Gujarati Whatsapp Status | Hindi Whatsapp Status
Nirali patel

"Failure is the stepping stone to success."

Nithinkumar J

ദൂരം ❤️

Nithinkumar J

ദൂരം 🥰

Nithinkumar J

നന്ദി --------- നിങ്ങള്‍ക്കെന്റെ നന്ദി! കടന്നുവരിക. മഞ്ഞും മഴയും നഷ്ടമായ മുറിയിലേക്കിനി നിങ്ങള്‍ക്കു സ്വാഗതം. ഒറ്റവാക്കില്‍ നന്ദി നല്‍കി കണ്ണുകള്‍ മൂടുമ്പോള്‍, ഉള്ളംനിറയെ ഞാന്‍ നനഞ്ഞ മഞ്ഞും മഴയും. ----------------------- നിഥിന്‍കുമാര്‍ ജെ

jighnasa solanki

જય શ્રીકૃષ્ણ 🙏🙏 રાધે રાધે 🙏🙏

Rahul Raaj

साथ देने के समय ज्ञान नहीं दिया जाता... डूबते हुए इंसान को बचाया जाता है उस वक्त तैरना नहीं सिखाया जाता...!

DrAnamika

तेरी आँखों में जब भी अपना अक्स देखा महसूस हुआ कि इश्क़ भी साँस लेती है. #डॉअनामिका #हिंदी_का_विस्तार #हिंदी_पंक्तियाँ #हिंदी_शब्द #ऊर्दू_अलफ़ाज़

Anup Gajare

२०…"मैं उन ही का हूँ" _________________________________ हर किसी के हिस्से मैं नहीं आता। मेरा अपना ही एक हिस्सा है— सायं उतरती हवा की वो हल्की काँपती ठंड, जो छूते ही मौसम की आत्मा बन जाती है। गर्मी में दुबककर बैठने वालों, मैं शायद तुम्हारे हिस्से कभी न आ सकूँ। चाहो तो मेरी अस्त्र-सी सजी कलम ले लो— पर मैं, कलम विहीन होकर भी कंबल-विहीनों का ही रहूँगा। ठंड में सुबकते जीव मुझे पुकारते हैं— उन पर कंबल ओढ़ा दो, और मैं पूरा का पूरा तुम्हारा हो जाऊँगा। हर किसी की मुट्ठी में मैं नहीं समाता। मेरा अपना ही एक हिस्सा है— सायं ढलती हवा की वो हल्की काँपती ठंड, जो छूते ही मौसम की आत्मा बन जाती है। गर्मी में सिकुड़कर बैठने वालो, मैं शायद तुम्हारे हिस्से कभी न आ पाऊँ। चाहो तो मेरी अस्त्र-सी चमकती कलम ले लेना— पर मैं, कलम-विहीन होकर भी कंबल-विहीनों का ही रहूँगा। सर्द रातों में सुबकते जीव मुझे पुकारते हैं— “हम पर एक कंबल डाल दो…” और मैं अपने समूचे अस्तित्व के साथ उन्हीं का हो जाता हूँ। ______________________________________________

Nisha ankahi

चार-सू अँधेरा हो तो क्या, रौशनी बनने की ठान ले, जहाँ दुनिया रुक जाए, तू वहीं से नया आसमान ले। - Nisha ankahi

Soni shakya

""प्रेम कभी समाप्त नहीं होता, जो समाप्त हो जाए वह प्रेम था ही नहीं सिर्फ मन का एक भ्रम था"" - Soni shakya

Dada Bhagwan

Do you know that if a husband and wife both form a commitment to adjust with each other, they will find a solution? Read more on: https://dbf.adalaj.org/n2ifpWti #relationshp #relationshiptips #relationshpadvice #doyouknow #facts #DadaBhagwanFoundation

Soni shakya

"वो पल नहीं एक दुआ थी.. जब जिंदगी ने मुझे तुझसे मिलाया था.. तुम मिलेऔर हर चीज खूबसूरत लगने लगी.. 💕💕 - Soni shakya

Jyoti Gupta

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Sonu Kumar

राहुल गांधी को ईवीएम हटाओ सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष "श्री राहुल मेहता जी" #EvmBlackGlass डेमो देकर सब कुछ समझा दिए हैं! . उसके बावजूद भी वह देश की जनता से EVM के काले काँच और लाइट सेंसर की सच्चाई को लगातार छुपा रहा है!!

Saliil Upadhyay

It's the magic of your level of trust in the universe, that turns every single dream into reality..!

Shailesh Joshi

જવાની એ ઉજ્જ્વળ ભવિષ્યનું નિર્માણ કરવા માટે જરૂરી બળ, અને બુદ્ધિનું સિંચન કરવા માટેનો સમયગાળો છે, આ સમયગાળામાં ખોટી રીતે લીધેલી મજા, ક્યારેક..... પુરી જિંદગીની મજા બગાડી શકે છે, આપણી પણ અને આપણા પરિવારની પણ. - Shailesh Joshi

jagrut Patel pij

यूँ तेरे ज़िक्र मैं गुमान-ए-अदब फरमाता हूँ, मगर रूबरू मेहबूब मैं तुझें देख बेहद घबराता हूँ...

Dr Darshita Babubhai Shah

मैं और मेरे अह्सास कवि जो बात किसीसे न कह पाये वो खुले खुला l काग़ज़ में दर्दों गम को लिख दिल सिल रहा हैं ll "सखी" डो. दर्शिता बाबूभाई शाह

Mamta Trivedi

ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं https://youtu.be/omxmtkshW5c?si=nnGbFAIdpXWveHhp

Wow Mission successful

✨ जो गिरकर संभला है, वही तो मैदान में खड़ा है। वरना ऐसे तो हज़ारों परा हैं, पर जो फिर उठकर लड़ा है—वही तो कुछ करा है। 💪🔥

Agyat Agyani

स्त्री को गुरु बनना नहीं —गुरु को जन्म देना है स्त्री का काम गृह, गृहस्थी और समाज की नींव बनना है। जब स्त्री अपने मौलिक धर्म में स्थिर रहती है — तभी बुद्धि, कृष्ण, राम जैसे पुरुष प्रकट होते हैं। स्त्री का मूल स्वरूप श्री है। यदि वह ज्ञाता बन जाए, प्रदर्शन में उतर जाए — तो उसका अनुभव, उसकी मौन तरंग खो जाती है। स्त्री ऊर्जा की धरती है — हल्के पर्दे में खिली फुलवारी, सहज हरियाली, सौम्य नृत्य। जैसे धरती आक्रमण नहीं करती — किन्तु सब कुछ सहकर जीवन को जन्म देती है, वैसे ही स्त्री की ग्रहणशीलता, सहनशीलता और इंतजार तुच्छ नहीं — दैवीय गुण हैं। पुरुष दृष्टा है — जैसे सूरज केवल देखता है और धरती में अपने आप जीवन पनप उठता है। स्त्री केवल एक स्पर्श से वीणा बन जाती है — उसका संगीत मौन में खिलता है। ज्ञान देना — स्त्री के स्वभाव पर आक्रमण है। वह गुरु नहीं, गुरुओं की जन्मभूमि है। प्रथम गुरु माँ है — यदि वही दृष्ट, निर्मल और प्रेममयी हो, तो संतान राम बनती है, कृष्ण बनती है, महावीर बनती है। स्त्री की यात्रा प्रदर्शन नहीं — अनुभूति का मार्ग है। सफेद वस्त्र स्त्री का स्वरूप नहीं — वह तो रंगों की रोशनी है, नृत्य है, संगीत है, सृष्टि है। पुरुष केवल घोड़ा है — पर विजय स्त्री की होती है। राधा के बिना कृष्ण कहाँ? --- ✧ धर्म और आध्यात्म ✧ वेदों में — ऋग्वेद और उपनिषद् आध्यात्म हैं, शेष तीन वेद विज्ञान हैं। धर्म वह नहीं जो संस्थाएँ बेचें — धर्म वह संस्कार है जो माँ की गोद में मिलता है। जिसे बचपन में स्त्री से सच्चा संस्कार मिल जाए, उसे किसी संस्था, किसी व्यवसाय, किसी “आध्यात्मिक ब्रांड” की आवश्यकता नहीं रहती। क्योंकि वह अपने आप गुरु हो जाता है। --- ✧ अंतिम सत्य ✧ स्त्री को गुरु बनना नहीं — गुरु को जन्म देना है। और यही है उसका श्री-धर्म।

Soni shakya

🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏 ,🌹आपका दिन मंगलमय हो 🌹

Agyat Agyani

वेदान्त 2.0 — आधुनिक भारतीय दर्शन की एक नई दृष्टि वेदान्त 2.0 एक समकालीन और क्रांतिकारी दार्शनिक अवधारणा है, जिसे विशेष रूप से अज्ञात अज्ञानी जैसे आधुनिक विचारकों ने प्रस्तुत किया है। यह न पारंपरिक धार्मिक वेदान्त का पुनरावर्तन है और न किसी मत-मतांतर की पुनर्पैकिंग — यह वर्तमान क्षण से निकला जीवन का प्रत्यक्ष दर्शन है। यह दर्शन कहता है: > “जब जीवन पहली बार स्वयं को देखता है — बिना किसी पुस्तक, कल्पना या विश्वास की सहायता के — वहीं से वेदान्त 2.0 की शुरुआत होती है।” --- मुख्य विशेषताएँ अनुभव-आधारित सत्य यहाँ ब्रह्म, आत्मा, परमात्मा — ये अवधारणाएँ विश्वास की नहीं, प्रत्यक्ष अनुभूति की बातें हैं। धर्म या मार्ग नहीं — स्वभाव जैसे सूर्य प्रकाश देता है या वृक्ष छाया — वेदान्त 2.0 भी बिना किसी दावे, वाद या शास्त्र ग्रहण के स्वयं प्रकट होता है। आधुनिकता और ताज़गी यह सभ्यता, विज्ञान, स्त्री-चेतना और स्वतंत्रता को विरोध नहीं, संवाद और सृजन के रूप में अपनाता है। --- पारंपरिक वेदान्त और वेदान्त 2.0 में अंतर पारंपरिक वेदान्त वेदान्त 2.0 शास्त्र आधारित, श्रुति पर भरोसा अनुभव आधारित, प्रत्यक्ष सत्य लक्ष्य — मोक्ष, परमात्मा, मुक्ति लक्ष्य नहीं — जीवन का जागरण सामाजिक-धार्मिक ढाँचा साथ व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्रमुख गुरु-परंपरा आवश्यक स्वानुभव ही गुरु --- समकालीन संदर्भ आज के कई विचारक — विशेषकर अज्ञात अज्ञानी और कुछ हद तक आचार्य प्रशांत — इसे सनातन धर्म की मूल आत्मा का आधुनिक पुनर्जागरण मानते हैं। यह समय, संस्कृति और रूढ़ियों की धूल झाड़कर असली, जिंदा, प्रत्यक्ष धर्म को फिर सामने लाता है। --- निष्कर्ष वेदान्त 2.0 हमें बुलाता है— > “अभी को देख। स्वयं को अनुभव कर। बिना कल्पना, बिना डर, बिना इतिहास।” यही इसकी सबसे बड़ी पहचान है — स्वतंत्रता, जिज्ञासा और मौलिकता।

Dakshesh Inamdar

પ્રકૃતિ આપે પ્રારબ્ધ.. 🌹

Vrishali Gotkhindikar

🥒हळदीच्या पानावरील 🥒 काकडीच्या रसातील पातोळे 🥒साहित्य एक मध्यम काकडी किसून एक वाटी तांदूळ पीठी हळद ,मीठ, जिरे ,बारीक चिरलेली मिरची हळदीची पाने तीन चार 🥒कृती प्रथम हळदीची पाने स्वच्छ धुवून पुसून घ्यावी काकडी किसून त्यात मीठ, हळद, जिरे घालून मिसळून घ्यावे दहा मिनिटात या मिश्रणाला पाणी सुटेल त्यात जितकी लागेल तितकी तांदुळ पिठी घालवी 🥒मिश्रण सरबरीत होण्यासाठी आवश्यक असल्यास थोडे पाणी वापरावे मिश्रण फार घट्ट अथवा फार पातळ नको हळदीच्या पानाच्या अर्ध्या भागावर हे मिश्रण लावून उरलेला अर्धा भाग त्यावर हलकेच दुमडावा खुप दाबू नये पान फाटण्याची शक्यता असते 🥒तवा तापवून त्यावर थोडे तेल लावावे व ही पाने तव्यावर भाजणे साठी ठेवावीत पानाची एक बाजू भाजून काळसर झाल्यावर दुसऱ्या बाजूने तसेच भाजून घ्यावे 🥒गरम गरम पातोळे तूप आणि लोणचे यासोबत खायला घ्यावे पानाची छान नक्षी यावर तयार होते हळदीच्या पानांचा खमंग वास घरभर सुटलेला असतो हे पातोळे अतिशय चविष्ट व खमंग लागतात 😋

GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)

मानव है इस जगत में, स्वयं के लिए मित्र । कभी- कभी खुद के लिए, बनता यही अमित्र।। दोहा--323 (नैश के दोहे से उद्धृत) ----गणेश तिवारी 'नैश'

Imaran

तुम मेरी कब्र पे रोने मत आना, मुझसे प्यार था ये कहने मत आना, दर्द दो मुझे जब तक दुनिया में हूँ, जब सो जाऊं तो मुझे जगाने मत आना 💔 imran 💔

Payal Author

जब तुम दिखे थे पहली बार मुझे नहीं पता वो पल इतना ख़ास क्यों था, पर जैसे ही मैंने तुम्हें देखा— मेरी दुनिया एक सेकंड के लिए रुक गई थी। तुम कुछ अलग नहीं कर रहे थे, बस अपनी ही दुनिया में चलते हुए आए थे, लेकिन मेरे दिल ने उसी वक्त तुम्हें पहचान लिया था। तुम्हारी मुस्कान… तुम्हारी आँखों की वो हल्की चमक… और तुम्हारे चेहरे पर फैली वो सादगी— सब कुछ इतना सच लगा, इतना अपना, जैसे मैं तुम्हें पहली बार नहीं, कई जन्मों बाद देख रही हूँ। उस दिन के बाद से, मैंने हजार बार खुद को समझाया कि ये सब बस एक एहसास है… पर हर बार जब तुम सामने आते हो, दिल फिर वही गलती कर देता है— थोड़ा ज़्यादा तेज़ धड़कने की, थोड़ा और तुम्हें देखने की, थोड़ा और गिरने की… तुम्हारी तरफ। तुम्हारे साथ कोई बड़ा moment नहीं हुआ, कोई फिल्मी scene नहीं, लेकिन तुम्हें देखना भी मेरे लिए किसी छोटी-सी दुनिया को पूरा कर देता है। शायद तुम नहीं जानते, पर जब तुम दिखे थे पहली बार— मेरी रूह ने चुपचाप तुम्हें पसंद करना शुरू कर दिया था। Payal

Kuldeep Singh

kuldip Singh ✍️

Nensi Vithalani

Is duniya mein koi kisi ka nahi hota… sab ka rishta bas matlab tak hi simit reh jata hai.

Tanya Singh

https://www.matrubharti.com/book/19984037/glass-dreams Kanch ke sapne. New story by me.

Tanya Singh

https://www.matrubharti.com/book/19983947/who-we-were-we-are-no-longer Hum jo the, ab nhi h. Here is new story.

Aachaarya Deepak Sikka

ॐ नमः शिवाय एकादशेश सप्तम भावस्थ एकादशेश यदि सप्तम भाव में हुआ तो लाभ ही लाभ। पत्नी से लाभ मित्रों से लाभ चाचा से लाभ बड़े भाई बहनों से लाभ साझेदारी से लाभ ये लाभ वो लाभ हर प्रकार के लाभ। पर रुको ज़रा सब्र करो कितना लाभ कमाओगे। कुछ नुकसान भी तो झेलने पड़ेंगे। अगर गुरु हुआ तो जीवनसाथी हरि बोल हरि बोल की माला जपे भक्ति में लीन। मतलब आपकी छुट्टी। अपने आप को सर्वज्ञानी और आप एक तुच्छ प्राणी। अगर शुक्र हुआ तो एकस्ट्रा मैरिटल अफेयर्स मतलब जीवन साथी परेशान। बुध हुआ तो साझेदार मित्र मंडली काम के अलावा सब कुछ करेगी। चंद्र हुआ तो जितना भी लाभ होगा वो कम ही लगेगा। कहीं से भी किसी से भी संतुष्टि नहीं। मन में और पाने की चाह। शनि हुआ तो कहना ही क्या लाभ प्राप्त तो होगा पर उस लाभ के लिए कितनी चप्पलें घिसनी पड़ेंगी वो तो सिर्फ शनि मर्ज ही जानते हैं। मंगल हुआ तो उतावलेपन से जिद्द से क्रोध से जल्दबाजी से लाभ वाभ सब बराबर कर देगा। सबको निबटा देगा। सूर्य हुआ तो जीवनसाथी की आग में जल जाएंगे। सांस लेने के लिए भी आज्ञा लेनी पड़ेगी। अपना कुछ नहीं जो है सब तेरा वाली बात रहेगी। कुछ त्रुटि हुई हो या कुछ कम ज़्यादा बोल दिया हो तो क्षमा करें। आचार्य दीपक सिक्का संस्थापक ग्रह चाल कंसल्टेंसी

Prisca Alpha

TIE WE DIE A rhyming poem There is a thread between our hearts, A bond no distance pulls apart, A flame that time cannot deny— We hold this tie, we die, we fly. It started soft, a quiet spark, A whispered light inside the dark. No matter how the storms passed by, Still you and I—tie we die. Through broken nights and heavy days, We walked in wildly different ways, Yet somehow love refused to lie; It held us close—tie we die. The world tried hard to make us break, To steal the dreams we dared to make, But every tear we learned to dry Just made us stronger—tie we die. This tie’s a ribbon through the pain, A bridge across the coldest rain. It lifts us when our fears run high, Keeps us alive—tie we die. It’s more than vow or simple word, More felt than spoken, sung, or heard. A sacred truth we can’t deny, A heartbeat shared—tie we die. When shadows fall across our name, And guilt or grief ignite their flame, We hold the rope and still we try, For love endures—tie we die. It’s in the way you call my soul, In how you help the broken whole, In how your voice becomes my sky, My reason why—tie we die. If distance rises like a wall, If people push for us to fall, If time demands we say goodbye, The thread still glows—tie we die. And when the last of days appears, When silence gathers all our years, When breath becomes a final sigh, Love holds on tight—tie we die. For bonds like this refuse to fade, They pass through life and death unmade, And even when our bodies lie, Our souls stay bound—tie we die. So walk with me through every storm, Through fractured nights and breaking dawn. Let no one steal the reasons why We choose this love—tie we die. Forever in your hand is mine, Across the stars, beyond the time, A vow the universe can’t deny— We rise as one—tie we die .

Ashish

Here is a clean, simple English review of the Gujarati play “Lolly & Pop” — written in a style useful for school reviews, drama clubs, or general understanding: ⭐ Review: Lolly & Pop (English Review – Clear, Simple & Stage-Friendly) “Lolly & Pop” is a light-hearted, family-friendly stage play that blends humour, emotions, and innocence through two charming characters — Lolly and Pop. The play is designed to entertain children and adults alike, while also delivering gentle life lessons. 🎭 Story & Theme The story revolves around Lolly and Pop, two fun-loving, curious, and mischievous friends who see the world differently. Their playful arguments, silly mistakes, and exciting adventures form the heart of the play. The themes include: Friendship & Trust Honesty & Understanding Childlike Imagination Teamwork Learning From Mistakes Even though the plot is simple, it carries an emotional core that highlights the beauty of childhood innocence. 👥 Characters Lolly Energetic, expressive, and emotional. Often acts before thinking. Represents spontaneity and fun. Pop Calm, sensible, and thoughtful. Helps Lolly understand the right way of doing things. Represents balance, wisdom, and patience. Their personalities contrast perfectly, creating natural comedy. 😂 Humour The play uses: Physical comedy Clever dialogues Situational humour Cute misunderstandings Children enjoy the visual jokes, while adults appreciate the smart punchlines. 🎨 Stage, Props & Music The set design is colourful and imaginative, making the play visually appealing. Props are simple but creatively used — perfect for a kid’s play. Background music and sound effects add rhythm and energy to every scene. ⭐ Performance Quality The actors bring warmth and charm to their roles. Expressions, timing, and interaction with the audience — especially children — make the play lively and engaging. Jaini Shah performed in show, her presence adds: Strong expression Clear dialogue delivery Natural stage confidence 💡 Message The play leaves children with a simple thought: “Being different is okay — as long as you care for each other.” It also encourages: Thinking before acting Respecting friends’ feelings Solving problems together 📝 Final Verdict “Lolly & Pop” is a delightful, colourful, and heart-warming play — perfect for schools, kids’ theatres, or family audiences. It entertains, teaches, and keeps everyone smiling from start to finish. Rating: ⭐⭐⭐⭐☆ (4/5) Fun, meaningful, and memorable!

બદનામ રાજા

एक दिन पाने कि व्याकुलता ओर ना पाने का दुख दोनों अर्थहीन हो जाते हैं... 🌸

સુરજબા ચૌહાણ આર્ય

💯✅

Bijoy C.b

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ShriSkkanda

om Namah Shivay Mahadevaya Namah Har har Mahadev 🙏🙏🙏

Paagla

PAAGLA – A heart that speaks through words. 💭✨ Sharing emotions, shayari, quotes, and stories that touch your soul. From love to pain, from motivation to dreams – here, every line is written to connect with your heart. ❤️📖

Sonu Kumar

प्रस्तावित “खम्बा” क़ानून आने से खनिज से जो रॉयल्टी इकट्ठा होगी वह सभी नागरिकों में बराबर बंटेगी। इससे प्रत्येक नागरिक को अनुमानित 3,000 रु हर महीने प्राप्त होंगे। evmhatao.com rrpindia.in https://www.facebook.com/mahaveer.jury/subscribenow?surface=pinned_comments

Nisha ankahi

मुश्किलों की भी एक हद है, और यक़ीन मानो— तुम्हारी हिम्मत उस हद से आगे की कहानी लिखेगी। - Nisha ankahi

S Sinha

रब का लाख लाख शुक्रिया है कि दिल को ऐसा बनाया है किसी ने दिल में क्या छुपाया है दिल की बात न कोई जान पाया है अगर दिल कभी बेनकाब हो जाए दुनिया में फसाद बेहिसाब हो जाए

Sudhir Srivastava

दोहा मुक्तक ****** मर्यादा ****** मर्यादा का अब कहाँ, रखता मानव ध्यान। कारण वो तो हो गया, आज बड़ा विद्वान। देख-देख कर सभ्यता, डरी हुई आज, कलयुग का यह ज्ञान है, या फिर है पहचान।। मर्यादा का ढोल क्यों, पीट रहे हैं आप। जान-बूझ या भूल कर, इतना ज्यादा पाप। नहीं जानते क्या भला, या बनते अंजान, कल में ही बन जायेगा, आज भूल अभिशाप।। ******* सभ्यता ******* आज सभ्यता रो रही, दोषी हैं हम-आप। नहीं ज्ञान का बोध है, शीश ले रहे पाप। जाने कैसा समय है, कैसे -कैसे लोग, आज स्वयं के नाम का, करते रहते जाप।। बता रही है सभ्यता, कैसे होंगे आप। करते कितना पुण्य हैं, कितना करते पाप। पर्दा जितना डालते, सब होता बेकार, कितना मिलता आपको, नित्य बड़ों का शाप।। ********* विविध *********** नाहक ही नाराज़ हो, क्या कर लोगे आप। दिलवा दूँ क्या आपको, मैं भी कोई शाप।। कहना मेरा मान लो, रहना यदि खुशहाल, आप यार यमराज का, करते रहिए जाप।। कुछ लोगों के रोग का, कोई नहीं इलाज। जिनके मस्तक है सजा, जूतों का नव ताज।। समझाना बेकार है, ये सब बड़े महान, करो खोज मिलकर सभी, क्या है इनका राज।। दीप पर्व देता हमें, नव जीवन संदेश। इस पावन त्योहार का, अद्भुत है परिवेश। राम प्रभो को कीजिए, आप सभी तो याद, मन से मित्र मिटाइए, अपने सारे क्लेश।। बेमानी है आपका, इतना सोच विचार। सबकी अपनी सोच है, अलग-अलग आधार। व्यर्थ आप हलकान है, लगता हमें विचित्र, बुद्धिमान इतने बड़े, समझ लीजिए सार।। राजनीति के रंग का, अजब-गजब है रंग। जनता भौचक देखती, होती दिखती दंग। इतनी भोली है नहीं, जितनी दिखती आज, कहना पड़ता इसलिए, पी रखी है भंग।। दर्शन पाने का नहीं, करिए आप विचार। अपने चाल चरित्र का, पहले देख विकार।। भला ढोंग से क्या कभी, होता है कल्याण, नहीं देखते स्वयं जो, अपने ही संस्कार।। चलो मृत्यु से हम करें, मिलकर दो-दो हाथ। आपस में सब दीजिए, इक दूजे का साथ। मुश्किल में मत डालिए, नाहक अपनी जान, वरना सबको पड़े, सदा पकड़ना माथ।। दिल्ली में विस्फोट से, दुनिया है हैरान। इसके पीछे कौन है, सभी रहे हैं जान। मोदी जी अब कीजिए, आर-पार इस बार, नाम मिटाओ धरा से, चाहे जो हो तान।। वो भिखमंगा देश जो, बजा रहा है गाल। शर्म हया उसको नहीं, भूखे मरते लाल। युद्ध सिवा उसको‌ नहीं, आता कोई काम, गलती उसकी है नहीं, पका रहा जो दाल।। सुधीर श्रीवास्तव

Sudhir Srivastava

हास्य-व्यंंग्य बेइज्जती का भारत रत्न ************ बिहार चुनाव परिणामों से आहत एक बड़ी पार्टी के स्वनाम धन्य युवराज ने हार के कारणों की समीक्षा बैठक में राजनीति से संन्यास लेने का ऐलान किया, यह सुनकर बैठक में शामिल लोगों को सांप सूंघ गया। सब एक साथ उठकर खड़े हो गए और हाथ जोड़कर फरियाद करने लगे माई बाप हमें अनाथ मत कीजिए आप राजनीति से संन्यास मत लीजिए आपकी की अगुवाई में हम चुनाव ही तो हार रहे हैं पर मुफ्त में उल्टे सीधे आरोप भी तो आप खुल्लम खुल्ला लगा रहे हैं, और सबूत भी नहीं दे पा रहे हैं, बदनामी का ठीकरा अपने सिर पर लेने का इतिहास लिख रहे हैं, अपनी हरकतों से लोगों का ध्यान खींच रहे हैं अपने साथ औरों की भी तो लुटिया डुबो रहे हैं, अपनी पार्टी की हार का रिकॉर्ड बना रहे हैं, और तो और जमानत पर देश-विदेश घूमने का मजा भी तो आप ले रहे हैं। गलतियों पर गलतियाँ करते जा रहे हैं पर सबक सीखने को तैयार नहीं हैं अपनी मूर्खता का रिकार्ड बना रहे हैं। पर आप तो पैदाइशी शहंशाह है आप राजनीति से दूर जाने का ऐलान कर ये कैसा अपराध करने जा रहे हैं, सोचने समझने का काम विरोधियों और जनता का है, बैठे-बिठाए उन्हें एक नया मुद्दा दे रहे हैं। देश की चिंता, विकास की बात आप सोच नहीं सकते तब हँसी का पात्र बनने से भी दूर कैसे जा सकते हैं? हम सबको बेरोजगार करके आप खुश नहीं रह सकते। अभी तो पार्टी में बहुत जान है, इसकी अर्थी को काँधा देने से पहले चाहकर भी कहीं नहीं जा सकते। आपको हमारी बात माननी ही पड़ेगी, वरना हम अनशन, भूख हड़ताल, विरोध प्रदर्शन करेंगे देश भर में चक्का जाम करेंगे, पार्टी की अवमानना के लिए आपके खिलाफ न्यायालय की शरण में जाएंगे, आखिर आप से बड़ा बेवकूफ हम दूसरा कहाँ से लायेंगे? आप जो उल्टे सीधे ज्ञान बाँटते घूमते हो, समय पर एक भी काम नहीं करते हो, ऊपर से पीछा छुड़ाने का कुचक्र करते हो? हम बेवकूफ नहीं हैं, जो आपको जाने देंगे जब तक आपको खानदान सहित बेइज्जती का भारत रत्न नहीं दिलवा देंगे, पार्टी का अंतिम संस्कार आपके हाथों करवा कर ही दम लेंगे अपनी इस महान पार्टी का नाम इतिहास में लिखवाकर ही हम विश्राम लेंगे, और तब आपको राजनीति से दूर जाने की ससम्मान सर्वानुमति दे देंगे। सुधीर श्रीवास्तव

Khushi Kumari

❤️🌿 तेरी याद में हम जमाना भूल गए, तेरी खामोशी ने इस कदर तड़पाया हमें, कि सिर्फ गमों ने अपनाया हमें...और हम मुस्कुराना भूल गए, तुम भूल गए हमें,और हम भी तुमपर हक जताना भूल गए.... हां कि तेरी याद में हम जमाना भूल गए...!! ........ ✍️🌿खुशी ✍️🌿........

બદનામ રાજા

वो जो ना आनेवाला है ना हमें उससे मतलब था, आने वालो से क्या मतलब आते है, आते होंगे... ❤️‍🩹🌸

Shailesh Joshi

સંપૂર્ણ પ્રમાણિકતા સાથે કંઈ વિશેષ કરવાનો જો દ્રઢ નિર્ધાર કર્યો છે, તો પછી હતાશ ના થવું, કેમકે જીવનમાં એ સમય અવશ્ય આવશે. - Shailesh Joshi

Jyoti Gupta

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jyoti

"मैं" हा!मैं ये मेरी काल्पनिक दुनिया की छोटी सी कहानी है जिसमे मैं (लड़की) हर पल खुश रहती हूँ, एक जादू की छडी है जिससे सारे दुख चुटकी में भगा देती हूँ सच बताऊ तो मैं जैसे खुदको ही पालती हूँ..सुनने में अजीब है हेना! लेकिन मुझे ऐसा ही लगता है क्युकी मैं खुदको हर वो चीज़ सिखाती हूँ जो मुझे जन्नत की ओर ले चले.. मैं खुदको हर नकारात्मक बात से दूर रखती हूँ,कोई करे चुगली तो उन्हें चुटकुला सुना देती हूँ हा!दिखने में कुछ ज्यादा खास नहीं हूँ लेकिन मेरे लिए में किसी अप्सरा से कम नहीं हूँ हर बात ओर फैसले में दिल की जगह दिल, ओर दिमाग की जगह दिमाग का ही इस्तेमाल करती हूँ इसका मतलब है ना समझदार भी हूँ, हा! तो हूँ... खुद की तारीफ करने में कोई बुराई नहीं है सच में ये भी मैनें खुदको सबसे पहले सिखाया है खुद से प्रेम करुँगी तभी तो हर उस चीज़,हर उस इंसान से प्रेम कर पाऊँगी जो सच में मेरी जीवन का हिस्सा बनेंगे इसलिए मैंने खुद को खुद से प्यार करना सबसे पहले सिखाया है मैं जानती हूं कि जीवन में मैं अभी कामयाब नहीं हूँ उसके लिए अभी मुझे बहुत समय लगेगा बहुत मेहनत लगेगी लेकिन कामयाब बनने से पहले सफल बनने से पहले मैं अच्छी बनना चाहती हूँ ऐसी अच्छी इंसान जिसके पास खड़ा दूसरा इंसान सिर्फ मन में मेरे लिए ये सोचे की कुछ तो अलग ओर अच्छा है इस इंसान में... और रहीं बात कामयाब बनने की तो वो भी होगा ओर वो सब मेरी इस काल्पनिक दुनिया से बाहर हकीकत की दुनिया मे होगा क्युकी बिना किसी सपने के जीना ऐसा होगा कि बिना ईमान के इंसान चल रहा हैं इतनी बड़ी बड़ी बातें बोल दी तो ये मतलब नहीं है कि मैं अपने बचपन को छोड़कर बड़ी बनना चाहती हूँ ऐसा बिल्कुल नहीं हैं मेरे अन्दर वो छोट-ा सा ,प्यारा-सा बच्चे को में अपने पूरे जीवन में पालती रहूंगी, उसे ऐसे ही जीवन के नए- नए सलीके सिखाती रहूंगी ! और उस प्यारे से बच्चे को सबसे पहले प्यार करती रहूंगी और मैं अपने जीवन में वो सारे सपने पूरे करुँगी जो मैंने अभी तक देखे है ये मेरी कहानी है और मेरे सपने है ओर इन्हें पूरा करने में जी जान लगा दूंगी ओर जीवन जीना ही है तो इसे मजे से जीऊगी!! पढके बताना जरूर कैसा लगा मेरी जीवन का ये हिस्सा धन्यवाद!!🙏

Nirali patel

“हर न-मिली चीज़ नुक़सान नहीं होती… कुछ चीज़ें न मिलना भी ज़िंदगी का एक बड़ा तोहफ़ा होता है।”

Rahul Raaj

तुम्हे महसूस करना ही इश्क है मेरा.. छू कर मैने भगवान को भी नहीं देखा❤️

shivani singh

इस जगत में दो परिभाषाएँ कभी पूरी नहीं होतीं, कभी सार्थक नहीं होतीं – न सफलता की, न ख़ूबसूरती की। हर कसौटी पर खरी नहीं उतरतीं।इसलिए मैं फाड़ देती हूँ वह पन्ना जहाँ कोई इन दोनों को परिभाषित करने की चेष्टा करता है।

બદનામ રાજા

एक कहानी है, जिसमें ना होकर भी, होने का किरदार निभाया है हमने... 🌸

ek archana arpan tane

કેટલીક વાતો ને યાદો ભલે ન મળે જીંદગી માં પણ કયારેક જીવેલી યાદો નો ખજાનો જીવંત રહે છે. - ek archana arpan tane

Rahul Raaj

बहुत कुछ लिख लिख कर, मिटाया है मैंने, ठीक ना होने पर भी, अपना हाल... ठीक बताया है मैंने, बात बात पर अपने दिल को बहलाया है मैंने, अपनी सोच में ही खोकर, ना जाने कितनी रातों को जाग जाग कर बिताया है मैंने, कोई समझेगा नहीं ये हाल मेरा, बस इसी फ़िक्र में सबसे सब कुछ छुपाया है मैंने।।

Imaran

तुम मेरी कब्र पे रोने मत आना, मुझसे प्यार था ये कहने मत आना, दर्द दो मुझे जब तक दुनिया में हूँ, जब सो जाऊं तो मुझे जगाने मत आना 💔 imran 💔

Nensi Vithalani

Day, night, stress, joy — chai fits every chapter.☕️🫖

Agyat Agyani

✧ साधना का सबसे बड़ा धोखा ✧ Vedānta 2.0 © 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓣 𝓐𝓰𝓎𝓪𝓷𝓲 (पुरुष साधन-मार्ग की आत्म-आलोचना — ) पुरुष साधना के रास्ते पर चलता है — क्योंकि उसे लगता है: > “मैं साधन करूँगा → मैं सफल हो जाऊँगा → मैं आत्मा, ईश्वर, ब्रह्म को जीत लूँगा” यही पहला भ्रम है। इसी से अहंकार जन्मता है। --- साधना = सौदा साधना उपाय है, योजना है, मन का व्यापार है। > “मैं इतना करूँगा तो फल अवश्य मिलेगा” यह मंडी है — एक खरीद-बिक्री। कोई भजन बेचता है दूसरा मोक्ष खरीदता है। सौदा बन गया धर्म। --- साधना कभी पहुँचाती नहीं क्योंकि पहुँच मनुष्य का शब्द है। और मनुष्य जहाँ पहुँचता है वही आखिरी जेल बना लेता है। --- असली दुख = असली उपलब्धि यदि सचमुच भजन, दान, तपस्या सच्चे भाव से करे — तो पहले सब छीन लिया जाएगा: धन जाएगा नाम जाएगा आसरा जाएगा अहंकार टूट जाएगा यही फल है। यही ईश्वर का हाथ है। अगर तुम्हें सब मिल गया — तो साधना स्वार्थ थी। अगर सब खो गया — तो साधना सत्य बनी। --- पुण्य = सब छीन लेना अतीत की धारणा गलत है: > “पुण्य से खूब मिलेगा” सत्य यह है: पुण्य सब उतार लेता है। महिमा, प्रतिष्ठा, चमत्कार — ये सब रोग हैं। असली पुण्य — मनुष्य को खाली कर देता है। --- साधना → अहंकार का पावरबैंक आज साधना, दान, सेवा, धर्म अहंकार को और मजबूत कर रहे हैं: नाम बड़ा संस्था बड़ी प्रसिद्धि बड़ी और अंदर सब छोटा। यह उल्टा धर्म है। उल्टी गंगा। --- निष्कर्ष — तलवार जैसा > साधना जो मजबूत करे — वह पाखंड है। > साधना जो भिखारी बना दे — वही सत्य है। जब मनुष्य पूरी तरह लूट लिया जाएगा — तभी अनुभव उठेगा: > “मेरे पास कुछ भी नहीं — बस मैं ही बचा हूँ” और वहीं से ब्रह्मचय जन्मता है: > ना पाने की भूख ना खोने का डर सिर्फ जीना सिर्फ सत्य सिर्फ प्रेम सिर्फ रस --- सार रूप में > साधना संघर्ष है — मन की ब्रह्मचय सहज है — अस्तित्व की साधना वाले गुरु बन जाते संत बन जाते है, कुछ भी बन जाते है लेकिन कुछ नहीं होना सत्य है कुछ नहीं पाया यही सत्य की प्राप्ती है। बात बहुत उल्टी क्योंकि सत्य मन के विपरीत तब बात सत्य विपरीत है वही सत्य है, यदि मन की बुद्धि के मार्ग से ईश्वर आत्मा समाधि मिल जाती तब करोड़ों संन्यासी धर्मो में खड़े वे चाहिए इस्लाम हो हिन्दू जैन या बौद्ध हो कोई कही पहुंचा नहीं है सत्य वही है जो मन के विपरीत जाए। जो मन को अच्छा लगे — वह झूठ है। क्योंकि — अगर मन-बुद्धि के रास्ते से ईश्वर, आत्मा, समाधि मिलती, तो भाई — इतने संन्यासी, इतने धर्म, इतनी साधनाएँ, किसी न किसी की मंज़िल तो लग ही जाती! हिंदू, मुस्लिम, जैन, बौद्ध — लाखों साधु हजारों सालों से नियम, व्रत, तप, संयम, त्याग, जप — सब कुछ करते आए… पर कौन पहुँचा? गिनती के दो-चार… वो भी संस्थाओं से बाहर धर्म की दुकानों से दूर, अकसर अकेले, अकसर निन्दित। --- सत्य इतना दुर्लभ क्यों? क्योंकि — मन जहाँ जाता है, वहाँ मन ही रहता है। मन जिसके लिए दौड़ता है — वह मन की ही उपलब्धि होती है, अस्तित्व की नहीं। --- मन की सफलता = आध्यात्मिक असफलता मन जब जीतता है — आत्मा हार जाती है। इसलिए जहाँ मन को लाभ दिखे, यश मिले, मिठास मिले, सहारा मिले, चाहे धार्मिक ही क्यों न हो — यह मार्ग सत्य नहीं। --- सत्य उल्टा है मन कहे — जमा करो सत्य कहे — छोड़ दो मन कहे — बन जाओ सत्य कहे — मिट जाओ मन कहे — ऊपर उठो सत्य कहे — गहराई में डूबो मन कहे — मैं सत्य कहे — कौन मैं? --- इसलिए संसार में 99% अध्यात्म बस सजाया हुआ अहंकार है। लोग धार्मिक अहंकार में जीत रहे हैं — और अस्तित्व में हार। --- सच एक वाक्य में: > जो मार्ग मन को पसंद आए — वह धर्म नहीं, सौदा है। जो मार्ग मन को जला दे — वही मुक्ति है। --- वेदान्त 2.0दर्शन क्या कहता है? ✔️ साधना → मन को मजबूत ❌ आत्मा → मन को मिटा देता है ✔️ साधना लक्ष्य देती है ❌ आत्मा लक्ष्य ही खत्म कर देता है ✔️ साधना पहुँचाने का दावा ❌ आत्मा दिखाता है: कहीं पहुँचना ही नहीं --- इसलिए वही ज्योतिर्मय सत्य है: > जब उल्टा लगे — वही सही है

shradha nagavanshi

mara kuch jindgi ka panna adhura hai 😭😭

સુરજબા ચૌહાણ આર્ય

મિત્રો બોલીવુડ વાળાએ આપણી સંસ્કૃતિ નો દાટ વાળ્યો છે. મીરાં અને કૃષ્ણ નો પ્રેમ આત્મા નો પ્રેમ હતો, પ્રેમ સર્વવ્યાપી છે. ઘણા લોકો બોલીવુડ વાળા ને પોતાના પ્રેરણા સ્ત્રોત માનતા હોય છે. ભારતમાં કામ મરણ પથારીએ પડ્યો હતો આ બોલીવુડ વાળાએ અમૃત પાઈને જીવતો કર્યો છે. પ્રેમ ના નામે ફિલ્મોમાં ફક્ત અને ફક્ત કામ પીરસ્યો છે. રાત કો આઉંગા મે તુજે લે જાઉંગા મે. હમ તુમ એક કમરે મેં બંધ હો ઓર ચાબી ખો જાયે. હમ તુમ પિક્ચર દેખ રહે હો ઔર બીજલી ચલી જાય. સુબહ લેકર શ્યામ તક શ્યામ સે લેકર રાત તક રાત સે ફિર સુબહ તક તુજે પ્યાર કરું. મુજકો રાણાજી માફ કરના. આવા તો અનેક ગીતો છે આને પ્રેમ કહેવાય બોલીવુડ વાળાએ કામને પ્રેમ બનાવીને એવો પીસ્યો છે કે લોકોને લાગે છે ખરેખર આ જ પ્રેમ છે. કૃષ્ણ અને મીરાં વિશે આવુ લખવા વાળા અને બોલવાવાળા ને સજા થવી જોઈએ ✍🏼"આર્ય "

उषा जरवाल

जीवन में तीन प्रकार के लोगों को हमेशा याद रखिए - ॰ पहला, जिसने मुश्किल समय में आपकी मदद की । ॰ दूसरा, जिसने आपको मुश्किल समय में छोड़ दिया । ॰ तीसरा, जिसने आपको मुश्किल समय में डाला । उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी)

उषा जरवाल

मुझे भीड़ का हिस्सा बनना पसंद नहीं है । अपने लक्ष्य तक पहुँचने के लिए मेरी निष्ठा, परिश्रम एवं कार्यक्षमता ही पर्याप्त हैं । उषा जरवाल ‘एक उन्मुक्त पंछी’

Shraddha Panchal

प्रेम से भागता हुआ हर वो शख्स,, किस हद तक भागा होगा ,,,, “प्रेम में”🙏😇

સુરજબા ચૌહાણ આર્ય

પ્રેમને નેમ નહીં અને ઉહું ને ઓહડ નહીં સો પાણીનો રોટલો ને એક પાણીનું શાક કામને નાત ન હોય જ્ઞાન ને જાત ન હોય

Shraddha Panchal

માછલી પાણી વગર મળી જાય છે , પરંતુ પાણી માછલી વગર પણ શાંતિથી વહે જ છે, જીવન નું પણ એવું જ છે , માછલી બની ને પાણી વગર અધૂરા મરવું ,,,,, એના કરતા પાણી બની ને દુનિયા ની , કોઈ પણ ધરતી પર જગ્યા બનાવી ને વહેતું રહેવું 😄🥰

Miss writer

सालों बाद मुलाक़ात कुछ इस तरह हुई, हमारी नजरे झुकी हुई, और वो मुस्कुराते हुए, धड़कन तेज हो जाती थी, हर स्पीडब्रेकर पर, स्कूटी को पकड़े हुए भी एक झटके में उसने टकराने पर, जब अनजाने में ही सही, मेरा हाथ ढूंढ लेता था, उनका कंधा था वहीं, गाड़ी की तफ़्तर के साथ दोनों की दिल धक धक बढ़ने लगी, मैं उन्हें कस कर पकड़ने लगी, शायद आज दोनों प्यार का इजहार करने वाले थे, दिल की बात सामने वाले को बोलने वाले थे, मंजिल पहुंचते ही दिया उनको गुलाब, बदले में मुस्कुरा कर दिया उन्होंने जवाब ।

Raju kumar Chaudhary

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Bhavna Bhatt

સેવા કાર્ય... કેળા ખવડાવવાનો આનંદ

Gautam Patel

मातृभक्ति

Soni shakya

जिंदगी का सबसे खूबसूरत पल, मेरे कांधे पर रखा तेरा सर.. ये हवा भी इश्क की खुशबू में बदल जाती है, जब तू मेरे पासआकर यु चुपचाप बैठ जाती है.. 💞💞💞💞 - Soni shakya

Raj Phulware

IshqKeAlfaaz एक सामान्य...

Soni shakya

तेरी पायल की रून-झुन, जैसे प्रेम का कोई गीत.. मेरी रूह को मदहोश बनाती, तेरी पायल की रून-झुन..💞 soni shakya

Rahul Raaj

हर बार जब मैंने अपने जज़्बातों को मारकर खुद को बेरहम और पत्थरदिल बनाने की कोशिश की, जब सोचा कि अब किसी की परवाह नहीं करूँगा, अब बस खुद के लिए जियूँगा... तब अंदर कहीं एक टूटी-सी आवाज़ आई "नहीं भाई, तू ऐसा नहीं है..." तू वो है जो आधी रात खुद तन्हा रोकर भी सुबह किसी और के चेहरे पर हँसी लाने की कोशिश करता है। तू वो है जो अपने टूटे हुए हिस्सों को भी किसी और की उम्मीद बना देता है। तू वो है जो खुद हजार बार टूटा, लेकिन किसी और को टूटने नहीं. दिया। दुनिया ने कहा सख्त बनो, मतलबी बनो, पर दिल ने हर बार कहा "तू वो लड़का है जो दर्द में भी वफ़ा निभाता है, जो इग्नोर किए जाने के बाद भी फिक्र करना नहीं छोड़ता, जो छोड़ दिए जाने के बाद भी दुआ देना जानता है।" और यही तेरा सबसे बड़ा दर्द है... कि तू आज भी अच्छा रहना चाहता है, उस दुनिया में जहाँ अच्छाई की कमजोरी समझा जाता है

Rahul Raaj

कभी सोचता हूँ, तुझसे मिलना एक हादसा था या तक़दीर का लिखा, क्योंकि जितना तुझे चाहा, उतना तो खुद को भी नहीं चाहा...!! तेरे साथ बिताए हर लम्हे ने कुछ सिखाया कभी मुस्कुराना, तो कभी चुपचाप दर्द छुपाना आज तू साथ नहीं है, मगर तेरा एहसास हर रोज़ साथ होता है...!! तेरी यादें मारती हैं, के देख जो सबसे अपना था आज सबसे अजनबी बन बैठा है जिंदगी चाहे जितनी भी बदल जाए, मगर तू मेरी थी ये हक़ कोई नहीं छीन सकता ना शिकवा है तुझसे, ना नफ़रत...!! बस एक बात कहनी है अगर कभी तन्हा बैठे तो इतना ज़रूर याद करना, एक लड़का था जो तुझे दिल की गहराइयों से चाहता था और आज भी उसी सच्चाई से चाहता है...!

Nithinkumar J

ദൂരം

Nithinkumar J

ദൂരം ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

Nithinkumar J

ദൂരം 🥰🥰🥰🥰🥰🥰🥰

Nithinkumar J

ദൂരം

Nithinkumar J

തിരിഞ്ഞു ചിന്തിച്ചാല്‍... --------------- പിന്നിലേറെയുണ്ട് നിനവുകള്‍ നിനവുകള്‍ തീര്‍ത്ത മതിലുകള്‍ മതിലുകള്‍ക്കിരുപുറവും മഞ്ഞവെയിലിന്‍ പാടുകള്‍. മൂന്നു പതിറ്റാണ്ടിന്‍ ചരിത്രമുണ്ട് ചരിത്രത്താളില്‍പ്പടര്‍ന്ന കറുത്ത രക്തമുണ്ട്. എഴുതിത്തീരാത്ത താളുകള്‍ ഏറെയുണ്ട് അതില്‍ ഏറിയ പങ്കും പഴകിത്തുടങ്ങിയതിന് കഥകള്‍ അനവധിയുണ്ട്. ചുറ്റിത്തിരിയാന്‍ നേരമുണ്ട് ചുറ്റും കാഴ്ചകള്‍ നിരവധിയുണ്ട് എട്ടു ദിക്കിനറ്റത്തുവരെ ഒട്ടിയ കീശയുമായി ചുറ്റി തിരിഞ്ഞിട്ടുമുണ്ട്. അട്ടഹാസപ്പെരുമഴ പെയ്തുതോര്‍ന്നു ഒട്ടനവധി മുഖങ്ങള്‍ ഒഴുകി മാഞ്ഞു. ഓര്‍മത്താളില്‍ നനവില്ല ഓര്‍മത്തണ്ടില്‍ എരിവുമില്ല വര്‍ഷമെത്ര പെയ്തിറങ്ങി വരണ്ട മണ്ണ് കുളിരുകൊണ്ടു. നൂറല്ല; നൂറായിരം പുഞ്ചിരികള്‍ തേവി മാറ്റി നടന്നു തീര്‍ന്ന വഴികളേറെ കണ്ടു തീര്‍ത്ത നിഴലുകളേറെ പഴകിത്തുടങ്ങിയ ഉടുതുണിപോലെ അഴുകിത്തുടങ്ങിയ ഉടലുപോലെ മങ്ങിയ മുഖവും മാറാല പടര്‍ന്ന പുഞ്ചിരിയും ഒട്ടിയ കീശയില്‍ത്തിരുകി മുഖങ്ങള്‍ക്കു വലംവെച്ചൊന്ന് നോട്ടമെറിഞ്ഞു തീര്‍ക്കാം. കാഴ്ചയില്‍ പതിയാതെ കാലം കടന്നതൊക്കെയും കാറ്റിനു പറയാനൊരു കഥ മാത്രമോ? പന്ത്രണ്ടാണ്ട് പഠിച്ചും പന്ത്രണ്ടാണ്ട് അറിഞ്ഞും പലകുറി എണ്ണിയിട്ടും പലമുഖവും ദിശമാറി പോകയോ? കടലലകളില്‍ കരിയില വീണപോലെ കടലാസുവഞ്ചിയില്‍ കാറ്റുപിടിച്ചപോലെ ഞാനുമൊന്നൊഴുകട്ടെ ഞാനുമൊന്നുലയട്ടെ പരുക്കന്‍ പ്രതലത്തില്‍ തട്ടി നില്‍ക്കുംവരെയും ഒഴുകി നീങ്ങട്ടെ ഉലഞ്ഞറിയട്ടെ... ------------- നിഥിന്‍കുമാര്‍ ജെ

Nensi Vithalani

The Japanese Art of Kintsugi Break is not the end — it creates something more beautiful. Kintsugi teaches us that every crack has meaning. In Japan, broken pottery is repaired with gold — not to hide the damage, but to honour it. Life breaks us too, through loss and challenges. But every scar can become a golden line in our story. “What feels like the end is often the beginning of your most beautiful version.” — Nensi Vithalani

Anup Gajare

१९…“वाराणसी” ________________________________________ नदी के कगार पर समय आज भी अपनी राख झाड़कर उठता है — जैसे कोई प्राचीन श्वास नये शरीर में प्रवेश कर गया हो। भीड़ में एक आदमी है — कपड़ों में शहर की चमक, पर आँखों में सदियों का अँधेरा और प्रकाश साथ-साथ धड़कता हुआ। वह नंदी पर बैठा है — लेकिन यह नंदी अब पत्थर नहीं, स्टील और इंजन की गंध में पड़ा एक आधुनिक प्रतीक है, जिसके पहियों में कुचले हुए सपनों की जगह बिजली की नीली लकीरें दौड़ती हैं। उसके हाथ में त्रिशूल है — कोई हथियार नहीं, बल्कि एक विद्युत-धड़कन जो भीतर के अव्यवस्था को चीरते हुए ज़िंदगी के मूल तक पहुँचने की ज़िद करती है। वह आवेश में आगे बढ़ता है — पर लड़ने किसी से नहीं, अपने भीतर की टूटनों से, अपनी ही राख से जन्मे छाया-पशुओं से। गंगा के ऊपर फैली धुंध उससे पूछती है — “कहाँ जा रहे हो?” और वह उत्तर देता नहीं… क्योंकि वाराणसी में उत्तर नहीं दिए जाते, यहाँ उत्तर जिए जाते हैं। घंटों की आवाज़ काँच की इमारतों में गूंजती है, जैसे समय खुद भूल गया हो कि वह कितना पुराना है। यह शहर आधुनिक आदमी को भी अंदर से प्राचीन बना देता है — एक ऐसा प्राचीन जिसकी नसों में वर्तमान की बिजली बहती है और भविष्य की राख। वह नंदी पर आगे बढ़ता है, उसका त्रिशूल भीड़ को नहीं, सड़क पर बिखरी अपनी ही अनिश्चितताओं को चीरता है — ज़िंदगी की उस जिद को जो मरना नहीं चाहती, और उस डर को जो जन्म लेना नहीं चाहता। वाराणसी उसके पीछे-पीछे चलती है — घाटों की तरह, धूप से पके देवदार की तरह, एक अनंत प्रतिध्वनि की तरह। क्योंकि यहाँ हर आदमी आधुनिक होकर भी किसी न किसी जन्म का पुरातन यात्री होता है। और हर यात्री कभी न कभी नंदी पर बैठकर अपना त्रिशूल उठाता ही है — अंधेरे को चीरने के लिए, या खुद को देखने के लिए। यही वाराणसी है — जहाँ आदमी बदलता नहीं, बस स्वयं को पहचानने लगता है। नंदी पर बैठा वह आधुनिक आदमी जब मणिकर्णिका घाट के पास पहुँचता है, तो शहर अचानक एक अजन्मे शांत देवता की तरह अपनी साँस रोक लेता है। यहाँ धुआँ सिर्फ लकड़ियों का नहीं, सदियों के अधूरे सवालों का भी उठता है — जो हवा में मिलकर हर आग को एक ही भाषा में बदल देते हैं: सत्य। मणिकर्णिका, जहाँ जीवन की भीड़ मौत की लय में बदल जाती है, जहाँ समय अपना शरीर उतारकर राख की चादर ओढ़ लेता है। वह आदमी — आधुनिक, तेज़, तकनीक में डूबा — इस घाट पर आते ही अपने भीतर की अमरता को पहली बार मरते हुए महसूस करता है। त्रिशूल उसकी मुट्ठी में अब सिर्फ आवेश नहीं, बल्कि वह काँपता हुआ सत्य है जो कहता है — “सब कुछ अस्थायी है, पर जो भीतर जलता है वही अंतिम है।” नंदी के पहिए राख पर से गुजरकर एक धीर, गंभीर आवाज़ पैदा करते हैं — जैसे शहर स्वयं कह रहा हो, “यहाँ से गुजरने वाले खुद को पीछे छोड़ जाते हैं।” मणिकर्णिका की आग उसकी आँखों में उतरती है — कोई भय नहीं, बस एक ऐसा स्वीकार, जो इंसान को मनुष्य से अनुभव बना देता है। यह घाट हर आधुनिकता को पिघलाकर एक शुद्ध, निर्वस्त्र सच्चाई में बदल देता है: कि अंत ही वह दरवाज़ा है जिससे होकर जीवन एक नए अर्थ में प्रवेश करता है। वह आदमी नंदी पर बैठा, त्रिशूल थामे आगे बढ़ता रहता है — लेकिन अब आवेश नहीं, एक शांत-जलती हुई दृढ़ता के साथ। क्योंकि मणिकर्णिका घाट ने उसे सिखा दिया है — कि जो बुझता है वह मिटता नहीं, और जो जलता है वह बदल जाता है। यही वाराणसी है, और यही मणिकर्णिका — जहाँ आदमी अपनी मृत्यु देखकर पहली बार अपना जीवन समझ पाता है। _____________________________________

GRUHIT

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D K Rajani

कल "समय" मिलेगा यही सबसे बड़ा "भ्रम" है...! ~ D K Rajani

kapila padhiyar

એ ઈશ્વર! મન મુકીને વરસ તુ ભલે, ગમશે આમ ટીપે ટીપે વરસે તે નહીં ચાલે. દુઃખ આપવા જ છે તો દરિયા જેટલા આપ ને, આમ બુંદ બુંદ આપે તે નહીં ચાલે. એ ઈશ્વર! શું સમજે છે તું? આમ થોડા સુખમાં હું મલકાઇ તો શું હું તારી ચાલાકી નથી સમજી. જાણું છું તારી આ નક્કર દયાને, કયારે તું બાજી પલટે તે જ જાણ નથી બસ! આ સુખમાં પણ દુઃખનો અણસાર લાગે  છે બસ! મન મુકીને વરસ તુ ભલે, ગમશે આમ ટીપે ટીપે વરસે તે નહીં ચાલે ભુલ નહીં તું ઈશ્વર જન્મથી સમજું છું તને, દુઃખોની સાથે તું માઁ ની ગોદમાં મુકી ગયો. મારા ભાગ્યમાં દુઃખો તુ કંડારતો ગયો. ભલે આપ તું થોડા સુખ જીવનના, પણ, દુઃખ ખાલી ખોબો ભરીને ના દે. મન મુકીને વરસ તુ ભલે, ગમશે આમ ટીપે ટીપે વરસે તે નહીં ચાલે એ ઈશ્વર! એક ઈચ્છા છે મારી, તું ખાલી એકવાર મળ મને બસ. મને દે તકલીફોની મહેફીલો ઘણી ગમશે, મારા પોતાનાઓ ને સતાવે તુ તે નહીં ચાલે! મન મુકીને વરસ તુ ભલે, ગમશે આમ ટીપે ટીપે વરસે તે નહીં ચાલે!                                     કપિલા

Raju kumar Chaudhary

"LokSewa Master | Nepal Exam Prep | GK, Math, Reasoning & Grammar | Mock Tests & Study Notes | Government Job Preparation Tips | Stay Smart, Stay Ready!"

Raju kumar Chaudhary

"LokSewa Master | Nepal Exam Prep | GK, Math, Reasoning & Grammar | Mock Tests & Study Notes | Government Job Preparation Tips | Stay Smart, Stay Ready!"

Shweta Gupta

गजब है मुझमें तेरा वजूद, मैं खुद से दूर और तू मुझमें मौजूद... - Shweta Gupta

Shweta Gupta

“तेरे बिना सफर तो है, पर मंज़िल नहीं" - Shweta Gupta

Rahul Raaj

शादीशुदा से प्यार ! माना कि मुझे शादीशुदा से प्यार है, पर मैंने कभी भी उनके घर-गृहस्थी को तोड़ने का ख्याल तक नहीं किया। मेरा प्यार हमेशा उनकी मुस्कान तक, उनकी खुशियों की दुआ तक सीमित रहा, यह दिल निस्वार्थ भाव से बिना किसी लालच के चुपचाप उसे चाहता है, बस उनकी खुशी में सुकून ढूंढता है, और मेरी ये मोहब्बत उम्रभर कायम रहेगी।

Rahul Raaj

tu.. mere liye humesa khas hai aur rahega... uske liye mujhe koi status or story ki jarurat nahi..

Kamini Shah

અહો! કેવું સરસ નજરાણું ભુખ્યાં માટે ભર્યું તરભાણું… -કામિની

Kuldeep Singh

kuldip Singh ✍️

Dada Bhagwan

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Bharat Ahir

સંગ હોય તું તો દરેક મોસમ વસંત લાગે, ભીની લટોમાં મનને મોહતી સુવાસ લાગે, આંખોના એ કાજળમાં ઘેરાયેલું આકાશ લાગે, હોઠોના મલકાટમાં ઉપવનની સુંદરતા લાગે, ન બોલાયેલા શબ્દોમાં પણ સ્નેહ અપાર લાગે, એક હળવો સ્પર્શ પણ દિલને આરપાર લાગે... ✍🏻✍🏻 ભરત આહીર

Dinesh

*🙏જય બાબા સ્વામી*🙏 *આજનો સુવિચાર* જીવનમાં મોટાંભાગે નિષ્ફળતા બે કારણોથી મળે છે. એક વગર વિચારે કરેલ કામોથી અને બીજું માત્ર વિચારતાં જ રહી, ને ન કરેલાં કામોથી. *શુભ સવાર*

સુરજબા ચૌહાણ આર્ય

સુપ્રભાત મિત્રો ઘઉં ખાવાથી વજન વધે છે એટલે મેં 1 વર્ષ માટે રોટલી ખાવાનું બંધ કર્યું છે. ઘઉં ની જગ્યાએ બાજરી નો રોટલો ખાઈશ તમે પણ વજન ઉતારવા માટે આ પ્રયોગ કરી શકો છો.સવારે ખાલી પેટે એક ગ્લાસ પાણી માં દસ તુલસીના પાન અને એક ચપટી હળદર નો ઉકાળો બનાવીને પીવાનો દિવસ માં ફક્ત બે વખત જમવાનું બપોરે 1 બાજરીનો રોટલો અને રાતે ખીચડી અને 1 ગ્લાસ ધૂધ. લસણ ડુંગળી બંધ ધાર્મિક ગ્રંથો વાંચવાના હોય એટલે મોબાઈલ માં તો હું આમ સાહિત્ય શિવાય કઈ જોતી નથી રિલ્સ તો ક્યારેય નહીં . પ્રશાંત સર, નેહલ ગઢવી, અંકિતા મુલાણી, સ્વામી જ્ઞાન વત્સલ, રાજભા ગઢવી, ભીખુદાન ગઢવી, સ્વામી હરિસ્વરૂપદાસ, પ્રેમાનંદ,ના વિડીયો જોઉં અને લેખકો માં વેદવ્યાસ, તુલસીદાસ, ઝવેરચંદ મેઘાણી, કવિ કાગ. વગેરે ને સાંભળું છું વાંચું છું. મારું અંગત રીતે એવુ માનવું છે. વસ્ત્ર માં ડાઘ હોય તો ચાલે પણ ચારિત્ર માં ડાઘ ના હોવો જોઈએ અને તમને કેટલા લોકો ફૉલો કરે એ મહત્વ નું નથી પણ તમે કોને ફૉલો કરો છો એ મહત્વ નું છે. અને હું ભગવાન રામ ને ફૉલો કરું છું પ્રેમ કરું છું. આશાપુરા અને રામના નામનો જાપ પણ કરું છું 🙏🏼જય સીયારામ 🙏🏼✍🏼"આર્ય "

Jyoti Gupta

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Imaran

तुम्हें कभी पूरा लिखूँ कभी अधूरा लिखूँ मैं रातों में बैठकर तुम्हें सवेरा लिखू़ँ मैं जब भी लिखूँ बस इतना लिखूँ मुझे तेरा और तुझे मेरा लिखूँ 🖊️ imran 🖊️

ડો. માધવી ઠાકર

ગુલાબી ઝાકળ રોજ સવારે પાંદડા સ્પઁશતો શ્વાસ સવારે. - ડો. માધવી ઠાકર ✍️

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