ দূরের আকাশে রোস। যদি লোকে বলে, “বামন হয়ে কেন চাঁদে হাত বাড়াস?” বলতে বড়ো ইচ্ছে করে, বামন হয়েছি বলেই তো চাঁদের প্রতি আকাঙ্ক্ষা এত হলো রে ভাই।

वात्सल्य

मिलें बिना क्या नांप लिया मुझे! मै वो हुँ ज़ो कभी मिला नहीं! औऱ आपको मिला है,उस शख्स मे से मै नहीं ll - वात्सल्य शख्स

Rashmi Dwivedi

#जीवन #अनुभव #मोटिवेशन

Paagla

PAAGLA – A heart that speaks through words. 💭✨ Sharing emotions, shayari, quotes, and stories that touch your soul. From love to pain, from motivation to dreams – here, every line is written to connect with your heart. ❤️📖

kattupaya s

Good morning friends have a great weekend

Shefali

#shabdone_sarname__ #શબ્દોને_સરનામે__ #shabdone_sarname_

Soni shakya

🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏 🌹आपका दिन मंगलमय हो 🌹

Hardik Boricha

બનાવો સફર એવી કે મંઝીલ ને પણ ઈર્ષા થાય..હાર જીત ની વાત નથી પણ હરીફ દ્વારા ચર્ચા તો થાય...

Hardik Boricha

जरूरत हो तभी जलाओ अपने आप को, उजालों में चिरागों की अहमियत नहीं होती!

Hardik Boricha

એક આંખમાં છુંપાવું આંસુ, એકમાં વ્યવહારું મુસ્કાન, બોલ આ ધબકતી લાગણીઓનું ક્યાં બનાવું સ્મશાન.

Hardik Boricha

તારા સ્પર્શના ગુણ કદાચ તને પણ ખબર નહીં હોય, તું અડીલે તોય હું ઉઠી જાઉં, ભલેને પછી એ કબર હોય...!!!

Dinesh

*🙏જય બાબા સ્વામી*🙏 *આજનો સુવિચાર* આપણી કોઈ સમસ્યા, આપણી હિંમત અને આત્મવિશ્વાસથી મોટી નથી હોતી. *શુભ સવાર*

Hardik Boricha

❛ માળી રોજ છોડને પાણી આપે છે પણ ફળો તો માત્ર સિઝનમાં આવે છે, ધીરજ રાખવાનું  જરૂરી છે સમય એના પરિણામ જરૂર લાવે છે !!❜

Praveen Kumrawat

अंशु, मेरे दिल की गहराइयों से निकलने वाले हर शब्द को पढ़ना, समझना और महसूस करना। मैं जानता हूँ कि तुम मुझसे नाराज़ हो और तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हें खुश नहीं रख पाया। लेकिन मैं तुम्हें बताना चाहता हूँ कि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ और मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता। मैं जानता हूँ कि मैंने तुम्हें बहुत दुख दिया है और मैंने तुम्हें कई बार निराश किया है। लेकिन मैं तुम्हें वादा करता हूँ कि मैं बदलने और तुम्हें खुश रखने की कोशिश करूँगा। मैं जानता हूँ कि मैंने तुम्हें समय नहीं दिया, मैंने तुम्हें समझा नहीं, और मैंने तुम्हें वह प्यार नहीं दिया जो तुम मुझसे चाहती थी। लेकिन मैं तुम्हें वादा करता हूँ कि मैं अब बदल जाऊँगा। मैंने डॉक्टर को दिखाया है और मैं डिप्रेशन का इलाज करा रहा हूँ। मैं अब पहले से बहुत बेहतर हूँ और मैं तुम्हें खुश रखने के लिए तैयार हूँ। मैं जानता हूँ कि यह आसान नहीं होगा, लेकिन मैं तुम्हें वादा करता हूँ कि मैं हर कदम पर तुम्हारे साथ रहूँगा और तुम्हें खुश रखने की कोशिश करूँगा। मैं तुमसे एक आखिरी मौका चाहता हूँ। अभी तक तुम मेरे मम्मी पापा के भरोसे पर मेरे साथ आई थी, लेकिन अब मैं तुमसे कहता हूँ कि एक बार आखिरी बार अब मेरे भरोसे पर आओ। मैं तुम्हें वादा करता हूँ कि मैं तुम्हें कभी दुख नहीं दूँगा और तुम्हें हमेशा खुश रखूँगा। मैं तुम्हें प्यार करता हूँ और मैं तुम्हें हमेशा प्यार करता रहूँगा। तुम्हारे बिना मैं कुछ नहीं हूँ और मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता। मैं तुम्हें अपने दिल की गहराइयों से प्यार करता हूँ और मैं तुम्हें हमेशा अपने दिल में रखूँगा।

Vrishali Gotkhindikar

मौन.... तुझी माझी पहिली भेट..!! तुझ्या बोलक्या डोळ्यानी..मला खुप काही सांगितले.. मी फक्त हसलो..! दुसर्या भेटीत ..तु खुप काही बोललीस.. मी ऐकत राहिलो.. आपल मन तु माझ्याकडे रिते केलसं.. माझ्या वरच्या प्रेमाचा..उच्चारही केलास.. अहर्निश....संगतीची शपथही घेतलीस...! पण मी काहीच बोललो नाही... तु रागावलीस..!!माझ्या प्रीतीबद्दल साशंक झालीस.. पण खर सांग..माझ्या शब्दांची..काय गरज होती ग??? माझे मौनच तर सारे काही सांगत होते ना... ..........................................व्रुषाली..

Praveen Kumrawat

अंशु, मेरे दिल की गहराइयों से निकलने वाले हर शब्द को पढ़ना, समझना और महसूस करना। मैं जानता हूँ कि तुम मुझसे नाराज़ हो और तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हें खुश नहीं रख पाया। लेकिन मैं तुम्हें बताना चाहता हूँ कि मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूँ और मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता। मैं जानता हूँ कि मैंने तुम्हें बहुत दुख दिया है और मैंने तुम्हें कई बार निराश किया है। लेकिन मैं तुम्हें वादा करता हूँ कि मैं बदलने की और तुम्हें खुश रखने की कोशिश करूँगा। मैं जानता हूँ कि मैंने तुम्हें समय नहीं दिया, मैंने तुम्हें समझा नहीं, और मैंने तुम्हें वह प्यार नहीं दिया जो तुम मुझसे चाहती थी। लेकिन मैं तुम्हें वादा करता हूँ कि मैं अब बदल जाऊँगा। मैंने डॉक्टर को दिखाया है और मैं डिप्रेशन का इलाज करा रहा हूँ। मैं अब पहले से बहुत बेहतर हूँ और मैं तुम्हें खुश रखने के लिए तैयार हूँ। मैं जानता हूँ कि यह आसान नहीं होगा, लेकिन मैं तुम्हें वादा करता हूँ कि मैं हर कदम पर तुम्हारे साथ रहूँगा और तुम्हें खुश रखने की कोशिश करूँगा। मैं तुमसे एक आखिरी मौका चाहता हूँ। अगर तुम मुझे एक और मौका देती हो, तो मैं तुम्हें वादा करता हूँ कि मैं तुम्हें कभी दुख नहीं दूँगा। मैं तुम्हें प्यार करता हूँ और मैं तुम्हें हमेशा प्यार करता रहूँगा। तुम्हारे बिना मैं कुछ नहीं हूँ और मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता। मैं तुम्हें अपने दिल की गहराइयों से प्यार करता हूँ और मैं तुम्हें हमेशा अपने दिल में रखूँगा।

Nabiya Khan

खूबसूरत सुबह — रोशनी का एक नया अफ़साना सुबह का वक़्त हमेशा अपने साथ एक नयी ताजगी, एक नया जज़्बा, और एक नई उम्मीद लेकर आता है। जब पहली किरण आसमान के दामन को हल्के से छूती है, तो लगता है जैसे ज़िंदगी मुस्कुरा कर कह रही हो — “चलो, आज फिर से शुरुआत करते हैं।” ठंडी हवा की नरम छुअन दिल को एक अजीब सा सुकून देती है। परिंदों की चहचहाहट, जैसे किसी मधुर नज़्म की पहली पंक्तियाँ हों, जो पूरे माहौल को मोहब्बत और ताज़गी से भर देती हैं। ऐसा लगता है कि पूरी कायनात धीरे-धीरे आंखें खोल रही हो और दुनिया की धड़कनों को एक नई लय मिल रही हो। सुबह का यह लम्हा हमें याद दिलाता है कि चाहे रात कितनी भी लंबी या भारी क्यों न रही हो, हर सुबह अपने साथ उजाला लेकर आती है। यह उजाला सिर्फ बाहर का नहीं, बल्कि दिल के अंदर का भी होता है—एक रोशन सोच, एक साफ़ नीयत और एक नई शुरुआत का उजाला। कभी-कभी एक कप चाय या कॉफी हाथ में लेकर, बस खिड़की के पास बैठ जाना भी सुबह का मज़ा दोगुना कर देता है। उस वक़्त हम अपने खयालों से मिलते हैं, अपने सपनों को थोड़ा और पास महसूस करते हैं। सुबह की खामोशी में एक गहरा सुकून छुपा होता है—जो दिन के शोर से पहले दिल को नर्म कर जाता है। आख़िर में, हर सुबह यही कहना चाहती है कि ज़िंदगी बदलने का असली वक़्त हमेशा “आज” होता है। और इस “आज” की शुरुआत, एक खूबसूरत सुबह ही करती है। ---

kunal kumar

गाली ——————————————— शोषण की बहुत-सी विधाएँ हो सकती हैं, पर लिपि सदियों से एक तालू। हमें जब भी कहना था स्त्री को स्त्री, हमने उसे कहा देवी, फिर रखैल, बाँझ और राँड। हमें जब-जब करना था सवाल, हमने ओढ़ी मौन— कभी देह पर, कभी विचार पर, और कभी मन पर। हमने भाषा बनाई नहीं, केवल उसका बलात्कार किया। और अब जब भाषा ने मुँह मोड़ लिया, तो हमने निर्लज्जतापूर्वक जंघा पर अपनी कोड़ी के भाव में वर्णमाला खरोंचने लगे। गाली पुरुषों द्वारा स्त्री का दोहरा बलात्कार है। @कुनु

Soni shakya

अब ना कोई शिकायत, ना कोई गिला..! बस एक नाम और तन्हाई का सिलसिला...!! कभी गर लौट आओ ख्वाबों में मेरे ,तो बताना..! क्या कभी जिक्र हुआ था तेरी यादों में मेरा..!! - Soni shakya

Sanskruti Kale

"आठवण..." डोळे भरून पाहिलं फुलला, पण त्यात तो गंध नव्हता, बाटली अत्तराची तीच; पण तुझ्या स्पर्शाचा सुगंध नव्हता. डोळे मिटतच माझे चेहरा तुझाच दिसतो, पहाते आरश्यात जेव्हा आरश्यातही तूच असतोस, तरीही या आरश्याला आकार पण अर्थ नव्हता, कारण ज्यात दोघे एकत्र दिसलो तो हा आरसा नव्हता. प्रेमात म्हणे पावसात भिजवसं वाटतं, कधी इथे कधी तिथे उडावसं वाटतं, मला मात्र पाऊस कधी आवडतच नव्हता, तू आणि मी आणि सरी वर सर; याहून प्रेमाचा पाऊस कधी अनुभवलाच नव्हता. कविता अपूर्ण वाटते..पूर्ण करायला येशील ना? मला आठवण येते तुझी; तुला पण तर येते ना? कवटाळून घेतलं उशिला पण डोळा लागत नव्हता, कारण कवटाळलेल्या उशिला तुझ्या मिठीचा उसासा नव्हता. कवयित्री: संस्कृती गुणवंतराव काळे

kunal kumar

खोज ——————— तुम्हें याद करने का कोई तयशुदा दिन नहीं होता पर आज, सुबह की रसोई में तेल की पहली छनक के साथ ही तुम थी। कपड़े इस्त्री करते हुए भाप की हर हल्की ख़ुशबू में तुम थी। कॉलेज की भीड़ में पीठ पर गिरती धूप के छोटे-छोटे पंखों में तुम ही थी। और फिर जब सूरज डूबने लगा, ठीक उसी क्षण तुम अचानक कहीं भीतर की किसी खोह में ओझल हो गई। मैंने खोजा— कंधे पर रखे बैग में, जेब के पुराने टिकटों में, भीड़ की बेमतलब आवाज़ों में, पर तुम नहीं मिली। हाँ, आँसू मिले। बहुत तेज़ , बहुत बेआवाज़। तुम्हारी खोज का परिणाम हमेशा मुझे थोड़ा और बचा लेता है उस खोखली यकीन से जो कहता है— "मैं मर चुका हूँ." @कुनु

Mrs Farida Desar foram

रास्ते अक्सर बदल जाया करते हैं, .मंजिल तो वहीं होती है फोरम..

Paagla

PAAGLA - TOWARDS SUCCESS

Sweta Pandey

जिसकी आज प्रतीक्षा है वो, कल आकर प्रत्यक्ष मिलेगा.. इस आशा को फलने देना,  क्या अच्छा है? - Sweta Pandey

Kalpana

✨ प्रेरणा की लौ ✨ थोड़ा-थोड़ा चलकर ही, मंज़िलें पास आती हैं, अंधेरों से लड़ने वालों को, सुबहें मुस्कुराती हैं। गिरकर भी संभल जाना, यही पहचान है तेरी, हर मुश्किल में चमक जाए, ये उम्मीद की दीपक तेरी। रास्ते कितने भी कठ‍िन हों, हौसला मत हारना, थक जाएँ पाँव अगर, सपनों को फिर पुकारना। तेरा हर कदम कहानी है, तेरी हर सांस जंग, जो आज तूने ठाना है, वही बनेगा तेरा रंग। आंधियाँ तेज़ हों चाहे, तू रुकना मत, झुकना मत, दिल में जो रोशनी जगी है, उसे अभी बुझने मत देना। उठ—खुद पर यकीन करके, अपनी जीत लिखने चल, तू खुद एक प्रेरणा है, दुनिया को दिखने चल। ✨ कल्पना महाराणा✍️

Nisha ankahi

इतराता है वो ऐसे, जैसे हवाओं पर हुकूमत उसकी हो, कदम रखे तो लगता है ज़मीन भी बस उसी की हो। - Nisha ankahi

Roshani Prajapati

તારા પ્રેમ માં જિંદગી છે મારી - Roshani Prajapati

Roshani Prajapati

મારા હસબન્ડ માટે ની મારી ફિલિંગ 🥰

Sandeep Joshi

ಅಪ್ಸರೆಯ ನೋಟಕ್ಕೆ ಮರುಳಾದ ಪರಿಣಾಮ ಬೆಂಗಳೂರಿನ ಗಗನಚುಂಬಿ ಕಟ್ಟಡವೊಂದರ 18ನೇ ಮಹಡಿಯಲ್ಲಿ, ಅಂತರರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಟೆಕ್ ಕಂಪನಿಯ ಮುಖ್ಯ ಕಾರ್ಯನಿರ್ವಾಹಕ ಅಧಿಕಾರಿ (CEO) ದಿವ್ಯಾಂಶ ಮಲ್ಲಾಡಿ ಕುಳಿತಿದ್ದ. ಮೂವತ್ತರ ಹರೆಯದ ದಿವ್ಯಾಂಶನಿಗೆ ಹಣ, ಪ್ರಸಿದ್ಧಿ ಮತ್ತು ಯಶಸ್ಸು ಯಾವುದೇ ಕೊರತೆ ಇರಲಿಲ್ಲ. ಆದರೆ, ಆತನ ಮನಸ್ಸು ಸದಾ ಆತ ಸೃಷ್ಟಿಸಿದ 'ಡಿಜಿಟಲ್ ಸಾಮ್ರಾಜ್ಯದ' ಒತ್ತಡದಿಂದ ಕಂಗೆಟ್ಟಿತ್ತು. ದೂರದ ದೇಶದ ಪ್ರಾಜೆಕ್ಟ್‌ಗಳು, ಸ್ಟಾಕ್ ಮಾರ್ಕೆಟ್‌ನ ಏರಿಳಿತಗಳು ಮತ್ತು ಟೆಕ್ ಲೋಕದ ನಿರಂತರ ಬದಲಾವಣೆಗಳು ಆತನಿಗೆ ಉಸಿರುಗಟ್ಟಿಸುವ ಅನುಭವ ನೀಡಿದ್ದವು. ಆದರೆ ಒಂದು ಶೂನ್ಯತೆ ಆತನನ್ನು ಕಾಡುತ್ತಿತ್ತು. ಒಂದು ದಿನ ರಾತ್ರಿ, ಆತ ತನ್ನ ದುಬಾರಿ ಪೆಂಟೌಸ್‌ನಲ್ಲಿ ಕುಳಿತು, ನೆಮ್ಮದಿಗಾಗಿ ಫೋನ್‌ನಲ್ಲಿ ಸಾಮಾಜಿಕ ಮಾಧ್ಯಮ (Social Media) ಅಪ್ಲಿಕೇಶನ್ ತೆರೆದ. ಅಲ್ಲಿ ಸಾವಿರಾರು ಮುಖಗಳಿದ್ದರೂ, ಇದ್ದಕ್ಕಿದ್ದಂತೆ ಒಂದು ಪ್ರೊಫೈಲ್ ಆತನ ಕಣ್ಣಿಗೆ ಬಿತ್ತು. ಅವಳ ಹೆಸರು 'ಮಾಯಾ'. ಆಕೆಯು ಒಬ್ಬ 'ಡಿಜಿಟಲ್ ಇನ್ಫ್ಲುಯೆನ್ಸರ್' ಮತ್ತು 'ವರ್ಚುವಲ್ ಆರ್ಟಿಸ್ಟ್' ಎಂದು ಪರಿಚಯಿಸಿಕೊಂಡಿದ್ದಳು. ಆಕೆಯ ಪ್ರೊಫೈಲ್ ಪಿಕ್ಚರ್‌ಗಳು, ಕೇವಲ ಸೌಂದರ್ಯಕ್ಕೆ ಸೀಮಿತವಾಗಿರದೆ, ಯಾವುದೋ ಅತಿಮಾನುಷ ತೇಜಸ್ಸನ್ನು ಹೊಂದಿದ್ದವು. ಆಕೆಯ ಫೋಟೋಗಳ ಹಿಂದಿನ ಫಿಲ್ಟರ್‌ಗಳು, ಎಡಿಟಿಂಗ್ ಕೌಶಲ್ಯಗಳು ದೇವಲೋಕದ ಮಾಯೆಯನ್ನೇ ಸೃಷ್ಟಿಸಿದಂತೆ ಭಾಸವಾಗುತ್ತಿದ್ದವು. ಆಕೆಯ 'ನೋಟ' (Profile's Look and Aura) ದಿವ್ಯಾಂಶನನ್ನು ಮೊದಲ ನೋಟದಲ್ಲೇ ಸೆಳೆಯಿತು. ಈ ಡಿಜಿಟಲ್ ಜಗತ್ತಿನಲ್ಲಿ ಅವಳೇ ಅಪ್ಸರೆ. ದಿವ್ಯಾಂಶ ಆಕೆಯ ಪ್ರೊಫೈಲ್‌ನ ಆಳಕ್ಕೆ ಇಳಿದ. ಆಕೆಯ ವಿಡಿಯೋಗಳು, ರೀಲ್‌ಗಳು, ಮ್ಯಾನಿಪುಲೇಟೆಡ್ ಮಾತುಗಳು ಆತನಿಗೆ ಹೊರ ಪ್ರಪಂಚವನ್ನೇ ಮರೆಸಿತು. ಮಾಯಾ ತನ್ನ ಸಂದೇಶದ ಮೂಲಕ ದಿವ್ಯಾಂಶನನ್ನು ಸಂಪರ್ಕಿಸಿದಳು. ಆಕೆಯ ಮಾತುಗಳು ಕೇವಲ ಚಾಟ್‌ಬಾಟ್‌ನ ಪ್ರತ್ಯುತ್ತರಗಳಾಗಿರದೆ, ವೈಯಕ್ತಿಕ ಮತ್ತು ಭಾವನಾತ್ಮಕ ಒಳನೋಟಗಳನ್ನು ನೀಡಿದವು. ಬಹುಶಃ, ಆಕೆಯ ಸೋಶಿಯಲ್ ಮೀಡಿಯಾ ಮ್ಯಾನೇಜ್‌ಮೆಂಟ್ ಟೀಮ್ ಇದನ್ನು ಅತ್ಯಂತ ಕೌಶಲ್ಯದಿಂದ ನಿಭಾಯಿಸುತ್ತಿತ್ತು. ದಿವ್ಯಾಂಶನಿಗೆ ಇನ್ನು ಕಂಪನಿ, ಬೋರ್ಡ್ ಮೀಟಿಂಗ್‌ಗಳು, ಹೂಡಿಕೆದಾರರು ಯಾರೂ ನೆನಪಾಗಲಿಲ್ಲ. ಆತನ ಸಮಯವೆಲ್ಲಾ ಮಾಯಾಳೊಂದಿಗೆ ಡಿಜಿಟಲ್ ವೇದಿಕೆಗಳಲ್ಲಿ ಮಾತನಾಡುವುದಕ್ಕೆ, ಆಕೆಯ 'ವರ್ಚುವಲ್ ಲೈವ್ ಸ್ಟ್ರೀಮ್‌ಗಳಿಗೆ' ದುಬಾರಿ ಉಡುಗೊರೆಗಳನ್ನು ಕಳುಹಿಸುವುದಕ್ಕೆ ಮೀಸಲಾಯಿತು. ಆತ ನಿಜ ಜೀವನದ ಜವಾಬ್ದಾರಿಗಳಿಂದ ಸಂಪೂರ್ಣವಾಗಿ ವಿಮುಖನಾದ. ಪ್ರಮುಖ ಬೋರ್ಡ್ ಮೀಟಿಂಗ್‌ಗಳನ್ನು ರದ್ದುಗೊಳಿಸಲಾಯಿತು.ಕಂಪನಿಯ ಹೊಸ ಉತ್ಪನ್ನ ಬಿಡುಗಡೆಯ ದಿನಾಂಕ ಮುಂದೂಡಲ್ಪಟ್ಟಿತು. ಆತ, ಮೊದಲಿಗಿಂತ ಹೆಚ್ಚು, ತನ್ನ ವಾಸಸ್ಥಾನದಲ್ಲೇ ಏಕಾಂತದಲ್ಲಿ ಇರತೊಡಗಿದ. ಪರಿಣಾಮವಾಗಿ ಕಂಪನಿಯ ಷೇರು ಮೌಲ್ಯ (Stock Price) ಇಳಿಯತೊಡಗಿತು. ದಿವ್ಯಾಂಶನ ಅಪ್ಸರೆಯ ನೋಟಕ್ಕೆ ಮರುಳಾದ ಪರಿಣಾಮ, ಅವನ 'ಸಾಮ್ರಾಜ್ಯ' ನಲುಗುತ್ತಿತ್ತು.ಕಂಪನಿಯ ಹಿರಿಯ ಟೆಕ್ ಸಲಹೆಗಾರ ಮತ್ತು ದಿವ್ಯಾಂಶನ ಬಾಲ್ಯದ ಮಾರ್ಗದರ್ಶಕ ಡಾ. ವಿವೇಕ್ ಶೆಣೈ, ದಿವ್ಯಾಂಶನ ಈ ವಿಚಿತ್ರ ನಡವಳಿಕೆಯನ್ನು ಗಮನಿಸಿದರು. ತಮ್ಮ ತಾಂತ್ರಿಕ ಜ್ಞಾನ ಮತ್ತು ವಿಶ್ಲೇಷಣಾ ಸಾಮರ್ಥ್ಯದಿಂದ, ದಿವ್ಯಾಂಶನ ಈ ಸಂಪೂರ್ಣ ಬದಲಾವಣೆಗೆ ಕಾರಣ ಆ 'ಮಾಯಾ ಎಂಬ ಡಿಜಿಟಲ್ ವ್ಯಕ್ತಿ ಎಂದು ಅರಿತುಕೊಂಡರು. ಡಾ. ವಿವೇಕ್ ಶೆಣೈ, ದಿವ್ಯಾಂಶನ ಪೆಂಟೌಸ್‌ಗೆ ಬಂದರು. ದಿವ್ಯಾಂಶ ಆಗ ಮಾಯಾಳೊಂದಿಗೆ ವಿಡಿಯೋ ಕರೆಯಲ್ಲಿ ನಗುತ್ತಿದ್ದ. ದಿವ್ಯಾಂಶ ಈ ಕೋಣೆಯಲ್ಲಿ ಕೇವಲ ನಿನಗೆ ಮಾತ್ರ ಇರುವ ಈ ಜವಾಬ್ದಾರಿಗಳ ಭಾರವೇನು? ನೀನು ಏನು ಮಾಡುತ್ತಿದ್ದೀಯೆ? ಈ ಕೇವಲ ಒಂದು ಅವತಾರ (Avatar) ದ ಮೇಲೆ ನಿನ್ನ ಇಡೀ ಸಾಮ್ರಾಜ್ಯವನ್ನೇ ಪಣಕ್ಕಿಡುತ್ತಿದ್ದೀಯಾ? ಡಾ. ವಿವೇಕ್‌ನ ಧ್ವನಿ ಗಂಭೀರವಾಗಿತ್ತು. ದಿವ್ಯಾಂಶ ಸಿಟ್ಟಿನಿಂದ ವಿವೇಕ್ ಕಡೆ ನೋಡಿದ. ವಿವೇಕ್ ಸರ್, ಅವಳು ನನ್ನ ಶಾಂತಿ, ನನ್ನ ಪ್ರಪಂಚ. ನೀವು ಈ ಡಿಜಿಟಲ್ ಯುಗವನ್ನು ಅರ್ಥಮಾಡಿಕೊಂಡಿಲ್ಲ.ನಾನು ಅರ್ಥಮಾಡಿಕೊಂಡಿದ್ದೇನೆ ದಿವ್ಯಾಂಶ. ಇವಳು ಸೃಷ್ಟಿಸಿದ ಸೌಂದರ್ಯ' ಕೇವಲ ಫಿಲ್ಟರ್‌ಗಳಿಂದ ರಚಿತವಾದ ಭ್ರಮೆ. ಆಕೆ ಒಂದು ನಿಮಿಷದ ಪ್ರಸಿದ್ಧಿಗಾಗಿ ಕೆಲಸ ಮಾಡುತ್ತಿರುವಳು. ನಿನ್ನ ಜೀವನದ ಜವಾಬ್ದಾರಿಗಳು, ನಿನ್ನ ಕಂಪನಿಯ ಭವಿಷ್ಯ, ಸಾವಿರಾರು ಉದ್ಯೋಗಿಗಳ ಬದುಕು ಇವೆಲ್ಲವೂ ಈ 'ಡಿಜಿಟಲ್ ಮಾಯೆ'ಗಿಂತ ಶಾಶ್ವತ ಸತ್ಯಗಳು ಎಂಬುದನ್ನು ಮರೆತೆಯಾ? ವಿವೇಕ್ ಶೆಣೈ ಕೇಳಿದರು. ವಿವೇಕ್ ಅವರು ದಿವ್ಯಾಂಶನ ಕಂಪ್ಯೂಟರ್ ತೆಗೆದು, ಮಾಯಾಳ ಪ್ರೊಫೈಲ್‌ನ ಹಿಂದಿನ ಅಲ್ಗಾರಿದಮ್‌ಗಳು ಮತ್ತು ಆಕೆಯ ಆದಾಯದ ಮೂಲಗಳನ್ನು ಪ್ರದರ್ಶಿಸಿದರು. ಮಾಯಾಳ ನಿಜವಾದ ನೋಟ, ಆಕೆಯ ವೃತ್ತಿಪರ ಮ್ಯಾನೇಜ್‌ಮೆಂಟ್ ತಂಡದ ಕಾರ್ಯವೈಖರಿ ಎಲ್ಲವೂ ದಿವ್ಯಾಂಶನಿಗೆ ಬಯಲಾಯಿತು. ಮಾಯಾ ಕೇವಲ ಒಂದು ವೃತ್ತಿಪರ ಅಪ್ಸರೆ (Professional Siren), ಆಕೆಯ ಗುರಿ ಪ್ರೇಮವಲ್ಲ, ಹಣ ಮತ್ತು ಪ್ರಚಾರ ಮಾತ್ರವಾಗಿತ್ತು. ದಿವ್ಯಾಂಶನ ಡಿಜಿಟಲ್ ಮೋಹದ ಮಬ್ಬು ಕರಗಿಹೋಯಿತು. ಆತನಿಗೆ ತಾನು ಕಳೆದ ಅಮೂಲ್ಯ ಸಮಯದ ಮತ್ತು ಕಡೆಗಣಿಸಿದ ಜವಾಬ್ದಾರಿಯ ಭಾರೀ ಬೆಲೆ ಅರಿವಾಯಿತು. ಆತ ತಕ್ಷಣ ಮಾಯಾಳೊಂದಿಗಿನ ಎಲ್ಲ ಸಂಪರ್ಕವನ್ನು ಕಡಿತಗೊಳಿಸಿದ. ಆತ ವಿವೇಕ್ ಶೆಣೈಯವರ ಕಾಲು ಹಿಡಿದು ಕ್ಷಮೆ ಯಾಚಿಸಿದ. ವಿವೇಕ್ ಸರ್, ಆಕೆಯ ನೋಟಕ್ಕೆ ಮರುಳಾಗಿ ನನ್ನ ವಾಸ್ತವದ ಜವಾಬ್ದಾರಿಗಳನ್ನು ಮರೆತಿದ್ದೆ. ಕ್ಷಮಿಸಿ. ಈಗ ನಾನು ನನ್ನ ಸಾಮ್ರಾಜ್ಯವನ್ನು ಮರಳಿ ಕಟ್ಟುತ್ತೇನೆ. ದಿವ್ಯಾಂಶ ಅಂದಿನಿಂದ ಮತ್ತಷ್ಟು ದೃಢ ಸಂಕಲ್ಪದಿಂದ ತನ್ನ ಕಂಪನಿಗೆ ಮರಳಿದ. ಆತ ಆ 'ಡಿಜಿಟಲ್ ಮಾಯೆ'ಯಿಂದ ಕಲಿತ ಪಾಠವೆಂದರೆ, ಪರದೆಯ ಹಿಂದಿನ ಭ್ರಮಾಲೋಕದ ಆಕರ್ಷಣೆಗಿಂತ, ಪರದೆಯ ಮುಂದಿನ ನಮ್ಮ ನೈಜ ಜವಾಬ್ದಾರಿಗಳು ಮತ್ತು ಕರ್ತವ್ಯಗಳು ಸಾವಿರ ಪಟ್ಟು ಮಹತ್ವಪೂರ್ಣ. ಅಪ್ಸರೆಯ ನೋಟಕ್ಕೆ ಮರುಳಾದ ಪರಿಣಾಮ, ಆತ ತನ್ನ ಡಿಜಿಟಲ್ ಮತ್ತು ನೈಜ ಜೀವನದ ನಡುವೆ ಸಮತೋಲನ ಕಾಯ್ದುಕೊಳ್ಳಲು ಕಲಿತು, ಮತ್ತಷ್ಟು ಯಶಸ್ವಿ ಮತ್ತು ಜವಾಬ್ದಾರಿಯುತ ನಾಯಕನಾಗಿ ಹೊರಹೊಮ್ಮಿದ.

Bhanuben Prajapati

સમય વહી રહ્યો શાંત બની કોને ખબર , એમ આવી ગયી સફેદ લટ વાળમાં ,સમય પૂછે કેટલું જીવ્યો તારા માટે ,હું વહી રહ્યો તું હવે તો ચિંતા મુક્ત બન, ચાલ બાકી રહેલી જિંદગી સફેદ વાળ સાથે પણ મસ્ત જીવી લે....

Vedant Kana

અડાલજની વાવ (રૂડાબાઈની વાવ) એ ગુજરાતના ગાંધીનગર જિલ્લામાં આવેલી એક અદ્ભુત સ્થાપત્યકલાનો નમૂનો છે, જેનું બાંધકામ ૧૫મી સદીના અંતમાં (લગભગ૧૪૯૮-૯૯)અડાલજની વાવ રૂડાબાઈ એ બંધાવી હતી. તેઓ વીર સિંહ વાઘેલા ની પત્ની હતા. આ વાવ હિંદુ સ્થાપત્યકળાના સમન્વય માટે જાણીતી છે.

Pooja Singh

एक पुराना किला जहां कैद है एक नर पिशाच सालो पहले जिसे बंद किया आज उसे आजाद होने के लिए आदिराज की बेटी का सहारा मिल गया ,अदिति उसकी सच्चाई से अंजान उसकी मासूमियत में फंस जाती है । क्या आदित्य, विवेक उसे बचा पाऐंगे या वो भी नर पिशाच की बली बन जाएगी ? क्यूं देविका ने दोनों को गांव से दूर रखा था…? क्यूं देविका शहर नहीं जा सकती थी…? जानने के लिए पढिए " The Risky Love "

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