Gujarati Whatsapp Status | Hindi Whatsapp Status
બદનામ રાજા

ભારતીય સ્વાતંત્ર્ય સંગ્રામ ની પ્રરાક્રમી વીરાંગના, કુશળ નાયિકા ઝાંસી ની રાણી લક્ષ્મીબાઈ ની જન્મ જયંતી નિમિત્તે શત શત નમન 🙏

vansh Prajapati ......vishesh ️

ક્ષિતિજ બનેલા તારાઓ જોવું છું, મૌન બનેલી રાત્રી જોવું છું, વેરાન ફૂંકતો ભીંજવતો પવન જોવું છું, ન જોઈ શકું તો માત્ર તારી શું વ્યથા કે પછી એજ વિસ્મૃતિ?

Priya kashyap

आप समझ ना पाए हमें और हम समझा ना सकें कुछ इस तरह से आपने छोड़ा हमें की हम लौट के वापस आ ना सके यूं तो गलतफैमीयां बहुत सी थी पर हम एक भी मिटा ना सके सच, झूठ और नजरअंदाजगी में बस हम आप को भूला ना सके नहीं प्रेम नहीं हैं ये बस लगाव था आपने छोड़ दिया हमें और हम आपको ठुकरा ना सके आपको लगता हैं हम अकेले हैं सच तो ये हैं की आपसे मिलने के बाद हम किसी और को अपना ना सके.... और आप कहते हैं.... हम वफा निभा ना सके.... © Priya kashyap

Sonu Kumar

जो लोग बोलते हैं कि "ईवीएम हटाओ सेना" के लोग सुप्रीम कोर्ट में जाकर, सुप्रीम कोर्ट के जज को डेमो क्यों नहीं दिखाते हैं ?, उनके लिए यह उत्तर लिखा गया है: . (01) हम सुप्रीम कोर्ट में EVM को इसलिए लेकर नहीं जा पा रहे हैं, क्योंकि उसके लिए एक प्रोफेशनल वकील हायर करना पड़ेगा, और वह वकील 10 लाख रुपए से लेकर 25 लाख रुपए तक मांग सकता है। . (02) हमको, सुप्रीम कोर्ट के एक बहुत बड़े वकील ने, सुप्रीम कोर्ट के जज को डेमो दिखाने के लिए एक बार बुलाया भी था। . (03) ईवीएम हटाओ सेना के प्रभारी "श्री पवन जूरी" जी EVM डेमो मशीन लेकर सुप्रीम कोर्ट के हॉल में पहुंच भी गए थे। . (04) लेकिन सुप्रीम कोर्ट के बड़े वकील ने, श्री पवन जूरी जी के द्वारा बार-बार कॉल करने पर भी उन्हें अंदर बुलाकर सुप्रीम कोर्ट के जज को डेमो दिखाने नहीं दिया था। . (05) यह इस बात का इशारा है, कि, अगर हम 25 लख रुपए देकर कोई प्रोफेशनल वकील हायर कर भी लेते हैं, तो भी, वह हमें धोखा दे सकता है — इसलिए हम जन आंदोलन करना चाहते हैं। . (06) हमारा जन आंदोलन का तरीका है, भारत के 98 करोड़ मतदाताओं को "श्री राहुल मेहता जी" द्वारा आविष्कार किए गए EVM से डेमो दिखाना। . (07) हम 2019 से, EVM के काले काँच का डेमो जनता को दिखाने का काम लगातार कर रहे हैं। . (08) इस दौरान हमें अनुभव प्राप्त हुआ है कि भारत के 98 करोड़ मतदाताओं में से 70 से 80 करोड़ मतदाता चाहते हैं कि भारत का सभी चुनाव केवल और केवल बैलट पेपर से होना चाहिए। . (09) जब देश के 98 करोड़ मतदाता अपनी आंखों से "श्री राहुल मेहता" जी द्वारा आविष्कार किया गया EVM से डेमो को देख लेंगे, तो भारत में बहुत बड़ा जन आंदोलन खड़ा हो जाएगा। . (10) तब बैलट पेपर से वोट देने का- कानून लागू करवाने के लिए देश के अधिकतर नागरिक हर महीने प्रधानमंत्री को या मुख्यमंत्री को हर महीने आदेश पत्र यानी पोस्टकार्ड भेज कर उन्हें आदेश देने लग जाएंगे कि वह सभी प्रकार का चुनाव केवल और केवल बैलट पेपर से करवाएं। . (11) हमने अनगिनत जनहित याचिका, विभिन्न कार्यकर्ताओं द्वारा, सुप्रीम कोर्ट के जज को— पोस्टकार्ड भेजकर कईबार लगवाया हुआ है। .. हमारी मांग है: . (01) मतदान कक्ष में बैलट पेपर से मतदान करवाया जाए। . (02) मतदान खत्म होते हीं- उसी मतदान कक्ष में वहीं पर पूरी मतदान की गिनती किया जाए। . (03) मतदान और मतदान की गिनती की पूरी प्रक्रिया लाइव कैमरे के द्वारा प्रसारण करते हुए नागरिकों को मोबाइल और टीवी में दिखाया जाए। . (04) पूरे मतदान प्रक्रिया का वीडियो रिकॉर्डिंग रिकॉर्ड रखा जाए। ..

ધબકાર...

चमकते चेहरे के पीछे शुष्क पड़ी मुस्कान है, यहीं हर एक पुरुष की इकलौती पहचान है। ધબકાર...

Raj Shah

https://www.youtube.com/live/bC2IADsr3Cc?si=0eSqifSo6hNaUDon

archana

**“जब किसी शादी-शुदा मर्द पत्नी के होते हुए भी वह बाहर दूसरी औरतों से रिश्ता बनाता है, तो असली समझदार महिला वही है जो साफ कह दे— ‘आपकी पत्नी जैसी भी हो, मैं उसके रहते आपसे कोई संबंध नहीं बनाऊँगी।’ अगर हर औरत यही हिम्मत और समझ दिखाए, तो दुनिया के आधे अफेयर उसी वक्त खत्म हो जाएँ।”**

ek archana arpan tane

આંસુઓ નો સાથ મુશ્કેલી માં ને ભગવાન સિવાય કોઈ સાંભળતું નથી ફક્ત પાર્થના એ જ ઉતમ ઉપાય છે. - ek archana arpan tane

Kuldeep Singh

kuldip Singh ✍️

Mahesh Sondarva

જીવનસાથી ઇશ્વરે આપેલી અમૂલ્ય ભેટ એટલે — મારી જીવનસાથી, જેના નામમાત્રમાં જ ભવે ભવનો સથવારો છે. મારા તૂટેલા શર્ટના બટનથી લઈને, મારા તૂટી ગયેલા આત્મવિશ્વાસને પણ સતત જોડતી. જીવનની પાનખર હોય કે વસંતનું ફૂલવું, દરેક ક્ષણે મારી સાથે ઉભેલી — મારી જીવનસાથી. મારા જીવનમાં કસ્તુરીમૃગ તણી સુગંધ પ્રસરાવી, ઘર-આંગણને હસતાં ચહેરાંથી પ્રફુલ્લિત રાખતી — મારી જીવનસાથી. મારી હસ્તી માટે પોતાનું સંપૂર્ણ અસ્તિત્વ ન્યોછાવર કરી દેતી, એવી નિ:શબ્દ, નિઃસ્વાર્થ પ્રેમની મૂર્તિ — મારી જીવનસાથી

Nisha ankahi

इस ठंडी रात में यादों की अंगीठी फिर जल उठी, कोई पुराना एहसास चुपके से कंबल बनकर लिपट गया। - Nisha ankahi

Yamini

గొడుగు వర్షాన్ని ఆపలేకపోవచ్చు కానీ వర్షంలో మనల్ని నిలబడేలా చేస్తుంది. ఆత్మవిశ్వాసం విజయాన్ని తీసుకురాకపోవచ్చు కానీ జీవితంలో ఎలాంటి సవాలునైనా ఎదుర్కోనే శక్తిని ఇస్తుంది. . Written By, P.YBS

Yamini

"MARRIAGE" Marriage is not about age it's about love and timing. Being late with the right person is better than rushing with the wrong one.

Yamini

Pencil Sketch Art By, P.YBS

Yamini

Pencil Sketch Art By, P.YBS

Yamini

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Yamini

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Yamini

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Yamini

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Shefali

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Jyoti Gupta

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Anup Gajare

२१…“अनकहीं जगहों का दुख” __________________________________ जो बिना झगड़े चले गए, उनकी अनुपस्थिति एक निर्वासन है— जिसकी सज़ा मैं रोज़ काटता हूँ अपने ही भीतर के किसी अंधे कोठरे में। उनकी लौटती हुई परछाइयों को मैं अपराधबोध की दृष्टि से निहारता हूँ— जैसे भूल मेरी थी, जाने का निर्णय उनका और सज़ा दोनों की साँझी। कभी एक हाथ थामे था, कभी एक बात; फिर अचानक बात भारी पड़ गई और हाथ— पतझड़ में गिरते पत्ते की तरह मेरी मुट्ठी से फिसल गया। विदा कहना आसान नहीं होता, पर मोहविहीन पुकारें विदा से भी ज्यादा कटु होती हैं। और मुझे आज भी लगता है— सुंदर भ्रम से बेहतर है वह असुंदर सच जो कम-से-कम झूठ नहीं होता। भूख से डरा आदमी रोटी में अपना ईश्वर ढूँढ लेता है; पर प्रेम से डरा आदमी— किस बर्तन में पिघलाए अपनी दहशत? किस आग में पकाए अपना भय? मैंने देखा है— किसी के भीतर जिये दुख जब शब्दों में ढल जाते हैं तो ममता मिल जाती है, सहलाती हथेलियाँ भी। पर वही दुख जब किसी जीवित मन में जल रहे होते हैं— तो दुनिया मुंह मोड़ लेती है; सहानुभूति कला के लिए आरक्षित है और मनुष्य— बस एक साधारण उपेक्षित पत्थर। मेरी आस्थाओं के खंडहर में जब गंगा का नाम आता है तो भीतर की टूटी छतों में एक प्रेम की हवा बहती है। हाँ— तुम्हारे शहर से गुजरने वाली गंगा मेरे लिए नदी नहीं, स्मृति है। अंततः रोना सूख गया; सिसकियाँ चुप्पियों में बदल गईं और चुप्पियाँ— नयी भाषा बन गईं जिसे कोई पढ़ नहीं पाया। अंततः आग बुझी, पर राख में एक ऐसी तपिश बची रही जो पहचान से परे थी। अंततः गति रुकी, पर भीतर कहीं बहता रहा एक अज्ञात, अदृश्य, अव्यक्त प्रवाह। लोग पूछते हैं— “और कैसे हो?” और मैं सोचता हूँ— अगर सच बता दूँ तो उनके दर्पण फट पड़ेंगे। इसलिए मैं कहता हूँ— “ठीक हूँ।” यह झूठ नहीं— सभ्यता का मर्यादित सच है। और हाँ— हम जब रेगिस्तान में रहते हैं तो प्यास पर नियंत्रण सीखना पड़ता है। रेत को यह समझाने से क्या लाभ कि वह नमी क्यों नहीं बनती? निर्जीव चीज़ों को उनकी कठोरता के लिए माफ़ कर देना चाहिए— क्योंकि उम्मीदें ही सबसे पहले मनुष्य को रेगिस्तान बनाती हैं। …पर कहानी यहीं खत्म नहीं होती— दुख कभी पूर्णविराम नहीं लगने देता; वह किसी कोने में पड़ी अधजली क़िताब की तरह धीमे-धीमे धुआँ छोड़ता रहता है। मैंने समझा है— जो लोग चुपचाप चले जाते हैं, वे अपने साथ सिर्फ उपस्थिति नहीं ले जाते, वे समय की दिशा भी मोड़ जाते हैं। उनके बाद घड़ियाँ चलती तो रहती हैं, पर बीच का समय कहीं स्थिर होकर अपनी धड़कन रोक देता है। कभी-कभी लगता है कि मैं अपने भीतर किसी और युग में रह गया हूँ— वह युग जहाँ एक स्पर्श का अर्थ पूरे धर्म की तरह था, और एक शब्द— पूरी प्रलय। आज लोग बात करते हैं जैसे बारिश में फेंकी गई रेत, जो हाथ में टिकती नहीं; और मैं सोचता हूँ— संबंध आखिर किस मिट्टी से बने होते हैं जो एक मौसम में बचपन और अगले मौसम में अजनबीपन उगा देते हैं? मैं उन गलियों तक गया जहाँ कभी तुम्हारी हँसी धूप की तरह उतरती थी, पर अब वहाँ सन्नाटा इतना घना है कि ईश्वर भी शायद धीमे कदम रखने लगे। क्या तुम जानती हो— अनुपस्थिति भी एक प्रकार की उपस्थिति है, बस उसका वजन रीढ़ को झुकाने वाला होता है। मैंने उस वजन को उठाते-उठाते अपनी पीठ नहीं— अपनी उम्र तोड़ ली। मैं अक्सर सोचता हूँ, अगर किसी दिन तुम लौट आओ तो क्या मैं तुम्हें पहचान भी पाऊँगा? क्योंकि तुम्हारी याद अब चेहरे जैसी नहीं, एक मौसम जैसी है— जो आता नहीं, पर बदलता सब कुछ है। रात के तीन बजे जब दुनिया सो रही होती है, मैं अपने भीतर की एक टूटी खिड़की के पास बैठा उन हवाओं को सुनता हूँ जो कभी तुम्हारे वाक्यों में बहती थीं। अब वे हवाएँ कुछ नहीं कहती; बस ठंडक छोड़ जाती हैं— उन जगहों पर जहाँ कभी तुम्हारा हाथ था। और मैं समझता हूँ— कुछ लोग हमें इसलिए छोड़ जाते हैं क्योंकि हम उनके लिए गलत नहीं— बहुत ज्यादा सच होते हैं। और दुनिया इतना सच सह नहीं पाती। _________________________

Anup Gajare

२१…“अनकहीं जगहों का दुख” __________________________________ जो बिना झगड़े चले गए, उनकी अनुपस्थिति एक निर्वासन है— जिसकी सज़ा मैं रोज़ काटता हूँ अपने ही भीतर के किसी अंधे कोठरे में। उनकी लौटती हुई परछाइयों को मैं अपराधबोध की दृष्टि से निहारता हूँ— जैसे भूल मेरी थी, जाने का निर्णय उनका और सज़ा दोनों की साँझी। कभी एक हाथ थामे था, कभी एक बात; फिर अचानक बात भारी पड़ गई और हाथ— पतझड़ में गिरते पत्ते की तरह मेरी मुट्ठी से फिसल गया। विदा कहना आसान नहीं होता, पर मोहविहीन पुकारें विदा से भी ज्यादा कटु होती हैं। और मुझे आज भी लगता है— सुंदर भ्रम से बेहतर है वह असुंदर सच जो कम-से-कम झूठ नहीं होता। भूख से डरा आदमी रोटी में अपना ईश्वर ढूँढ लेता है; पर प्रेम से डरा आदमी— किस बर्तन में पिघलाए अपनी दहशत? किस आग में पकाए अपना भय? मैंने देखा है— किसी के भीतर जिये दुख जब शब्दों में ढल जाते हैं तो ममता मिल जाती है, सहलाती हथेलियाँ भी। पर वही दुख जब किसी जीवित मन में जल रहे होते हैं— तो दुनिया मुंह मोड़ लेती है; सहानुभूति कला के लिए आरक्षित है और मनुष्य— बस एक साधारण उपेक्षित पत्थर। मेरी आस्थाओं के खंडहर में जब गंगा का नाम आता है तो भीतर की टूटी छतों में एक प्रेम की हवा बहती है। हाँ— तुम्हारे शहर से गुजरने वाली गंगा मेरे लिए नदी नहीं, स्मृति है। अंततः रोना सूख गया; सिसकियाँ चुप्पियों में बदल गईं और चुप्पियाँ— नयी भाषा बन गईं जिसे कोई पढ़ नहीं पाया। अंततः आग बुझी, पर राख में एक ऐसी तपिश बची रही जो पहचान से परे थी। अंततः गति रुकी, पर भीतर कहीं बहता रहा एक अज्ञात, अदृश्य, अव्यक्त प्रवाह। लोग पूछते हैं— “और कैसे हो?” और मैं सोचता हूँ— अगर सच बता दूँ तो उनके दर्पण फट पड़ेंगे। इसलिए मैं कहता हूँ— “ठीक हूँ।” यह झूठ नहीं— सभ्यता का मर्यादित सच है। और हाँ— हम जब रेगिस्तान में रहते हैं तो प्यास पर नियंत्रण सीखना पड़ता है। रेत को यह समझाने से क्या लाभ कि वह नमी क्यों नहीं बनती? निर्जीव चीज़ों को उनकी कठोरता के लिए माफ़ कर देना चाहिए— क्योंकि उम्मीदें ही सबसे पहले मनुष्य को रेगिस्तान बनाती हैं। …पर कहानी यहीं खत्म नहीं होती— दुख कभी पूर्णविराम नहीं लगने देता; वह किसी कोने में पड़ी अधजली क़िताब की तरह धीमे-धीमे धुआँ छोड़ता रहता है। मैंने समझा है— जो लोग चुपचाप चले जाते हैं, वे अपने साथ सिर्फ उपस्थिति नहीं ले जाते, वे समय की दिशा भी मोड़ जाते हैं। उनके बाद घड़ियाँ चलती तो रहती हैं, पर बीच का समय कहीं स्थिर होकर अपना धड़कना रोक देता है। कभी-कभी लगता है कि मैं अपने भीतर किसी और युग में रह गया हूँ— वह युग जहाँ एक स्पर्श का अर्थ पूरे धर्म की तरह था, और एक शब्द— पूरी प्रलय। आज लोग बात करते हैं जैसे बारिश में फेंकी गई रेत, जो हाथ में टिकती नहीं; और मैं सोचता हूँ— संबंध आखिर किस मिट्टी से बने होते हैं जो एक मौसम में बचपन और अगले मौसम में अजनबीपन उगा देते हैं? मैं उन गलियों तक गया जहाँ कभी तुम्हारी हँसी धूप की तरह उतरती थी, पर अब वहाँ सन्नाटा इतना घना है कि ईश्वर भी शायद धीमे कदम रखने लगे। क्या तुम जानती हो— अनुपस्थिति भी एक प्रकार की उपस्थिति है, बस उसका वजन रीढ़ को झुकाने वाला होता है। मैंने उस वजन को उठाते-उठाते अपनी पीठ नहीं— अपनी उम्र तोड़ ली। मैं अक्सर सोचता हूँ, अगर किसी दिन तुम लौट आओ तो क्या मैं तुम्हें पहचान भी पाऊँगा? क्योंकि तुम्हारी याद अब चेहरे जैसी नहीं, एक मौसम जैसी है— जो आता नहीं, पर बदलता सब कुछ है। रात के तीन बजे जब दुनिया सो रही होती है, मैं अपने भीतर की एक टूटी खिड़की के पास बैठा उन हवाओं को सुनता हूँ जो कभी तुम्हारे वाक्यों में बहती थीं। अब वे हवाएँ कुछ नहीं कहती; बस ठंडक छोड़ जाती हैं— उन जगहों पर जहाँ कभी तुम्हारा हाथ था। और मैं समझता हूँ— कुछ लोग हमें इसलिए छोड़ जाते हैं क्योंकि हम उनके लिए गलत नहीं— बहुत ज्यादा सच होते हैं। और दुनिया इतना सच सह नहीं पाती। _______________________________________

kunal kumar

भूख ————————— १) सरकार ने उसे वोट बैंक कहा, निवेशकों ने बाज़ार। आम आदमी ने कहा पेट। कवियों ने उसे कहा मार्मिक कविता। और स्त्री ने कहा — पुरुष के दिल तक जाने का मार्ग। और जिसने कुछ कहने की जगह सिर्फ़ हाथ जोड़कर नमन किया भूख उसी की हो गई। २) भूख जब भी अपनी रीढ़ की हड्डी सीधी की, क्रांति दो-दो रुपये के खुल्ले छुट्टों की तरह सड़कों पर गरकती मिली। ३) अरबपतियों ने कई दफ़ा धन-दौलत बहा दिए, पर वह आई सिर्फ़ उनके हिस्से जिनके पेट में पली थी एक शाम की सूखी रोटी और हज़ार ख़्वाब। ४) देह के लिए वह हुई सिर्फ़ देह, पेट के लिए — क़यामत की आग। और जहाँ नहीं पहुँच सकीं देह, आग या लटकती लार की उपमाएँ — वहाँ वह एक पुल बन गई, जिससे होकर पार हुईं ख़्वाब देखती आँखें। ५) भरे पेट से अपने महल में बैठकर भूख पर लिखना एक बढ़िया व्यवसाय हो सकता है लेकिन भूखे रहकर भूख को जीना सही मायने में भूख पर लिखी सबसे सटीक कविता है। @कुनु

Tanish bhattacharya

Drips of flooding thoughts Tip-taps on the window. Drop after drops. Crying hours of the Sad clouds. Rain and me are quite the same. Rain causes floods, So does my mind, Flooding me with endless thoughts. Thoughts that drowns me in. Slipping away from the tasks. Doused with the rain in my heart. My heart dares not to pour. Rain and I are not same after all. Rain is wet, My mind dry with Cactus heart -Tanish

Raju kumar Chaudhary

यमदूत और इंसान — एक पुरातन कथा बहुत पुरान समय की बात है। तब यमराज के दूत धरती पर खुले-आम आया-जाया करत रहलें। जवन घरी कवनो इंसान के प्राण निकले के समय आवत रहे, लोग ओह दूत के देख लेत रहे। लोग डर में जीवल रहे, काहें कि मौत उनका सामने-सामने खड़ा हो जाला। एही समय में एगो गाँव में एक परिवार में भारी दुर्भाग्य भइल। यमराज के पहिला दूत ओह परिवार के एक-एक आदमी, औरत, बच्चा—सबके प्राण ले गइल। घर में बस एक आदमी बचल—एक गरीब, सीधा-सादा लेकिन दिलेर आदमी। ओकरा नाम रहे देवनाथ। देवनाथ दुख से टूट गइल। विश्वासी सब मर गइल, गांव छोड़ दिहल, लेकिन दुख के साथ-साथ ओकर भीतर विद्रोह जग गइल। उ कहलक— “जवन दूत हमार परिवार ले गइल, ओही के हम रोकबो करब।” जंगल की गुफा और जाल देवनाथ गहिर जंगल में चल गइल। ऊ एक पुरान, फैला-फैला गाछ के नीचे खुदे हाथ से एक गुफा बनवलस। ओह गुफा में उ एक बड़ा दरवाजा, लोहा के बेड़ी और मजबूत जाल बनवलस। उ इंतजार करेला लागल, काहें कि ऊ जाने लागल कि यमराज का दूत फेर कभी धरती पर नयका आत्मा लेवे जरूर आई। कई महीना बीतल। एक दिन अँझार पाड़े ओह गुफा के बाहर अजीब सन्नाटा छा गइल। हवा थम गइल। देवनाथ समझ गइल—यमराज के दूत आ गइल। दूत का आगमन और बंधन दूत गुफा के पास आइल—ऊ काला, विशाल, तेज चमकवाला दूत रहे। देवनाथ हिम्मत जोड़ के सामने खड़ा भइल। दूत बोलल— “मनुष्य, तोहार समय नजदीक बा। चल, हम रस्ता देखाई।” देवनाथ चुपचाप दूत के अंदर ले गइल और जैसे ही दूत आगे बढ़ल—ऊ दुवार धड़ाम से बंद कर दिहल। ताला डालल, बेड़ी कस दिहल। दूत गरजल— “मूर्ख! हमरा कैद कर सकेलऽ?” देवनाथ शांत स्वर में कहलक— “हमरा परिवार ले गइलऽ… अब जब तक तोहार साल भर के काम ना देख लेब, तब तक तोहरा बाहर ना निकलब देब।” यमदूत कैद हो गइल। धरती पर मृत्यु रुक गई धीरे-धीरे पूरा संसार में लोग नोटिस करे लागल— बूढ़ा आदमी बहुत बीमार रहे लेकिन ना मरत। जवान लड़का भारी दुर्घटना में बच गइल। पूरा गाँव में कवनो मरे वाला ना रहल। मौत रुक गइल। धरती पर भारी भार बढ़े लागल। लोग के पीड़ा बढ़े लागल—जिन्हें मरना चाहिए था, वे भी कष्ट झेलते हुए जी रहे थे। यमलोक में हलचल मच गई। यमराज क्रोधित हो गइलन— “कौन मूर्ख हमारे दूत को रोक रहा है? धरती का नियम बिगड़ रहा है!” यमराज खुद धरती पर उतर के ओह जंगल में पहुंचे। गुफा के दरवाजा खोले की कोशिश कइलन, लेकिन अंदर से आवाज आई— देवनाथ: “पहिले सुनब, तब दुवार खुली!” यमराज दंग रहि गइलन। एक मनुष्य उनसे बात कर रहल बा! यमराज और मनुष्य का संवाद यमराज गरज के कहले— “क्यों कैद में रखलऽ हमरा दूत के? मौत का नियम बिगड़ गइल, धरती डगमगा रहल बा!” देवनाथ शांत स्वर में कहल— “महाराज, हम कानून ना तोड़ल चाहत बानी। बस, मन से टूटी लोगनी के दर्द एक बार देखी। एक साल धरती पर आप सबके काम देख लीं। लोग कइसे जी रहल बा, कइसे मर रहल बा—फिर बताइ कि अंतिम समय में कष्ट कम हो सकेला कि ना?” यमराज देवनाथ के भाव समझ गइले। उनका मन में करुणा जग उठल। कहले— “मनुष्य, तोहार हिम्मत और अपनों के प्रति प्रेम अद्भुत बा। हम एक वर्ष धरती पर संतुलन देखब।” यमदूत के छोड़ दिहल गइल। मनुष्य को मिला वरदान जब संतुलन वापस आ गइल, यमराज देवनाथ के सामने खड़ा भइलन और बोललन— “मनुष्य, तोहरा साहस के सम्मान में हम तोहके वरदान देतानी।” वरदान: देवनाथ के जीवन में कभी अकाल मृत्यु ना होई। उनके परिवार फिर से बस जाई। उनके घर में हमेशा शांति और समृद्धि रहे। कुछ ही दिन बाद देवनाथ के गाँव वापसी भइल। लोग उनका आदर से देखल। धीरे-धीरे उनका विवाह भइल, संतानों के जन्म भइल, और उनका जीवन खुशियों से भर गइल। यमदूत भी देवनाथ का सम्मान करे लागल, काहें कि वह अकेला मानव था जिसने मौत को रोकने की हिम्मत की थी—और वो भी किसी बदले में नहीं, बस अपने प्रियजनों के दर्द समझे के खातिर। --- कथा का संदेश “मौत से बड़ा कोई नहीं, लेकिन प्रेम से बड़ा भी कोई नहीं।” “साहस हमेशा इंसान को देवताओं तक पहुंचा देता है।”

Nabiya Khan

--- 🌅 Ek Nayi Subah Ka Safar हर रात अपने साथ कुछ थकान, कुछ परेशानियाँ और कुछ अनकहे सवाल छोड़ जाती है। लेकिन जैसे ही सुबह की पहली किरण खिड़की पर दस्तक देती है, ऐसा लगता है जैसे ज़िंदगी हमें एक और मौका दे रही हो — फिर से शुरू करने का, फिर से मुस्कुराने का, और फिर से खुद को नया बनाने का। नई सुबह सिर्फ सूरज का उगना नहीं है, ये उम्मीद का उगना है। ये दिल के अंदर जली उस छोटी-सी लौ का फिर से भड़क उठना है, जो कहती है— “Abhi sab khatam nahi hua… Tum phir se khil sakti ho.” कभी-कभी ज़िंदगी में रास्ते धुँधले पड़ जाते हैं, कदम रुक जाते हैं। पर सुबह हमें याद दिलाती है कि हर अंधेरा स्थायी नहीं होता। रात चाहे जितनी भी लंबी हो, सुबह को आना ही होता है। और ये सुबह एक सुकून-भरा संदेश लाती है— “Khud par yaqeen rakho, kal se behtar aaj ho sakta hai.” आज की सुबह अपने साथ एक नई ताज़गी, एक नई हवा, और एक नया अवसर लेकर आई है। शायद कोई अपूर्ण सपना फिर से पुकार रहा है… शायद कोई नई कहानी लिखने का समय आ गया है… या फिर शायद बस खुद से एक मुलाक़ात का वक़्त है। तो चलिए, इस नई सुबह को एक मुस्कान के साथ अपनाएँ। चाय की एक गर्म घूंट लें, मन की एक पुरानी चिंता छोड़ दें, और दिल में एक नई रोशनी बस जाने दें। क्योंकि हर सुबह एक वादा है — कि ज़िंदगी खूबसूरत है, और आप भी। ---

ભૂપેન પટેલ અજ્ઞાત

મૃગજળ છે એ તો કેમ એમાં તરી શકાય, જીવતર, ડૂબકી મારોને માથું જમીન સાથે ભટકાય,જીવતર. અથડવાનો કોઈ અવાજ નથી હોતો જીવતર, વાગ્યાનો કોઈ ઈલાજ નથી હોતો જીવતર, ક્ષિતિજ સમ વેરાય છે દૂરને દૂર મારગ, થાક્યા પછી જ સમજાય છે જીવતર.. - ભૂપેન પટેલ અજ્ઞાત

Rahul Raaj

एक दिन तुम्हारी उस शख्स से बातचीत बंद हो जाएगी.. जिससे एक दिन बात न होने पर बेचैन हो जाया करते हो...

Raj Phulware

IshqKeAlfaaz तेरे प्यार का शहद....

Paagla

PAAGLA – A heart that speaks through words. 💭✨ Sharing emotions, shayari, quotes, and stories that touch your soul. From love to pain, from motivation to dreams – here, every line is written to connect with your heart. ❤️📖

Meera Singh

जब उनसे मिले तो मन में हजारों सवालात थे दिल मेें उठे सैकड़ो तुफान थे हम खामोशी से सुनते गए उनकी हर बात और उन्होनें तो ये भी नही पूछा की कहो तुम क्यों खामोश हो।। मीरा सिंह

bhamare pratiksha

आईच्या "लहानशा काळजाला" काय त्या वेदना माहित?? आईच्या "लहानशा पाखराला" काय माहित की तो चॉकलेट देणारा नराधमच निघेल?? आईच्या "कोमल कळीला" हा काय भलताच प्रकार तेही माहित नाही? अवघड वेदनांच्या प्रहारात ती वितळली गेली... ह्या गोष्टीचा तिला थोडाही सुगावा नाही.... थोडाही सुगावा नाही...... आपल्या मुलांची काळजी घ्या सतर्कता बाळगा🙏🙏🙏

Tru...

ખાલીપા ની વાતો માં થોડી પ્રશાંતિ ની ઝલક છે... મૌન બોલે છે,છોડી દે બધું ફરી ગૂંથવાની આ ક્ષણ છે... વાગોળવાની નથી જે વાતો જૂની છે… સમેટવાની છે જે લાગણીઓ હજી ખુલ્લી છે… બળાપો શું કરવો કે મંઝિલ ક્યાંક છૂટી રહી છે... આતો સફર વિસામા ભૂલી આગળ વધી રહી છે... ઘણા કારણો મળે છે થોડી વાર અટકી જવાના… હૃદયના ભારને આંખોથી હળવા કરવાના… આગળ વધવા માટે તું તારા માટે પૂરતી છે… ઘણા કારણો મળે છે ફરી સ્મિતને આવકારવાના…”

Aachaarya Deepak Sikka

*AUM NAMAH SHIVAY* *DIRECTIONS FOR WASHING MACHINE/ ATTA CHAKKI/ MATHANI/ MIXI* *North:-* Bad Direction. Opportunities Reduced. Unsatisfied *NNE:-* Not Good. Diseases and Uncomfort Occurs. May Lead to Cancer. *NE:-* Not Good. Tensions Increased. Confused Mind. Person Will Not Take the Right Decisions. *ENE:-* Life Becomes Boredom. Leads to Sorrow and Person Will Not Be Happy At All. *East:-* Social Relations Affected Very Badly. Society and Social Relations Reduced. *ESE:-* Excellent Direction. It's A Direction of Churning. So It's A Best Direction. *SE:-* Person May Fear About Money. Money Expenditure Increased. Person May Spend His/Her Money on Outsiders Opposite Gender. *SSE:-* Wastage of Time in the Body Building All the Day. Person Always Try to Show off His/Her Power and Physique. *South:-* Name Fame Reduced. Insomnia May Occur. Mental Tensions Increased. *SSW:-* Lead To Wrong Decisions. Lever Problems. Females May Affected With Genital Problems. *SW:-* Relationship Issues. Married Life Disturbed. Intimacy Issues. Love Life Not Good. *WSW:-* Obstacles in Study. Kids May Always Think About Cheating in Exams. *West:-* Unsatisfied. Savings Get Reduced. Life will Become Struggling and Full of Issues. *WNW:-* It's A very Good Direction. *NNW:-* Extra Marital Affairs May Occur. Person May Attract Towards Outsiders Opposite Gender. *NW:-* Person May Take Money From Near and Dear and Also From Friends. Person May Check Everyone's Loyalty and Does Not Show Faith Easily Towards Anyone. *So The Best Direction is Either ESE OR WNW* *Aachaarya Deepak Sikka* *Founder Graha Chaal Consultancy*

Shweta Gupta

जो सत्य है... वो ही नारायण है।। - Shweta Gupta

Bhavna Bhatt

મજાનો ડાન્સ

Saroj Prajapati

जिंदगी में कुछ अजब ही चल रहा है दौर चुप है जुबां, खामोशियां मचा रही है शोर।। सरोज प्रजापति ✍️ - Saroj Prajapati

Nensi Vithalani

Every project has a deadline. Every class has a last goodbye. Every fruit has a moment before it falls. Every bird has a flight it must take alone. Every human has a chapter that quietly ends. And just like that — every relationship too comes with its own unseen deadline. So give your best, love wholeheartedly, and before the ending arrives, complete your part with gratitude… and let it go with grace.

અશ્વિન રાઠોડ - સ્વયમભુ

વિષય: ઘાયલ, શિર્ષક: "ખબર ના પડે" ​(મત્લા) બહાર હાસ્ય છે, કે અંદરથી કોઈ ઘાયલ છે, ખબર ના પડે, ક્યાંક જીવવાની તમન્ના છે, દિલ ઘાવ છે, ખબર ના પડે. ​સપના તુટે, આશાઓ વિખરાયેલી ગઝલ બને, એ જિંદગીનો ભાગ બને, એની યાદોનાં પુસ્તકોનો એ કકળાટ છે, ખબર ના પડે. ​આંખમાં ભલે હોય અશ્રુની ધારા, છતાંય એ મલકતો હોય એવું બને, કેમ કે દુનિયાની મહેફિલમાં એ રંગાયો, માટે કોઈને ખબર ના પડે. ​રોજ મુક્ત પંખી બની ઊડતો એ આ ગગનમાં કાયમ એવું રોજ બને, ને એ પિંજરામા કેદ હોય, એની કોઈને ખબર ના પડે. કે ​આ ઘાવ જ છે તાકાત સૌની, ને દર્દ જ સૌની ઓળખ બને, કોઈ પણ સંજોગોમાં ભગવાનનો ઓથાર હોય પણ ખબર ના પડે. ​(મક્તા) 'નવી સવાર'ની આશ લઈ જીવી રહ્યો છે, એજ છે માણસ, કે 'આત્મ'ના હૃદયમાં નિરાશાના ભારની ભયાનકતાની ખબર ના પડે. બહાર હાસ્ય છે, કે અંદરથી કોઈ ઘાયલ છે, ખબર ના પડે, ક્યાંક જીવવાની તમન્ના છે, દિલ ઘાવ છે, ખબર ના પડે. અશ્વિન રાઠોડ ("સ્વયમ ’ભુ’")

Kamini Shah

ક્યાંથી વિસરાય એ અંધારી રાત અજવાળી હતી તેં પ્રીતની વાટ… -કામિની

Mahesh Sondarva

એક તું… મારા ભીતર નો પ્રેમ બસ એક તુજ છે મારા અંતર આત્મા માં વસેલો એક અહેસાસ છે તું. તું છે તો સઘળું છે મારા ખોવાયેલા મનને ને સાચવી રાખતી, મારી ધડકન માં સમાયેલી બસ તું એક તું છે, વિખરાઈ જવાય છે આ દુનિયામાં, મને સમેટી ને રાખતી બસ તું છે, કહેવા તો બાગ બગીચા ના ફૂલ તો ઘણાં મહેકે છે પણ મારી આસપાસ દરેક ક્ષણે મહેક તિ બસ તું છે, મારા પ્રેમ ની પરિભાષા એટલે એટલે તુ.

Nirali patel

"Failure is the stepping stone to success."

Nithinkumar J

ദൂരം ❤️

Nithinkumar J

ദൂരം 🥰

Nithinkumar J

നന്ദി --------- നിങ്ങള്‍ക്കെന്റെ നന്ദി! കടന്നുവരിക. മഞ്ഞും മഴയും നഷ്ടമായ മുറിയിലേക്കിനി നിങ്ങള്‍ക്കു സ്വാഗതം. ഒറ്റവാക്കില്‍ നന്ദി നല്‍കി കണ്ണുകള്‍ മൂടുമ്പോള്‍, ഉള്ളംനിറയെ ഞാന്‍ നനഞ്ഞ മഞ്ഞും മഴയും. ----------------------- നിഥിന്‍കുമാര്‍ ജെ

jighnasa solanki

જય શ્રીકૃષ્ણ 🙏🙏 રાધે રાધે 🙏🙏

Rahul Raaj

साथ देने के समय ज्ञान नहीं दिया जाता... डूबते हुए इंसान को बचाया जाता है उस वक्त तैरना नहीं सिखाया जाता...!

DrAnamika

तेरी आँखों में जब भी अपना अक्स देखा महसूस हुआ कि इश्क़ भी साँस लेती है. #डॉअनामिका #हिंदी_का_विस्तार #हिंदी_पंक्तियाँ #हिंदी_शब्द #ऊर्दू_अलफ़ाज़

Anup Gajare

२०…"मैं उन ही का हूँ" _________________________________ हर किसी के हिस्से मैं नहीं आता। मेरा अपना ही एक हिस्सा है— सायं उतरती हवा की वो हल्की काँपती ठंड, जो छूते ही मौसम की आत्मा बन जाती है। गर्मी में दुबककर बैठने वालों, मैं शायद तुम्हारे हिस्से कभी न आ सकूँ। चाहो तो मेरी अस्त्र-सी सजी कलम ले लो— पर मैं, कलम विहीन होकर भी कंबल-विहीनों का ही रहूँगा। ठंड में सुबकते जीव मुझे पुकारते हैं— उन पर कंबल ओढ़ा दो, और मैं पूरा का पूरा तुम्हारा हो जाऊँगा। हर किसी की मुट्ठी में मैं नहीं समाता। मेरा अपना ही एक हिस्सा है— सायं ढलती हवा की वो हल्की काँपती ठंड, जो छूते ही मौसम की आत्मा बन जाती है। गर्मी में सिकुड़कर बैठने वालो, मैं शायद तुम्हारे हिस्से कभी न आ पाऊँ। चाहो तो मेरी अस्त्र-सी चमकती कलम ले लेना— पर मैं, कलम-विहीन होकर भी कंबल-विहीनों का ही रहूँगा। सर्द रातों में सुबकते जीव मुझे पुकारते हैं— “हम पर एक कंबल डाल दो…” और मैं अपने समूचे अस्तित्व के साथ उन्हीं का हो जाता हूँ। ______________________________________________

Nisha ankahi

चार-सू अँधेरा हो तो क्या, रौशनी बनने की ठान ले, जहाँ दुनिया रुक जाए, तू वहीं से नया आसमान ले। - Nisha ankahi

Soni shakya

""प्रेम कभी समाप्त नहीं होता, जो समाप्त हो जाए वह प्रेम था ही नहीं सिर्फ मन का एक भ्रम था"" - Soni shakya

Dada Bhagwan

Do you know that if a husband and wife both form a commitment to adjust with each other, they will find a solution? Read more on: https://dbf.adalaj.org/n2ifpWti #relationshp #relationshiptips #relationshpadvice #doyouknow #facts #DadaBhagwanFoundation

Soni shakya

"वो पल नहीं एक दुआ थी.. जब जिंदगी ने मुझे तुझसे मिलाया था.. तुम मिलेऔर हर चीज खूबसूरत लगने लगी.. 💕💕 - Soni shakya

Jyoti Gupta

#AnandDham #AnandDhamInShimla #ShimlaTrip #SnowfallFun #WinterVibes2025 #ComedyShorts #FunnyShimlaTrip #TravelComedy #ShimlaViral #IndiaShorts #YouTubeShortsIndia #DailyFunnyShorts #HilariousMoments #SnowAdventure #ShimlaDiaries #ViralReelsIndia #TrendingShorts2025 #FullMastiMode #CrazyTravelFun #BolteHiViral

Sonu Kumar

राहुल गांधी को ईवीएम हटाओ सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष "श्री राहुल मेहता जी" #EvmBlackGlass डेमो देकर सब कुछ समझा दिए हैं! . उसके बावजूद भी वह देश की जनता से EVM के काले काँच और लाइट सेंसर की सच्चाई को लगातार छुपा रहा है!!

Saliil Upadhyay

It's the magic of your level of trust in the universe, that turns every single dream into reality..!

Shailesh Joshi

જવાની એ ઉજ્જ્વળ ભવિષ્યનું નિર્માણ કરવા માટે જરૂરી બળ, અને બુદ્ધિનું સિંચન કરવા માટેનો સમયગાળો છે, આ સમયગાળામાં ખોટી રીતે લીધેલી મજા, ક્યારેક..... પુરી જિંદગીની મજા બગાડી શકે છે, આપણી પણ અને આપણા પરિવારની પણ. - Shailesh Joshi

jagrut Patel pij

यूँ तेरे ज़िक्र मैं गुमान-ए-अदब फरमाता हूँ, मगर रूबरू मेहबूब मैं तुझें देख बेहद घबराता हूँ...

Dr Darshita Babubhai Shah

मैं और मेरे अह्सास कवि जो बात किसीसे न कह पाये वो खुले खुला l काग़ज़ में दर्दों गम को लिख दिल सिल रहा हैं ll "सखी" डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

Mamta Trivedi

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं https://youtu.be/omxmtkshW5c?si=nnGbFAIdpXWveHhp

Wow Mission successful

✨ जो गिरकर संभला है, वही तो मैदान में खड़ा है। वरना ऐसे तो हज़ारों परा हैं, पर जो फिर उठकर लड़ा है—वही तो कुछ करा है। 💪🔥

Agyat Agyani

स्त्री को गुरु बनना नहीं —गुरु को जन्म देना है स्त्री का काम गृह, गृहस्थी और समाज की नींव बनना है। जब स्त्री अपने मौलिक धर्म में स्थिर रहती है — तभी बुद्धि, कृष्ण, राम जैसे पुरुष प्रकट होते हैं। स्त्री का मूल स्वरूप श्री है। यदि वह ज्ञाता बन जाए, प्रदर्शन में उतर जाए — तो उसका अनुभव, उसकी मौन तरंग खो जाती है। स्त्री ऊर्जा की धरती है — हल्के पर्दे में खिली फुलवारी, सहज हरियाली, सौम्य नृत्य। जैसे धरती आक्रमण नहीं करती — किन्तु सब कुछ सहकर जीवन को जन्म देती है, वैसे ही स्त्री की ग्रहणशीलता, सहनशीलता और इंतजार तुच्छ नहीं — दैवीय गुण हैं। पुरुष दृष्टा है — जैसे सूरज केवल देखता है और धरती में अपने आप जीवन पनप उठता है। स्त्री केवल एक स्पर्श से वीणा बन जाती है — उसका संगीत मौन में खिलता है। ज्ञान देना — स्त्री के स्वभाव पर आक्रमण है। वह गुरु नहीं, गुरुओं की जन्मभूमि है। प्रथम गुरु माँ है — यदि वही दृष्ट, निर्मल और प्रेममयी हो, तो संतान राम बनती है, कृष्ण बनती है, महावीर बनती है। स्त्री की यात्रा प्रदर्शन नहीं — अनुभूति का मार्ग है। सफेद वस्त्र स्त्री का स्वरूप नहीं — वह तो रंगों की रोशनी है, नृत्य है, संगीत है, सृष्टि है। पुरुष केवल घोड़ा है — पर विजय स्त्री की होती है। राधा के बिना कृष्ण कहाँ? --- ✧ धर्म और आध्यात्म ✧ वेदों में — ऋग्वेद और उपनिषद् आध्यात्म हैं, शेष तीन वेद विज्ञान हैं। धर्म वह नहीं जो संस्थाएँ बेचें — धर्म वह संस्कार है जो माँ की गोद में मिलता है। जिसे बचपन में स्त्री से सच्चा संस्कार मिल जाए, उसे किसी संस्था, किसी व्यवसाय, किसी “आध्यात्मिक ब्रांड” की आवश्यकता नहीं रहती। क्योंकि वह अपने आप गुरु हो जाता है। --- ✧ अंतिम सत्य ✧ स्त्री को गुरु बनना नहीं — गुरु को जन्म देना है। और यही है उसका श्री-धर्म।

Soni shakya

🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏 ,🌹आपका दिन मंगलमय हो 🌹

Agyat Agyani

वेदान्त 2.0 — आधुनिक भारतीय दर्शन की एक नई दृष्टि वेदान्त 2.0 एक समकालीन और क्रांतिकारी दार्शनिक अवधारणा है, जिसे विशेष रूप से अज्ञात अज्ञानी जैसे आधुनिक विचारकों ने प्रस्तुत किया है। यह न पारंपरिक धार्मिक वेदान्त का पुनरावर्तन है और न किसी मत-मतांतर की पुनर्पैकिंग — यह वर्तमान क्षण से निकला जीवन का प्रत्यक्ष दर्शन है। यह दर्शन कहता है: > “जब जीवन पहली बार स्वयं को देखता है — बिना किसी पुस्तक, कल्पना या विश्वास की सहायता के — वहीं से वेदान्त 2.0 की शुरुआत होती है।” --- मुख्य विशेषताएँ अनुभव-आधारित सत्य यहाँ ब्रह्म, आत्मा, परमात्मा — ये अवधारणाएँ विश्वास की नहीं, प्रत्यक्ष अनुभूति की बातें हैं। धर्म या मार्ग नहीं — स्वभाव जैसे सूर्य प्रकाश देता है या वृक्ष छाया — वेदान्त 2.0 भी बिना किसी दावे, वाद या शास्त्र ग्रहण के स्वयं प्रकट होता है। आधुनिकता और ताज़गी यह सभ्यता, विज्ञान, स्त्री-चेतना और स्वतंत्रता को विरोध नहीं, संवाद और सृजन के रूप में अपनाता है। --- पारंपरिक वेदान्त और वेदान्त 2.0 में अंतर पारंपरिक वेदान्त वेदान्त 2.0 शास्त्र आधारित, श्रुति पर भरोसा अनुभव आधारित, प्रत्यक्ष सत्य लक्ष्य — मोक्ष, परमात्मा, मुक्ति लक्ष्य नहीं — जीवन का जागरण सामाजिक-धार्मिक ढाँचा साथ व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रमुख गुरु-परंपरा आवश्यक स्वानुभव ही गुरु --- समकालीन संदर्भ आज के कई विचारक — विशेषकर अज्ञात अज्ञानी और कुछ हद तक आचार्य प्रशांत — इसे सनातन धर्म की मूल आत्मा का आधुनिक पुनर्जागरण मानते हैं। यह समय, संस्कृति और रूढ़ियों की धूल झाड़कर असली, जिंदा, प्रत्यक्ष धर्म को फिर सामने लाता है। --- निष्कर्ष वेदान्त 2.0 हमें बुलाता है— > “अभी को देख। स्वयं को अनुभव कर। बिना कल्पना, बिना डर, बिना इतिहास।” यही इसकी सबसे बड़ी पहचान है — स्वतंत्रता, जिज्ञासा और मौलिकता।

Dakshesh Inamdar

પ્રકૃતિ આપે પ્રારબ્ધ.. 🌹

Vrishali Gotkhindikar

🥒हळदीच्या पानावरील 🥒 काकडीच्या रसातील पातोळे 🥒साहित्य एक मध्यम काकडी किसून एक वाटी तांदूळ पीठी हळद ,मीठ, जिरे ,बारीक चिरलेली मिरची हळदीची पाने तीन चार 🥒कृती प्रथम हळदीची पाने स्वच्छ धुवून पुसून घ्यावी काकडी किसून त्यात मीठ, हळद, जिरे घालून मिसळून घ्यावे दहा मिनिटात या मिश्रणाला पाणी सुटेल त्यात जितकी लागेल तितकी तांदुळ पिठी घालवी 🥒मिश्रण सरबरीत होण्यासाठी आवश्यक असल्यास थोडे पाणी वापरावे मिश्रण फार घट्ट अथवा फार पातळ नको हळदीच्या पानाच्या अर्ध्या भागावर हे मिश्रण लावून उरलेला अर्धा भाग त्यावर हलकेच दुमडावा खुप दाबू नये पान फाटण्याची शक्यता असते 🥒तवा तापवून त्यावर थोडे तेल लावावे व ही पाने तव्यावर भाजणे साठी ठेवावीत पानाची एक बाजू भाजून काळसर झाल्यावर दुसऱ्या बाजूने तसेच भाजून घ्यावे 🥒गरम गरम पातोळे तूप आणि लोणचे यासोबत खायला घ्यावे पानाची छान नक्षी यावर तयार होते हळदीच्या पानांचा खमंग वास घरभर सुटलेला असतो हे पातोळे अतिशय चविष्ट व खमंग लागतात 😋

GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)

मानव है इस जगत में, स्वयं के लिए मित्र । कभी- कभी खुद के लिए, बनता यही अमित्र।। दोहा--323 (नैश के दोहे से उद्धृत) ----गणेश तिवारी 'नैश'

Imaran

तुम मेरी कब्र पे रोने मत आना, मुझसे प्यार था ये कहने मत आना, दर्द दो मुझे जब तक दुनिया में हूँ, जब सो जाऊं तो मुझे जगाने मत आना 💔 imran 💔

Payal Author

जब तुम दिखे थे पहली बार मुझे नहीं पता वो पल इतना ख़ास क्यों था, पर जैसे ही मैंने तुम्हें देखा— मेरी दुनिया एक सेकंड के लिए रुक गई थी। तुम कुछ अलग नहीं कर रहे थे, बस अपनी ही दुनिया में चलते हुए आए थे, लेकिन मेरे दिल ने उसी वक्त तुम्हें पहचान लिया था। तुम्हारी मुस्कान… तुम्हारी आँखों की वो हल्की चमक… और तुम्हारे चेहरे पर फैली वो सादगी— सब कुछ इतना सच लगा, इतना अपना, जैसे मैं तुम्हें पहली बार नहीं, कई जन्मों बाद देख रही हूँ। उस दिन के बाद से, मैंने हजार बार खुद को समझाया कि ये सब बस एक एहसास है… पर हर बार जब तुम सामने आते हो, दिल फिर वही गलती कर देता है— थोड़ा ज़्यादा तेज़ धड़कने की, थोड़ा और तुम्हें देखने की, थोड़ा और गिरने की… तुम्हारी तरफ। तुम्हारे साथ कोई बड़ा moment नहीं हुआ, कोई फिल्मी scene नहीं, लेकिन तुम्हें देखना भी मेरे लिए किसी छोटी-सी दुनिया को पूरा कर देता है। शायद तुम नहीं जानते, पर जब तुम दिखे थे पहली बार— मेरी रूह ने चुपचाप तुम्हें पसंद करना शुरू कर दिया था। Payal

Kuldeep Singh

kuldip Singh ✍️

Nensi Vithalani

Is duniya mein koi kisi ka nahi hota… sab ka rishta bas matlab tak hi simit reh jata hai.

Tanya Singh

https://www.matrubharti.com/book/19984037/glass-dreams Kanch ke sapne. New story by me.

Tanya Singh

https://www.matrubharti.com/book/19983947/who-we-were-we-are-no-longer Hum jo the, ab nhi h. Here is new story.

Aachaarya Deepak Sikka

ॐ नमः शिवाय एकादशेश सप्तम भावस्थ एकादशेश यदि सप्तम भाव में हुआ तो लाभ ही लाभ। पत्नी से लाभ मित्रों से लाभ चाचा से लाभ बड़े भाई बहनों से लाभ साझेदारी से लाभ ये लाभ वो लाभ हर प्रकार के लाभ। पर रुको ज़रा सब्र करो कितना लाभ कमाओगे। कुछ नुकसान भी तो झेलने पड़ेंगे। अगर गुरु हुआ तो जीवनसाथी हरि बोल हरि बोल की माला जपे भक्ति में लीन। मतलब आपकी छुट्टी। अपने आप को सर्वज्ञानी और आप एक तुच्छ प्राणी। अगर शुक्र हुआ तो एकस्ट्रा मैरिटल अफेयर्स मतलब जीवन साथी परेशान। बुध हुआ तो साझेदार मित्र मंडली काम के अलावा सब कुछ करेगी। चंद्र हुआ तो जितना भी लाभ होगा वो कम ही लगेगा। कहीं से भी किसी से भी संतुष्टि नहीं। मन में और पाने की चाह। शनि हुआ तो कहना ही क्या लाभ प्राप्त तो होगा पर उस लाभ के लिए कितनी चप्पलें घिसनी पड़ेंगी वो तो सिर्फ शनि मर्ज ही जानते हैं। मंगल हुआ तो उतावलेपन से जिद्द से क्रोध से जल्दबाजी से लाभ वाभ सब बराबर कर देगा। सबको निबटा देगा। सूर्य हुआ तो जीवनसाथी की आग में जल जाएंगे। सांस लेने के लिए भी आज्ञा लेनी पड़ेगी। अपना कुछ नहीं जो है सब तेरा वाली बात रहेगी। कुछ त्रुटि हुई हो या कुछ कम ज़्यादा बोल दिया हो तो क्षमा करें। आचार्य दीपक सिक्का संस्थापक ग्रह चाल कंसल्टेंसी

Prisca Alpha

TIE WE DIE A rhyming poem There is a thread between our hearts, A bond no distance pulls apart, A flame that time cannot deny— We hold this tie, we die, we fly. It started soft, a quiet spark, A whispered light inside the dark. No matter how the storms passed by, Still you and I—tie we die. Through broken nights and heavy days, We walked in wildly different ways, Yet somehow love refused to lie; It held us close—tie we die. The world tried hard to make us break, To steal the dreams we dared to make, But every tear we learned to dry Just made us stronger—tie we die. This tie’s a ribbon through the pain, A bridge across the coldest rain. It lifts us when our fears run high, Keeps us alive—tie we die. It’s more than vow or simple word, More felt than spoken, sung, or heard. A sacred truth we can’t deny, A heartbeat shared—tie we die. When shadows fall across our name, And guilt or grief ignite their flame, We hold the rope and still we try, For love endures—tie we die. It’s in the way you call my soul, In how you help the broken whole, In how your voice becomes my sky, My reason why—tie we die. If distance rises like a wall, If people push for us to fall, If time demands we say goodbye, The thread still glows—tie we die. And when the last of days appears, When silence gathers all our years, When breath becomes a final sigh, Love holds on tight—tie we die. For bonds like this refuse to fade, They pass through life and death unmade, And even when our bodies lie, Our souls stay bound—tie we die. So walk with me through every storm, Through fractured nights and breaking dawn. Let no one steal the reasons why We choose this love—tie we die. Forever in your hand is mine, Across the stars, beyond the time, A vow the universe can’t deny— We rise as one—tie we die .

Ashish

Here is a clean, simple English review of the Gujarati play “Lolly & Pop” — written in a style useful for school reviews, drama clubs, or general understanding: ⭐ Review: Lolly & Pop (English Review – Clear, Simple & Stage-Friendly) “Lolly & Pop” is a light-hearted, family-friendly stage play that blends humour, emotions, and innocence through two charming characters — Lolly and Pop. The play is designed to entertain children and adults alike, while also delivering gentle life lessons. 🎭 Story & Theme The story revolves around Lolly and Pop, two fun-loving, curious, and mischievous friends who see the world differently. Their playful arguments, silly mistakes, and exciting adventures form the heart of the play. The themes include: Friendship & Trust Honesty & Understanding Childlike Imagination Teamwork Learning From Mistakes Even though the plot is simple, it carries an emotional core that highlights the beauty of childhood innocence. 👥 Characters Lolly Energetic, expressive, and emotional. Often acts before thinking. Represents spontaneity and fun. Pop Calm, sensible, and thoughtful. Helps Lolly understand the right way of doing things. Represents balance, wisdom, and patience. Their personalities contrast perfectly, creating natural comedy. 😂 Humour The play uses: Physical comedy Clever dialogues Situational humour Cute misunderstandings Children enjoy the visual jokes, while adults appreciate the smart punchlines. 🎨 Stage, Props & Music The set design is colourful and imaginative, making the play visually appealing. Props are simple but creatively used — perfect for a kid’s play. Background music and sound effects add rhythm and energy to every scene. ⭐ Performance Quality The actors bring warmth and charm to their roles. Expressions, timing, and interaction with the audience — especially children — make the play lively and engaging. Jaini Shah performed in show, her presence adds: Strong expression Clear dialogue delivery Natural stage confidence 💡 Message The play leaves children with a simple thought: “Being different is okay — as long as you care for each other.” It also encourages: Thinking before acting Respecting friends’ feelings Solving problems together 📝 Final Verdict “Lolly & Pop” is a delightful, colourful, and heart-warming play — perfect for schools, kids’ theatres, or family audiences. It entertains, teaches, and keeps everyone smiling from start to finish. Rating: ⭐⭐⭐⭐☆ (4/5) Fun, meaningful, and memorable!

બદનામ રાજા

एक दिन पाने कि व्याकुलता ओर ना पाने का दुख दोनों अर्थहीन हो जाते हैं... 🌸

સુરજબા ચૌહાણ આર્ય

💯✅

Bijoy C.b

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ShriSkkanda

om Namah Shivay Mahadevaya Namah Har har Mahadev 🙏🙏🙏

Paagla

PAAGLA – A heart that speaks through words. 💭✨ Sharing emotions, shayari, quotes, and stories that touch your soul. From love to pain, from motivation to dreams – here, every line is written to connect with your heart. ❤️📖

Sonu Kumar

प्रस्तावित “खम्बा” क़ानून आने से खनिज से जो रॉयल्टी इकट्ठा होगी वह सभी नागरिकों में बराबर बंटेगी। इससे प्रत्येक नागरिक को अनुमानित 3,000 रु हर महीने प्राप्त होंगे। evmhatao.com rrpindia.in https://www.facebook.com/mahaveer.jury/subscribenow?surface=pinned_comments

Nisha ankahi

मुश्किलों की भी एक हद है, और यक़ीन मानो— तुम्हारी हिम्मत उस हद से आगे की कहानी लिखेगी। - Nisha ankahi

S Sinha

रब का लाख लाख शुक्रिया है कि दिल को ऐसा बनाया है किसी ने दिल में क्या छुपाया है दिल की बात न कोई जान पाया है अगर दिल कभी बेनकाब हो जाए दुनिया में फसाद बेहिसाब हो जाए

Sudhir Srivastava

दोहा मुक्तक ****** मर्यादा ****** मर्यादा का अब कहाँ, रखता मानव ध्यान। कारण वो तो हो गया, आज बड़ा विद्वान। देख-देख कर सभ्यता, डरी हुई आज, कलयुग का यह ज्ञान है, या फिर है पहचान।। मर्यादा का ढोल क्यों, पीट रहे हैं आप। जान-बूझ या भूल कर, इतना ज्यादा पाप। नहीं जानते क्या भला, या बनते अंजान, कल में ही बन जायेगा, आज भूल अभिशाप।। ******* सभ्यता ******* आज सभ्यता रो रही, दोषी हैं हम-आप। नहीं ज्ञान का बोध है, शीश ले रहे पाप। जाने कैसा समय है, कैसे -कैसे लोग, आज स्वयं के नाम का, करते रहते जाप।। बता रही है सभ्यता, कैसे होंगे आप। करते कितना पुण्य हैं, कितना करते पाप। पर्दा जितना डालते, सब होता बेकार, कितना मिलता आपको, नित्य बड़ों का शाप।। ********* विविध *********** नाहक ही नाराज़ हो, क्या कर लोगे आप। दिलवा दूँ क्या आपको, मैं भी कोई शाप।। कहना मेरा मान लो, रहना यदि खुशहाल, आप यार यमराज का, करते रहिए जाप।। कुछ लोगों के रोग का, कोई नहीं इलाज। जिनके मस्तक है सजा, जूतों का नव ताज।। समझाना बेकार है, ये सब बड़े महान, करो खोज मिलकर सभी, क्या है इनका राज।। दीप पर्व देता हमें, नव जीवन संदेश। इस पावन त्योहार का, अद्भुत है परिवेश। राम प्रभो को कीजिए, आप सभी तो याद, मन से मित्र मिटाइए, अपने सारे क्लेश।। बेमानी है आपका, इतना सोच विचार। सबकी अपनी सोच है, अलग-अलग आधार। व्यर्थ आप हलकान है, लगता हमें विचित्र, बुद्धिमान इतने बड़े, समझ लीजिए सार।। राजनीति के रंग का, अजब-गजब है रंग। जनता भौचक देखती, होती दिखती दंग। इतनी भोली है नहीं, जितनी दिखती आज, कहना पड़ता इसलिए, पी रखी है भंग।। दर्शन पाने का नहीं, करिए आप विचार। अपने चाल चरित्र का, पहले देख विकार।। भला ढोंग से क्या कभी, होता है कल्याण, नहीं देखते स्वयं जो, अपने ही संस्कार।। चलो मृत्यु से हम करें, मिलकर दो-दो हाथ। आपस में सब दीजिए, इक दूजे का साथ। मुश्किल में मत डालिए, नाहक अपनी जान, वरना सबको पड़े, सदा पकड़ना माथ।। दिल्ली में विस्फोट से, दुनिया है हैरान। इसके पीछे कौन है, सभी रहे हैं जान। मोदी जी अब कीजिए, आर-पार इस बार, नाम मिटाओ धरा से, चाहे जो हो तान।। वो भिखमंगा देश जो, बजा रहा है गाल। शर्म हया उसको नहीं, भूखे मरते लाल। युद्ध सिवा उसको‌ नहीं, आता कोई काम, गलती उसकी है नहीं, पका रहा जो दाल।। सुधीर श्रीवास्तव

Sudhir Srivastava

हास्य-व्यंंग्य बेइज्जती का भारत रत्न ************ बिहार चुनाव परिणामों से आहत एक बड़ी पार्टी के स्वनाम धन्य युवराज ने हार के कारणों की समीक्षा बैठक में राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान किया, यह सुनकर बैठक में शामिल लोगों को सांप सूंघ गया। सब एक साथ उठकर खड़े हो गए और हाथ जोड़कर फरियाद करने लगे माई बाप हमें अनाथ मत कीजिए आप राजनीति से संन्यास मत लीजिए आपकी की अगुवाई में हम चुनाव ही तो हार रहे हैं पर मुफ्त में उल्टे सीधे आरोप भी तो आप खुल्लम खुल्ला लगा रहे हैं, और सबूत भी नहीं दे पा रहे हैं, बदनामी का ठीकरा अपने सिर पर लेने का इतिहास लिख रहे हैं, अपनी हरकतों से लोगों का ध्यान खींच रहे हैं अपने साथ औरों की भी तो लुटिया डुबो रहे हैं, अपनी पार्टी की हार का रिकॉर्ड बना रहे हैं, और तो और जमानत पर देश-विदेश घूमने का मजा भी तो आप ले रहे हैं। गलतियों पर गलतियाँ करते जा रहे हैं पर सबक सीखने को तैयार नहीं हैं अपनी मूर्खता का रिकार्ड बना रहे हैं। पर आप तो पैदाइशी शहंशाह है आप राजनीति से दूर जाने का ऐलान कर ये कैसा अपराध करने जा रहे हैं, सोचने समझने का काम विरोधियों और जनता का है, बैठे-बिठाए उन्हें एक नया मुद्दा दे रहे हैं। देश की चिंता, विकास की बात आप सोच नहीं सकते तब हँसी का पात्र बनने से भी दूर कैसे जा सकते हैं? हम सबको बेरोजगार करके आप खुश नहीं रह सकते। अभी तो पार्टी में बहुत जान है, इसकी अर्थी को काँधा देने से पहले चाहकर भी कहीं नहीं जा सकते। आपको हमारी बात माननी ही पड़ेगी, वरना हम अनशन, भूख हड़ताल, विरोध प्रदर्शन करेंगे देश भर में चक्का जाम करेंगे, पार्टी की अवमानना के लिए आपके खिलाफ न्यायालय की शरण में जाएंगे, आखिर आप से बड़ा बेवकूफ हम दूसरा कहाँ से लायेंगे? आप जो उल्टे सीधे ज्ञान बाँटते घूमते हो, समय पर एक भी काम नहीं करते हो, ऊपर से पीछा छुड़ाने का कुचक्र करते हो? हम बेवकूफ नहीं हैं, जो आपको जाने देंगे जब तक आपको खानदान सहित बेइज्जती का भारत रत्न नहीं दिलवा देंगे, पार्टी का अंतिम संस्कार आपके हाथों करवा कर ही दम लेंगे अपनी इस महान पार्टी का नाम इतिहास में लिखवाकर ही हम विश्राम लेंगे, और तब आपको राजनीति से दूर जाने की ससम्मान सर्वानुमति दे देंगे। सुधीर श्रीवास्तव

Khushi Kumari

❤️🌿 तेरी याद में हम जमाना भूल गए, तेरी खामोशी ने इस कदर तड़पाया हमें, कि सिर्फ गमों ने अपनाया हमें...और हम मुस्कुराना भूल गए, तुम भूल गए हमें,और हम भी तुमपर हक जताना भूल गए.... हां कि तेरी याद में हम जमाना भूल गए...!! ........ ✍️🌿खुशी ✍️🌿........

બદનામ રાજા

वो जो ना आनेवाला है ना हमें उससे मतलब था, आने वालो से क्या मतलब आते है, आते होंगे... ❤️‍🩹🌸

Shailesh Joshi

સંપૂર્ણ પ્રમાણિકતા સાથે કંઈ વિશેષ કરવાનો જો દ્રઢ નિર્ધાર કર્યો છે, તો પછી હતાશ ના થવું, કેમકે જીવનમાં એ સમય અવશ્ય આવશે. - Shailesh Joshi

Jyoti Gupta

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jyoti

"मैं" हा!मैं ये मेरी काल्पनिक दुनिया की छोटी सी कहानी है जिसमे मैं (लड़की) हर पल खुश रहती हूँ, एक जादू की छडी है जिससे सारे दुख चुटकी में भगा देती हूँ सच बताऊ तो मैं जैसे खुदको ही पालती हूँ..सुनने में अजीब है हेना! लेकिन मुझे ऐसा ही लगता है क्युकी मैं खुदको हर वो चीज़ सिखाती हूँ जो मुझे जन्नत की ओर ले चले.. मैं खुदको हर नकारात्मक बात से दूर रखती हूँ,कोई करे चुगली तो उन्हें चुटकुला सुना देती हूँ हा!दिखने में कुछ ज्यादा खास नहीं हूँ लेकिन मेरे लिए में किसी अप्सरा से कम नहीं हूँ हर बात ओर फैसले में दिल की जगह दिल, ओर दिमाग की जगह दिमाग का ही इस्तेमाल करती हूँ इसका मतलब है ना समझदार भी हूँ, हा! तो हूँ... खुद की तारीफ करने में कोई बुराई नहीं है सच में ये भी मैनें खुदको सबसे पहले सिखाया है खुद से प्रेम करुँगी तभी तो हर उस चीज़,हर उस इंसान से प्रेम कर पाऊँगी जो सच में मेरी जीवन का हिस्सा बनेंगे इसलिए मैंने खुद को खुद से प्यार करना सबसे पहले सिखाया है मैं जानती हूं कि जीवन में मैं अभी कामयाब नहीं हूँ उसके लिए अभी मुझे बहुत समय लगेगा बहुत मेहनत लगेगी लेकिन कामयाब बनने से पहले सफल बनने से पहले मैं अच्छी बनना चाहती हूँ ऐसी अच्छी इंसान जिसके पास खड़ा दूसरा इंसान सिर्फ मन में मेरे लिए ये सोचे की कुछ तो अलग ओर अच्छा है इस इंसान में... और रहीं बात कामयाब बनने की तो वो भी होगा ओर वो सब मेरी इस काल्पनिक दुनिया से बाहर हकीकत की दुनिया मे होगा क्युकी बिना किसी सपने के जीना ऐसा होगा कि बिना ईमान के इंसान चल रहा हैं इतनी बड़ी बड़ी बातें बोल दी तो ये मतलब नहीं है कि मैं अपने बचपन को छोड़कर बड़ी बनना चाहती हूँ ऐसा बिल्कुल नहीं हैं मेरे अन्दर वो छोट-ा सा ,प्यारा-सा बच्चे को में अपने पूरे जीवन में पालती रहूंगी, उसे ऐसे ही जीवन के नए- नए सलीके सिखाती रहूंगी ! और उस प्यारे से बच्चे को सबसे पहले प्यार करती रहूंगी और मैं अपने जीवन में वो सारे सपने पूरे करुँगी जो मैंने अभी तक देखे है ये मेरी कहानी है और मेरे सपने है ओर इन्हें पूरा करने में जी जान लगा दूंगी ओर जीवन जीना ही है तो इसे मजे से जीऊगी!! पढके बताना जरूर कैसा लगा मेरी जीवन का ये हिस्सा धन्यवाद!!🙏

Nirali patel

“हर न-मिली चीज़ नुक़सान नहीं होती… कुछ चीज़ें न मिलना भी ज़िंदगी का एक बड़ा तोहफ़ा होता है।”

Rahul Raaj

तुम्हे महसूस करना ही इश्क है मेरा.. छू कर मैने भगवान को भी नहीं देखा❤️

shivani singh

इस जगत में दो परिभाषाएँ कभी पूरी नहीं होतीं, कभी सार्थक नहीं होतीं – न सफलता की, न ख़ूबसूरती की। हर कसौटी पर खरी नहीं उतरतीं।इसलिए मैं फाड़ देती हूँ वह पन्ना जहाँ कोई इन दोनों को परिभाषित करने की चेष्टा करता है।

બદનામ રાજા

एक कहानी है, जिसमें ना होकर भी, होने का किरदार निभाया है हमने... 🌸

ek archana arpan tane

કેટલીક વાતો ને યાદો ભલે ન મળે જીંદગી માં પણ કયારેક જીવેલી યાદો નો ખજાનો જીવંત રહે છે. - ek archana arpan tane

Rahul Raaj

बहुत कुछ लिख लिख कर, मिटाया है मैंने, ठीक ना होने पर भी, अपना हाल... ठीक बताया है मैंने, बात बात पर अपने दिल को बहलाया है मैंने, अपनी सोच में ही खोकर, ना जाने कितनी रातों को जाग जाग कर बिताया है मैंने, कोई समझेगा नहीं ये हाल मेरा, बस इसी फ़िक्र में सबसे सब कुछ छुपाया है मैंने।।

Imaran

तुम मेरी कब्र पे रोने मत आना, मुझसे प्यार था ये कहने मत आना, दर्द दो मुझे जब तक दुनिया में हूँ, जब सो जाऊं तो मुझे जगाने मत आना 💔 imran 💔

Nensi Vithalani

Day, night, stress, joy — chai fits every chapter.☕️🫖

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