Gujarati Whatsapp Status |
Hindi Whatsapp Status
Rahul Raaj
भ्रम में जी रहे है लोग.. ये मेरा है वो मेरा है.. करके..
पर सच तो ये है यहां कुछ भी किसी का नहीं रह जाएगा..
Chaitanya Joshi
કૈંક ગમે એવી વાત કરને.
શબ્દો રમે એવી વાત કરને.
સંબંધોનાં સમીકરણો છોડ,
વેદના શમે એવી વાત કરને.
આપણું બની જાય સઘળું,
મારું તારું ટળે એવી વાત કરને.
ખૂબ થાક્યા શોધી શોધીને,
ઉંબરે જ મળે એવી વાત કરને.
મોલભાવ તો વધ્યા માનવતાના,
સૌને પરવડે એવી વાત કરને.
ચૈતન્ય જોષી "દીપક" પોરબંદર.
DrAnamika
खुरदरी रेत पर सीपियां बहकर आ रहीं
उन्हें फर्क़ नहीं,मोतियों का साथ ला रहीं
#डॉअनामिका #हिंदी_शब्द #हिंदी_का_विस्तार #हिंदी_पंक्तियाँ #ऊर्दू_अलफ़ाज़ #गायत्री_शक्ति_पीठ
#द्वारकाधीश_की_जय
અશ્વિન રાઠોડ - સ્વયમભુ
શિર્ષક: "શિયાળાની સવાર"
ધીમે ધીમે ઊઘડે આભ, ને પૃથ્વી પર પથ્થરાય ધુમ્મસ.
ઓસની બુંદો ઝાકળ બની, જાણે ચમકીલી ફાનસ,
સૂર્યની કિરણોની કૂણી ઉષ્મા, શરીરને આપે નવો સ્પર્શ,
ટાઢો પવન મંદ મંદ વાય, એ સવારનો કેવો હર્ષ!
આંગણે રમતી પારેવડીઓ, ટપ ટપ દાણા ચણતી,
શેરીના રસ્તે ધીમી ગતિએ, ઠંડીમાં મોજ કરતી.
ઘરમાંથી આવે ચાની સુગંધ, ને ગરમ ફાફડાની લિજ્જત,
રજાઈમાં લપાઈ રહેવાની, આપડી કેવી ખીજજત.
ખેતરોમાં લીલાછમ પાક, ને ઠંડી હવા નો આવકાર,
વૃક્ષોનાં પાંદડાં પીળાં થઈ, ખરી પડ્યાં ત્યજી પોતાનો શણગાર.
પોખના દાણા શેકાતા લઈ દેશી ભઠાનો સાથ,
એક મેકના સથવારે માણતા મિત્રો સૌનો સાથ.
શિયાળાની આ સવાર, જીવન જીવવાની ચાહ,
મન મૂકીને માણી લઈએ, "સ્વયમ’ભુ’" આ કુદરતની વાહ!
અશ્વિન રાઠોડ "સ્વયમ’ભુ’"
Dada Bhagwan
Do You Know that reciting the mantras simply prevents you from binding sins or deviating to a wrong path? Even past karmas will be minimized.
Read more on: https://dbf.adalaj.org/jdjvtCZR
#facts #spirituality #spiritual #doyouknow #karma #DadaBhagwanFoundation
Jyoti Gupta
#AnandDham
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#BankVibes
Kamini Shah
સૂરજ પણ આભેથી હવે
મોડો ડોકાય છે
હેમંતની ઠંડક કદાચ તેને
પણ વર્તાય છે…
-કામિની
Imaran
चाह थी हर खुशी नसीब हो;
हर मंज़िल दिल के करीब हो;
वाहा ख़ुदा भी क्या करे;
जहाँ इंसान ही बदनसीब हो
💔 imran 💔
Saliil Upadhyay
जीवन में अगर हम दूसरों की सफलता को स्वीकार नहीं करते, तो वो ईर्ष्या बन जाती है... और अगर स्वीकार कर लें, तो वही प्रेरणा बन जाती है...!
- Saliil Upadhyay
Vrishali Gotkhindikar
माझे शब्द.....
माझे शब्द ..तुला नेहेमीच वाटतात.."कुरबुर"
....जेव्हा ते तक्रार..करत असतात...तुझ्या उशीराविषयी...
माझे..शब्द..तुला नेहेमीच वाटतात.."अडसर"
...तुझ्या..माझ्या नात्यातला..आपल्या प्रेमातला...
माझे शब्द..तुला नेहेमीच वाटतात"अडथळा"..
..जेव्हा,.तुला व्यक्त..करायच असत माझ्यावरच खर खर प्रेम..!!
माझे शब्द असतात.."निष्फळ"..आणी,.."नाकाम"
..जेव्हा तुझ्या डोळ्यातली ओढ..माझ्या डोळ्याना पण कळत असते.!
अखेर..मीच त्याना बसवते.."दटावुन",आणी "दामटुन"
मनाच्या एका कोपर्यात...
तेही..होतात.."हिरमुसले",.."ओशाळवाणे"..आणी "नाराज"
आणी मग येतो तो एक 'उन्मादक "क्षण...!!
जेव्हा माझ्या शब्दाना तुझे ओठच ..घेतात टिपुन..
"अलगद'..माझ्या.च..ओठावरुन....
आणी मग त्याना लाभते......
एक" चिरंतन"..आणी " अमर "आस्तित्व.!!!
!... ❤❤
*****************व्रुषाली....
Vrishali Gotkhindikar
#गुळपापडी
♦️द्वी धान्य गुळ पापडी
पौष्टिक, चविष्ट आणि अगदी सोपी, कमी वेळात तयार होणारी 😊
♦️साहित्य
राजगिरा पीठ एक वाटी
नाचणी पीठ एक वाटी
एक वाटी गुळ
वेलदोडे पूड एक चमचा
दोन चमचे तूप
♦️ कृती
प्रथमकढई मध्ये तुपात दोन्हीं पीठे खमंग वास येईपर्यंत भाजुन घ्यावी
पीठे खाली काढून कढईत थोडे तूप व एक वाटी गूळ घालावा
♦️गुळ वितळला की ताबडतोब कढई खाली उतरवावी व दोन्ही पीठे मिसळून वेलदोडे पावडर घालावी
एकसारखे करून गोळा करून घ्यावा
तूप लावलेल्या थाळीत पसरून घ्यावे
वरून कोरडे किसलेले खोबरे थापून घ्यावे
♦️गार झाल्यावर आवडीच्या आकारात वड्या कापाव्यात
Shailesh Joshi
હું મારા જીવનમાં ફલાણું કરવા માંગુ છું, કે ઢીંકણું કરવા માંગુ છું,
આ વિચારને પકડી રાખનાર વ્યક્તિને
એના જીવનમાં બીજા કોઈ ઝાઝા પ્રશ્નો નથી હોતા, બાકી જે લોકો પોતે
એમના જીવનમાં શું કરવા માગે છે ? એ વિચાર નિત બદલે રાખે છે,
એમને તો રોજેરોજ નવા નવા તાજા તાજા ફ્રેશ પ્રશ્નો મળી રહે છે. 😂
- Shailesh Joshi
Shraddha Panchal
लोग सब कुछ ,
बहुत कुछ ,
बटोर ने में लगे है ,
“ खाली हाथ लौट ने के लिए “
सच बात है ना ????😇
Apurv Adarsh
Mee
M - mind
e- eye
e- ear
A perfect balanced use of these three can make ur life much better
Bharat Ahir
*દિલની ધડકન મારી પણ ધીમી હશે,*
*જ્યારે આંખ તારી ભીની હશે..*
*તું વેદનાની વાત છુપાવીશ મારાથી..*
*પ્રિયે….મારી પણ આંખ ભીની હશે...!!*.. ✍🏻✍🏻 ભરત આહીર
Dr Darshita Babubhai Shah
मैं और मेरे अह्सास
नई कलम नया कलाम
नई कलम नया कलाम पटल पर चहक रहा हैं l
हर कोई कविता लिखते लिखते बहक रहा हैं ll
छाँद, प्रास, लय और ताल के साथ मिलकर l
हर शब्द कवि की रचनाओ में महक रहा हैं ll
"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह
Mamta Trivedi
ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
कविता का शीर्षक है 🌹 जीवन के मेले
Dinesh
*🙏જય બાબા સ્વામી*🙏
*આજનો સુવિચાર*
વાંચેલા જ્ઞાન કરતાં, વેઠેલી પરિસ્થિતિ વધારે શીખવી જતી હોય છે.
*શુભ સવાર*
Soni shakya
🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏
bhuvana
If You Control Your Mind,
You Can Change
Your Life.....!
Sonu Kumar
वोट वापसी जिला पुलिस अधीक्षक कानून, जूरीकोर्ट
नारको टेस्ट इन पब्लिक
जैसे कानून लागू होने पर इस तरीके की संभावना है बहुत कम रहेगी l
थाना प्रभारी ने वकील और उसकी मां-बहन को डंडे, बेल्ट जो मिला उससे पीटा, अधिवक्ताओं के हमले से सिपाही घायल | Patrika News | हिन्दी न्यूज https://share.google/M90gOiZmo2HE843Wh
..
अब ला इलाज हो गए है देव बाबू
एक टूटती हुई जिंदगी की गवाह सा हूं ....
कभी सुकूं कभी तबाह सा हूं ....
अब ला इलाज हो गए है देव बाबू
भलाई करके भी गिनती बुराईयों में हुई
फिर कभी अच्छा बनने की ख्वाहिश ही नहीं हुई ...
ધબકાર...
લાગણીઓનું ઝરણું વહેતું અટકાયુ જયારે,
આંખોમાંથી અમી સારી પડ્યા હતા ત્યારે.
ધબકાર...
Mamta Meena
उठती ही नहीं निगाहें किसी और की तरफ, एक शख्स के लिए मेरा इश्क मुझे इस तरह पाबंद कर गया ।
- Mamta Meena
Shweta Gupta
ठहरना वही, जहां रूह मुस्कुरा दे !
- Shweta Gupta
Amreen Khan
ज़िंदगी… जितनी लंबी लगे, उतनी ही छोटी भी है।
कभी हम सफ़र में इतने खो जाते हैं कि मुस्कुराना भूल जाते हैं।
कभी हालात हमें इतना झकझोर देते हैं कि लगता है जैसे खुश रहना अब हमारी किस्मत में नहीं।
लेकिन सच तो ये है कि खुशी कोई किस्मत का खेल नहीं—ये हमारे दिल का फैसला है।
कुछ लोग होते हैं न?
जो टूटी हुई चीज़ें जोड़ लेते हैं,
टूटी बातों को हंसी में बदल लेते हैं,
और दुखों को ऐसा फेंक आते हैं जैसे किसी पुराने कपड़े की जेब में पड़ा कागज़ हो।
ऐसे लोग जान लेते हैं कि जिंदगी चाहे जितनी कठिन हो जाए…
हंसना नहीं छोड़ना चाहिए।
—
🌿 1. खुश रहना हालात का नहीं, नज़रिये का खेल है
हर किसी की जिंदगी में संघर्ष होते हैं—
किसी के पैसे की चिंता,
किसी के रिश्तों की उलझनें,
किसी के दिल की थकान,
किसी की उम्मीदों का दबाव।
लेकिन फर्क सिर्फ इतना होता है कि
कुछ लोग इन ग़मों को अपने चेहरे पर ले आते हैं,
और कुछ लोग इन्हीं ग़मों को अपने हौसले के पीछे छुपा लेते हैं।
ये लोग जानते हैं कि—
“दुनिया आँसू देखने में नहीं, मुस्कान देखने में ज़्यादा दिलचस्पी रखती है।”
—
✨ 2. हँसी… हमारी दवा भी, हमारी ढाल भी
वैज्ञानिक तौर पर भी हँसी एक therapy है—
ये दिल को हल्का करती है,
सोच को दुरुस्त करती है,
और अंदर का डर कम करती है।
लेकिन दिल की भाषा में कहें तो—
हँसी वो रोशनी है, जो परेशानियों के अंधेरे को चीर देती है।
कभी-कभी किसी का छोटा सा मज़ाक,
किसी दोस्त की हंसी,
या खुद अपनी बोली हुई कोई मज़ेदार line—
किसी पूरे दिन को खूबसूरत बना देती है।
—
☀️ 3. जिंदगी वही है, जो आप उसे बनाते हो
सोचिए…
अगर हम हर चीज़ दिल पर ले लें,
हर बात का जवाब दें,
हर इंसान से उम्मीदें रखें—
तो हम खुद को ही थका देंगे।
हल्का रहना एक कला है।
छोड़ देना भी एक हुनर है।
और हँसते रहना…
सबसे बड़ा साहस है।
क्योंकि जो इंसान हँस सकता है,
वही जिंदगी को जीत सकता है।
—
🌸 4. Hasi-Mazak रिश्तों में चिंगारी जगा देता है
घर वही होता है जो आवाज़ों से भरा हो—
हँसी की आवाज़,
चुटकुलों की आवाज़,
कभी किसी की नोक-झोंक,
कभी किसी का प्यार भरा तंज़।
जब लोग एक-दूसरे के सामने सहज हो जाते हैं,
मज़ाक करते हैं,
खुलकर बातें करते हैं—
तो रिश्तों में ठंडक नहीं, गर्माहट आती है।
याद रखिए—
रिश्ते तकरार से नहीं टूटते,
पर चुप्पी से जरूर टूट जाते हैं।
इसलिए थोड़ा हंसिए,
थोड़ा चिढ़ाइए,
थोड़ा मज़ाक करिए—
रिश्ता खिल उठेगा।
—
🌙 5. जब हालात बिगड़ें, तब मुस्कुराना ज़्यादा ज़रूरी होता है
जिंदगी में कुछ पल ऐसे आते हैं जब अकेलापन घेर लेता है।
ऐसे समय में हँसना कोई नाटक नहीं,
बल्कि खुद को ज़िंदा रखने का तरीका है।
ये वही हँसी है जो कहती है—
“हाँ, मैं टूट रही हूँ, लेकिन हार नहीं मान रही।”
यह हँसी आपको अंदर से मजबूत बनाती है।
आपको दोबारा उठने की ताकत देती है।
—
🌼 6. खुद को खुश रखने की जिम्मेदारी खुद उठाइए
कोई और आकर आपको खुश कर दे—
ये ख्वाब है।
आप खुद को खुश रख सकते हैं—
ये हकीकत है।
थोड़ा अकेले में अपने साथ बैठिए,
थोड़ी बात अपने दिल से करिए,
थोड़ी बात खुद को समझाइए,
थोड़ी चीज़ें खुद के लिए कीजिए।
और फिर देखिए—
आपका अपना दिल ही आपका सबसे बड़ा साथी बन जाएगा।
—
🌟 7. Conclusion: मुस्कान कोई छोटी चीज़ नहीं—ये आपकी ताकत है
याद रखिए—
मुस्कान खर्च नहीं होती,
पर बहुत कुछ बचा लेती है।
हँसी छोटी लगती है,
पर दिल बड़ा कर देती है।
खुशमिजाज़ रहना आसान नहीं,
पर यही आपको दूसरों से अलग,
खूबसूरत और मजबूत बनाता है।
जिंदगी आपको कभी-कभी रुलाएगी…
पर आप उसे बार-बार हंसकर हरा सकते हैं।
इसलिए—
हँसते रहिए,
मुस्कुराते रहिए,
और अपनी रोशनी को कभी मंद मत पड़ने दीजिए।
क्योंकि दुनिया को आपकी मुस्कान की ज़रूरत है। 🌼✨
વિનોદ. મો. સોલંકી .વ્યોમ.
" હું ને મારો પડછાયો "
આજ અમે ખુલીને મળ્યા, હું ને મારો પડછાયો.
ખૂબ પછી વાતોએ ચડ્યા, હું ને મારો પડછાયો.
ટેકો આપ્યો'તો જેને, એ જ હટી ગયાં ખરા સમયે,
છતાં પણ કદી ન કોઈને નડ્યા, હું ને મારો પડછાયો.
ચોમેર છે આજકાલ, ભીડભાડ શહેરની સડકો પર,
ને, એમાંય એકલાં જ ભટક્યા, હું ને મારો પડછાયો.
ખીલી ઊઠ્યાં જુવો, હર બાગબાન શરદની મોસમમાં,
લ્યો પાનખર માફક ખરી પડ્યા, હું ને મારો પડછાયો.
છૂટતાં રહ્યાં છે એક પછી એક સબંધ અને સંગાથી,
અંત વેળા પણ સાથે જ રહ્યા, હું ને મારો પડછાયો.
✍... વિનોદ. મો. સોલંકી "વ્યોમ"
જેટકો (જીઈબી), મુ. રાપર
Vibhuti Desai
વિશ્વ પુરુષ દિનની શુભેચ્છા
નારીની આંખમાં નમી,
મળતી સૌની સહાનુભુતિ !
પુરુષની આંખમાં અમી,
સૌથી રહેતી અજાણી !
પુરુષ કેરો પુરુષાર્થ,
ઢંકાયો કર્તવ્ય પાછળ!
નર-નારી રહે હળીમળી
જીવનરથ સ્વર્ગ કેરી કેડી🌹!
વિભૂતિ દેસાઈ ઘાસવાલા બિલીમોરા.
manshi
instead of changing people 1000times , change your self one time
Soni shakya
""तेरे चंद लम्हों की चाह में मैंने ,
तमाम रातें जागकर गुजार दी ""
- Soni shakya
JIGAR RAMAVAT
🇮🇳 ભારત – મારું દેશ
ભારત મારી માતૃભૂમિ, રંગોથી ભરેલું દેશ,
વિવિધતા માં એકતા, એ આપણું સચ્ચું વેશ.
હિમાલય ઊંચો રક્ષા કરે, સાગર ગાવે ગીત,
ખેતોની લીલીછમ સુગંધથી ભરાઈ જાય પ્રીત.
સૈનિકોની હિંમતથી ઝળહળે દેશનો અભિમાન,
વિદ્વાનોની બુદ્ધિથી ચમકે ભારતનો પરિચય મહાન.
તેજ અને સંસ્કૃતિથી ભરેલો આ દેશ અનોખો,
જય ભારત, જય ભારત—સદા અખંડ, સદા પ્રબળ, સદા થોડો રોકો
Manvi Chaudhary
शिव अगर आकाश है… तो शक्ति उसकी उड़ान है,
एक सन्नाटा है… एक उसके भीतर की तान है।
ना ये दो हैं, ना एक — ये तो बस अनुभव है,
जिसे शब्द छू ना पाएं… वो ही असल उपनिषद है।
शिव थमे तो समय रुक जाए, शक्ति उठे तो सृष्टि चले,
एक में घर है सारा ब्रह्मांड… एक से सब पल पल ढले।
जो इस मिलन को महसूस करे… उसका सांस भी बदल जाता है,
हर धड़कन में ‘सोऽहम’ बजता है… हर श्वास शिव कहलाता है।
यही है अद्वैत — जहां ‘मैं’ का अंत है,
और ‘हम’ की शुरुआत…
Manvi Chaudhary
वो दो नहीं — एक ही धड़कन का दो रूप हैं,
एक मौन में तपता है, एक लहर बन के रूप है।
शिव है ठहराव, शक्ति है प्रवाह की धारा,
एक सुनसान जंगल, एक पंखों वाली हवा सारा।
शिव बिना शक्ति — बस शून्य का एक राज है,
शक्ति बिना शिव — अनंत पर भी एक तलाश है।
जब दोनों एक होकर ‘मैं’ को मिटा देते हैं,
तभी साधक के भीतर सचमुच शिव प्रकट होते हैं।
ये मिलन बाहर नहीं — भीतर की जागृति है,
शिवशक्ति ही जीवन की असली मुक्ति है…
Nisha ankahi
इजाज़त माँगने का दिल तो नहीं करता,
तू ही बता, तेरे दिल तक जाने का कोई और रास्ता है क्या?
- Nisha ankahi
Nitesh pratap singh
मेरी प्यारी मम्मी I
सबसे प्यारी मेरी मम्मी II
प्यार वो करती मुझसे बहुत I
पर रहे नही पाता में उनके बिना II
खाने में बनाती हैं मेरे पसंद का I
और खिलाती हैं मुझे अपने प्यारे प्यारे हाथो से
हाथो के स्पर्श से एक निवाल लगता है I
अमृत के समान II
मेरी प्यारी मम्मी I
सबसे प्यारी मेरी मम्मी II
मम्मी है तो घर में सुख समृद्धि है I
और है ढेर सारा प्रेम II
मम्मी का कहना कैसे में टालू I
उनकी ममता के सामने नही चलती मेरी कोइ बात II
माँ पार्वती सा असीम प्यार उसमें I
सरस्वती सी प्यारी बाणी II
करती है मुझसे हिमालय जैसा विशाल और असीम प्रेम II
मेरी प्यारी मम्मी I
सबसे प्यारी मेरी मम्मी II
नीतेश प्रताप सिंह ♥️✨
Musica
song name- me.Hater
made by Jaas YouTube Channel -Musica
enjoy!
Musica
song name-Electricity
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enjoy!!
Musica
song name- 2025doll
created by -Musica
check out my channel-Jaas English channel
I sent the link!
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Musica
song name- second Choice
created by -Musica
hope you guys enjoy!!!
Musica
song name-toxic
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hope you guys enjoy❤️
Sudhir Srivastava
समय को इज़्ज़त दीजिए
**********
समय-समय की बात है,
जो अक्सर हम लोगों से सुनते
और खुद भी कहते रहते हैं,
पर समय को अहमियत
अपने अनुकूल समय में ही देते हैं,
प्रतिकूल समय में तो समय को जी भर कर कोसते हैं।
कभी विचार किया है कि क्या अनुकूल समय
आपके साथ रहने और खुशियांँ देने ही आया है,
और वो आपको छोड़कर नहीं जाएगा,
या प्रतिकूल समय सिर्फ दुख देने आया है
और आपके साथ कुण्डली मार कर
आपका हमसफर बन सदा के लिए साथ रह जाएगा?
ऐसा तो कभी भी नहीं होता
जो आया है, उसका जाना निश्चित है।
कोई भी समय हो, उसको भी जाना ही है
यही हाल सुख-दुख का है,
दोनों में एक भी जीवन भर साथ नहीं देता है।
फिर भी हम दोहरा मापदंड अपनाते हैं,
क्योंकि हम सब समय की गति को
समझना ही कब चाहते हैं?
दोष देने के लिए समय और ईश्वर को
सबसे अनुकूल और सरल पाते हैं,
फिर भी समय को अनुकूल-प्रतिकूल के
तराजू में तौलने से कहाँ बाज नहीं आते हैं?
बेवजह समय की गति को हम पकड़ना चाहते हैं
खुद को सिर्फ गुमराह करते हैं।
वर्तमान समय भी चला ही जायेगा
आने वाला समय का पहिया भी घूम जायेगा,
फिर आपका हँसना रोने में
और रोना हँसी में बदल जायेगा।
अच्छा है वर्तमान समय को स्वीकार कीजिए
खुश रहने के साथ समय को इज़्ज़त दीजिए,
इससे आपका कुछ चला भी नहीं जायेगा
पर समय को देखने का नजरिया जरुर बदल जाएगा,
तब आपके साथ आपका हर समय भी मुस्करायेगा,
और समय आपका हमसफर बन साथ निभाएगा।
सुधीर श्रीवास्तव
Sudhir Srivastava
भाड़ में जाओ
******
जीवन में कुछ करना
और सफलता के शिखर पर चढ़ना है,
तो मेरी तरह समझदार बनिये
समय के साथ चलना सीखिए,
समय परिस्थिति के अनुरूप ढलना सीखिए
और तो और गिरगिट की तरह रंग बदलना सीखिए।
क्योंकि तब आप कुछ नहीं कर पायेंगे,
भूखे-प्यासे ही बेमौत मर जायेंगे,
अड़ोसी-पड़ोसी की बात तो छोड़िए
आपके अपने ही किसी काम नहीं आयेंगे।
सब आपको ताने देंगे, दुत्कारेंगे
आपसे अपने रिश्ते को सख्ती से नकारेंगे,
धक्के मार- मारकर भगायेंगे, आइना दिखाएंगे
पर भूख मिटाने के लिए आपको
दो सूखी रोटी भी मुँह पर नहीं मार पाएंगे।
अब आपको सोचना है
सिर्फ बेवकूफी वाले काम ही करना है
या समय के अनुरूप ढलना और खुद को बदलना है,
मौका मिले तो किसी का भी
गला रेतने को तैयार रहना है।
अपनों के चक्कर में पड़कर
अपना और अपने बीबी बच्चों का
सिर्फ जीवन बर्बाद करना है।
एहसान तो आप मानोगे नहीं,
एहसान फरामोश जो है,
पर इसका तो बोध मुझे पहले से ही था
इसलिए मुझे फर्क नहीं पड़ेगा।
मेरा जो काम था, मैंने कर दिया
यह सोच कर कि दरिया में डाल दिया,
अब आप सोचो कि शुरुआत अभी करना है
या धक्के खाकर अपमानित होने के बाद ही
सच को स्वीकार करना है,
और फिर समय गँवाने का अफसोस करना है,
वैसे भी दुबारा आपको सलाह देने के लिए
मैं तोअब कभी आऊँगा नहीं
भाड़ में जाओ, क्योंकि तुम्हें तो ऐसे ही मरना है।
सुधीर श्रीवास्तव
Jyoti Gupta
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અશ્વિન રાઠોડ - સ્વયમભુ
અછાંદસ કાવ્ય – શિર્ષક: એક મૌન વાર્તા
હું ઘાયલ છું,
છતાં મારા હોઠ પર હાસ્ય ટકેલું છે.
આ દર્દ, આ અંદરનો ખાલીપો—
બસ ચૂપચાપ જીવાય છે.
સપનાઓ તૂટતા રહ્યા, આશાઓ વિખરાઈ ગઈ;
હું ફક્ત એ ટુકડાઓ વીણું છું.
આ ઘાવ આટલા ઊંડા કેમ છે?
તે ક્યારે રુઝાશે, એ સવાલ રોજ મારા મનને પૂછે છે.
આંખોમાં ભલે હોય વરસાદ,
પણ જગત સામે તો હું ખુશખુશાલ છું.
એક સમય હતો, જ્યારે
હું ખુલ્લા આકાશમાં ફરતો હતો,
મુક્ત પંખીની જેમ.
આજે ભલે બંધન છે, હૃદયમાં ખાલીપો છે,
પણ અંદરની લડાઈ જીવંત છે, હિંમત હારી નથી.
લાગણીઓના વમળમાં ફસાયેલું
આ મૌન, એક મોટી વેદના છે.
પણ...
આ જ ઘાવ મારી શક્તિ છે.
હું નવી સવારની શોધમાં છું,
એક નવી શરૂઆતની સ્વયમભુ આશા છું.
હા હું એક "સ્વયમ’ભુ’" પ્રજ્વલિત પ્રકાશ છું.
અશ્વિન રાઠોડ"સ્વયમ ’ભુ’"
ek archana arpan tane
વીતેલું ભુલાય તો સફળ થવાય પણ કમનસીબે એ જ તો ભુલાતું નથી.
- ek archana arpan tane
srivarsha
EVERY MOMENT IS A NEW BEGINNING
- srivarsha
Imaran
रिश्ते ताजमहल की तरह होते हैं,
सबको उनकी खूबसूरती तो दिखती हैं,
पर उन्हें बनानें में लगी ‘मेहनत’ और ‘वक्त’
किसी को नहीं नजर आता.
💜 imran 💜
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NetramEyeCentre
✨ “10 years of wearing glasses… and just 2 minutes to leave them behind.” ✨
Our LASIK patient shares her heart-touching journey —
How she discovered Netram Eye Foundation, met Dr. Anchal Gupta, and finally found the confidence to take the step she had been waiting for.
She talks about how Dr. Anchal patiently answered all her doubts, guided her with complete care, and made the entire process calm, friendly, and absolutely stress-free.
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Rahul Raaj
आजकल के रिश्ते में लोग चाहते है कि सामने वाला इंसान सब कुछ समझे, बिना बोले, बिना पूछे, बिना रूठे, उनकी परेशानी उनका गुस्सा उनकी ignorence सब कुछ झेले, और उन्हें हमेशा खुश भी रखें..,
और उनके लिए हमेशा loyal भी रहे, लेकिन बदले में उनसे कुछ भी expect ना करे, ना loyalty की ना प्यार की ना उनसे अपने खुशियों की, वो जैसे चाहे हमारे साथ व्यवहार करे, मगर हम उनसे कुछ भी ना कहे बस उनकी खुशियों का ख्याल रखें...
उनकी emotion की responsibility उठाएं, हम उनके लिए emotinal हॉस्पिटल बन जाएं, जहां वो सिर्फ़ treatment लेने आए ठहरने नहीं, हमारी खामोशियों और हमारी तकलीफों को समझने नहीं...
और जब कभी हम अपने हक के लिए अपनी खुशियों के लिए उनसे कुछ बोल दे तो, उल्टा हमें ही blame करके हमसे मुंह भी मोड़ लेते है, आजकल के relationship आसान नहीं है...
हम एक normal इंसान की तरह enter करते है, और mental patient बनकर बाहर निकलते है...
Akash pradip
#googlephoto #goodmorning
Rinki Singh
वह भी जन्मी थी इसी ज़मीन पर औरों की तरह..
दौड़ सकती थी सपनों के घोड़ों संग,
लहरा सकती थी अपने इरादों की तलवार…
पर उसकी हथेलियों पर बचपन से ही
सहनशीलता की लकीरें उकेरी गईं,
और कंधों पर रख दिया गया
घर की मर्यादा का अनदेखा, अनचाहा बोझ
फिर भी…
हर दिन वह लड़ती है दो मोर्चों की जंग..
एक बाहर की दुनिया से,
और एक भीतर उठते तूफ़ान से
उसके भीतर
एक रानी है…
जो ताज न पहनकर भी
अपने मन के राज्य को संभाल लेती है;
जिसके सिपाही उसकी उम्मीदें हैं,
और जिसकी फौज उसकी इच्छाशक्ति
वह जानती है..
उसकी थकान को “फ़र्ज़” कहा जाएगा,
उसके आँसू “कमज़ोरी” समझे जाएँगे,
और उसके सपने
चौखट पर ही दम तोड़ देंगे
अगर वह खुद उन्हें थामे न रखे
वह हर रात
अपने घायल मन पर पट्टियाँ बाँधती है,
अपनी इच्छाओं के जख़्मी घोड़े
फिर से पाले में खड़े कर देती है,
और सुबह होते ही
निकल पड़ती है
दुनिया की युद्धभूमि पर।
नारी…
वह सिर्फ एक देह नहीं,
त्याग, संघर्ष, अपमान और क्षमा का एक पूरा वृत्तांत है
वह चाहे गृहिणी हो, मज़दूर हो, अधिकारी हो या कलाकार…
हर रूप में लड़ रही है
एक अनवरत चलने वाली लड़ाई
और यही उसकी विजय है..
कि टूटकर भी जी उठती है,
हारकर भी हार मानती नहीं
हर स्त्री के भीतर
बसती है “मनु” साहस की..
जिसे समाज जितना बाँधने की कोशिश करे,
वह अपने मन की झाँसी
कभी हारने नहीं देती
स्त्री…
अपने घर की “लक्ष्मी” हो या न हो,
अपने जीवन की “लक्ष्मीबाई” अवश्य है
— रिंकी सिंह ✍️
Mamta Trivedi
ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताओं
के वीडियो देखिए यूट्यूब पर
https://youtu.be/Wkg34d3pbpc?si=JQMUBsHbZVejpRhW
Raj Phulware
IshqKeAlfaaz
तुम दूर जाओगे..
Komal Mehta
ફરિયાદ હું કયા જઈને કરું હે ઈશ્વર,
જ્યાં કોઈ એને સાંભળવા તૈયાર જ નથી
નથી કરવી હવે મને કોઈના થી કોઈ ફરિયાદ
જ્યાં મારી અવગણના શિવાય મને બીજું કઈ જોવા મળ્યું નથી
એક સમય હતો જ્યારે વાતો પ્રેમ અને સન્માન થી થતી હતી,
હવે એજ વાતો મેનટોના થી થવા લાગી
વાંક હંમેશા માત્ર મારો તો
સમજાતુ હવે મને કાઈજ નથી….
માટે આજે તો કરી નિધો નિર્ણય માત્ર મૌન ને ધારણ કરવાનો
સુરજબા ચૌહાણ આર્ય
પતિ ને બાળકોની નજરમાં હીરો બનાવવો
કે ઝીરો તે પત્નીના હાથમાં હોય છે.
બાળકોના હ્નદયમાં માં પ્રત્યે માન સન્માનની
લાગણી રોપવી કે નહીં એ પતિના હાથમાં હોય છે.
✍🏼"આર્ય "
yeash shah
*જીવન પ્રગતિ ના ૨૦ સૂત્રો*
(1) ઉદાસી અને દ્વેષ થી હમેશા જાત બળે છે.. અને જાત બાળી ને પ્રગતિ પામવી અશક્ય છે.
(2) હાસ્ય અને ઉત્સાહ થી ખંત કરનાર પ્રગતિ ના પંથે છે.
(૩) જ્યાં છો.. ત્યાંથી આગળ વધવું એ સાચી પ્રગતિ છે. ગરીબ માંથી પૈસાદાર થવું એ માત્ર સમસ્યાનું સમાધાન છે.. પૈસાદાર માંથી દાતા તેમ જ મદદગાર થવું એ જ પ્રગતિ છે.
(૪) પૈસા વધુ કમાવો તો કાંઈક સમાજ,દેશ,પર્યાવરણ માટે નવી તકો નું સર્જન કરી શકો. નવ નિર્માણ માટે પીઠબળ પૂરું પાડી શકો.. એટલે ખૂબ કમાવો.
(૫) નવી તકો નું સર્જન કરવું પડે છે.. અથવા સામેથી જો તક મેળવવી હોય તો લાયકાતનું સર્જન કરવું પડે છે. અને પ્રતિભા ની બન્ને માં આવશ્યકતા છે.
(૬)આકાશ,વાયુ,અગ્નિ, જળ ,પૃથ્વી થી શરીર નું નિર્માણ થાય છે... અને આશા, ઉત્સાહ , ખંત,દૃઢતા અને સહનશીલતા આ 5 તત્વો થી સફળતા નું નિર્માણ થાય છે.
(૭) જેની પાસે પોતાનું એક વિઝન છે.. એક મિશન છે.. અને એક એમ્બિશન છે એનાથી ડિપ્રેશન અથવા સ્ટ્રેસ હમેશા દૂર રહે છે.
(૮) પ્રજ્ઞા ,પ્રેમ,સહાયતા અને પ્રગતિકારક સંગત આપનાર સ્વજનો અને મિત્રો જીવન ની ખરી સમૃદ્ધિ છે.
(૯) ૫૦ /૭૫% કામ નું પ્લાનિંગ તૈયાર હોય તો કામ શરૂ કરી દેવું... ૧૦૦% પરફેક્ટ પ્લાનિંગ ની રાહમાં પ્રોજેક્ટ પડી ભાંગે છે.
(૧૦) નસીબ અને પુરુષાર્થ બન્ને ના મિશ્રણ થી ઉપલબ્ધી શક્ય બને છે. ભારત માં જન્મેલી દીકરી રાષ્ટ્રપતિ બની શકે છે. મિડલ ઇસ્ટ ના કેટલાક દેશો માં જન્મેલી દીકરીઓ માટે આવી તકો દુર્લભ છે.. ભલે એ પ્રતિભાવાન કેમ ન હોય. ( ક્યાં જન્મ મળ્યો એ વ્યક્તિના પોતાના નસીબ ની વાત છે.)
(૧૧) જે સમાજ અંધશ્રદ્ધા અને કાલ્પનિક વાતો માં વિશ્વાસ મૂકી જીવન ની ઉચ્ચ સંભાવનાઓ શોધે છે.. તેને ફક્ત પ્રગતિ નો ભ્રમ પ્રાપ્ત થાય છે.
(૧૨) પર્યાવરણ ની યોગ્ય જાળવણી વગર વિકાસ ની યાત્રા અધૂરી તેમજ ભય જનક રહેશે.
(૧૩) સ્ત્રીઓ અને પુરુષો સાથે મળીને ઘર અને કામ ધંધો બન્ને સાચવે તો નવી પેઢી ના બાળકો ને સરખો ન્યાય મળે. બન્ને કામ ધંધો સાચવવા માં ઘર ની ઉપેક્ષા કરે તો આવનારી પેઢીને કષ્ટ જ પડશે.
(૧૪)યોગ્ય ભણતર અને ઘડતર થી તમામ નડતર દૂર થાય છે.
(૧૫) નાનું બાળક ભવિષ્ય ની સંભાવના છે... અને ઘરડા વડીલો વિતેલા સમયનું ડાહપણ છે.. બન્નેની યોગ્ય જાળવણી એ વર્તમાન ની સુખાકારી માટે આવશ્યક છે.
(૧૬) સમાજ ,રાજનીતિ ,સંપ્રદાય અને રૂઢિવાદ ક્યારેક ક્યારેક એવા સંડોવાય છે કે અંતે પ્રજાને જ કષ્ટ પડે છે..અને એનો લાભ બહારના શત્રુઓ ને પ્રાપ્ત થાય છે.
(૧૭) નાના બાળકો માટે ડાઇવોર્સ એ ફક્ત પતિ અને પત્ની ના સંબંધો ની તિરાડ નહી પણ માં બાપ ના સહિયારા પ્રયત્નો થી એક સુરક્ષિત ઉછેર ની સંભાવના માં તિરાડ છે. એક નાના બાળક ની નજરે સેપ્રેશન એ ડિપ્રેશન છે.
(૧૮) બ્લેક મેજિક થી કોઈ નું જીવન પ્રતાડિત કરી શકાય છે.. અને વશીકરણ થી કોઈ પણ સ્ત્રી અથવા પુરુષ પામી શકાય છે એવું માનનાર લોકો નીચ માનસિકતા ના શિકાર છે. ચમત્કાર ને નમસ્કાર કરવા થી પ્રગતિ નહીં પરંતુ ગુલામી અને છેતરપિંડી મળે છે.
(૧૯) એક સ્થળેથી ફક્ત પોતાના ધ્યાન અને સાધના વડે બીજા સ્થળે પહોંચી શકતા મહાનુભાવો પશ્ચિમ ની પ્રજાને પ્રભાવિત કરવા માટે પોતાના અનુયાયીઓના ખર્ચે વિમાન દ્વારા વિદેશ પ્રવાસો કરે છે.. ત્યારે હસવું આવે છે.
(૨૦) માં બાપ ના સંસ્કારો માં શ્રદ્ધા અને એમના આશીર્વાદ ની સમૃદ્ધિ રૂપી આત્મવિશ્વાસ ની ઉર્જા સદાય વૃદ્ધિ પામતી રહે છે. જો તમે બાપજીઓ અને સાધ્વીઓ ના ચરણો માં નમો છો. તો ક્યાંક તમારા આત્મવિશ્વાસ ની ઉર્જા માં ઊણપ છે એવું દેખાય છે.
Shefali
Happy men's day 💐
બસ ક્યારેક એ થાકે ત્યારે એમને શાંતિથી સાંભળી લેવા..
#shabdone_sarname__
#શબ્દોને_સરનામે__
#shabdone_sarname_
Narendra Parmar
लड़के की किसी और लड़की के साथ शादी होने के बाद
आपकी पूर्व प्रेमिका प्रेमिका नहीं रहेती वो शेरनी बन जाती
हैं इसीलिए लड़के जरा बचके रहेना ।। ✔️
Nensi Vithalani
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Every rose finds its own garden.
Every human finds their own space.
If you don’t fit in one field, explore another — your skills deserve the right soil.
Go read and let your heart bloom. 🌷
Mahesh Sondarva
જો મને લાગે ખાલીપો જીવન માં તારો
નથી પાસે તુ મને સંભાળવા પણ દૂર,
આંખો થી આપજે આલિંગન તારા સ્નેહ નું...
shivani singh
हर पत्थर व्यक्ति के हिस्से आए एक कलाकार आए जो बना दे उसे ईश्वर ...💌
@shivaninany
સુરજબા ચૌહાણ આર્ય
લોકો જીવતાને અણદેખ્યા
કરીને મરેલા ને યાદ કરે છે.
જીવતાં ડૂબી જાય છે જળમાં
મૃત્યુ પછી લાશ પાણીમાં તરે છે.
ગરીબાના બાળકો ભૂખ્યા બેઠા છે ને
લોકો મૂર્તિઓ ને છપ્પન ભોગ ધરે છે.
સંસ્કાર અને સમજણ જરૂરી છે જીવનમાં છતાં
કળયુગમાં સરસ્વતીનું કહ્યુ લક્ષ્મી ક્યાં કરે છે
પ્રેમને બદનામ કરીને કામ ખુલ્લેઆમ ફરે છે
અહમના પૂતળા અહીં ઈશ્વર થી ક્યાં ડરે છે.
✍🏼"આર્ય "
Miss writer
अब उन्होंने प्यार का इजहार तो कर दिया था,
लेकिन अभी बहुत कुछ कहना और सुनना बाकी था,
पुरानी गिले शिकवे जाहिर की गई,
पर प्यार के आगे सब भुला दी गई,
फिर बातों का रुख कुछ इस तरह बदला और उन्होंने एक सवाल पूछा- "सुनो, गुस्सा तो नहीं करोगी अगर मैं कुछ मांगू?"
मैंने भी बोला - "दुनिया में ऐसा कोई लफ्ज़ नहीं जो आपके मु से सुन मैं नाराज़ हो जाऊ, कोई आपकी ऐसी इच्छा नहीं जिसे मैं पूरा ना कर सकू!"
बड़े ही शर्माते और कांपते शरीर के साथ वो बोले -
"क्या मुझे एक मौका दोगी?
क्या मुझ पर भरोसा करोगी?
क्या मेरे प्यार के लिए अपने होठों को तुम्हारे होठों से छूने की इजाजत दोगी?
क्या मेरी इस गुस्ताखी के लिए मुझे माफ करोगी?"
ये सुन मैं स्तब्ध रह गई,
क्या बोलूं ये समझ ना पाई,
मेरे चारों तरफ लोग थे,
लेकिन मेरे सामने तो मेरे महबूब थे,
न किसी ओर देखा ना किसी इंसान की परवाह की,
बस झट से उनके गले लग गई,
वो मुझे सहलाते रहे,
और मैं चुप थी।
बाकी कुछ हुआ या नहीं ये तो बाद की बात है ,
लेकिन ये वो पल था,
जब इजहार के बाद हमने पहली बार गाले लगा था ।
Anup Gajare
२२…"कोई नहीं है वहां"
______________________________________
जहाँ कोई भी स्वर नहीं जाता,
वहाँ मैं खड़ी हूँ—
हवाओं के टूटे हुए जोड़ों में
अपनी उँगलियाँ रखे हुए,
जैसे किसी मृत देवता की पसलियों में
गूंज की आख़िरी राख खोज रही हूँ।
धरती की साँस
अब पेड़ों के भीतर नहीं लौटती—
उसकी भटकी हुई गर्मी
मेरे भीतर आकर बस गई है,
और मैं उसे छिपाए रखती हूँ
उसी तरह
जैसे अंधेरा सूर्य की अंतिम स्मृति को
छिपाकर रखता है।
मेरी देह—देह नहीं,
एक भूगोल है,
जहाँ तुम्हारे हर अधूरे भय
काई की तरह उगने से पहले ही
मिट्टी के भीतर
अपने ही भार से कुचल जाते हैं।
यहाँ सन्नाटा एक जाल है,
रात एक डूबा हुआ सरोवर—
जो अपने ही प्रतिबिंब से
घबरा कर
और गहराई में उतरता जाता है।
मैं स्थिर नहीं—
मैं निगरानी हूँ।
मैं देखती हूँ कि तुम्हारी सत्ता,
तुम्हारी आकांक्षाओं का साम्राज्य,
मेरी नमी को छूते ही
कैसे दरकने लगता है।
एक काली लहर—
जिसकी कोई उत्पत्ति नहीं,
जो किसी दिशा में बहती नहीं—
बस तुमसे होकर गुजरती है
और तुम्हारे होने को
तुम्हारे ही सामने
झुठला देती है।
यहाँ दया का अभाव नहीं—
यहाँ दया की अवधारणा ही नहीं।
यहाँ सिर्फ़ प्रतीक्षारत शून्य है,
जो अपना नाम नहीं बताता,
क्योंकि नाम
उसके लिए बहुत छोटा होता है।
जब सुबह का कोई छोर नहीं मिलता,
जब प्रकाश अपने कदम खोजते-खोजते
थककर गिर जाता है,
तब मेरी निस्तब्धता
तुम्हारे भीतर की अंतिम
टूटती हुई धड़कनों तक
उतरी हुई होती है।
तुम लौटना चाहो तो भी नहीं लौट सकते—
क्योंकि मैं वही हूँ
जिसकी आँखों में झांकते ही
प्रकाश को अपने अस्तित्व पर
संदेह होने लगता है।
मैं—
शून्य की रानी।
और तुम—
मेरे भीतर खो जाने से अधिक
कुछ भी नहीं हो सकते।
______________________________________________
Soni shakya
हर कभी ,
हर कहीं ,
मौजुद रहना अच्छी बात है पर..
इससे अपनी "value" में ही कमी आती हैं..!
- Soni shakya
Rahul Raaj
कभी-कभी लगता है कि मैं इंसान नहीं रहा, बल्कि अपने अतीत का वो कैदी हूँ जिसे उम्रकैद की सज़ा मिली हो।
हर याद मेरे लिए जेल की सलाख है, हर दर्द मेरा जेलर।
लोग कहते हैं वक़्त सब ठीक कर देता है, मगर मेरे लिए वक़्त हर रोज़ मेरे जख्मों पर नया ज़हर उँड़ेल देता है।
मैं बाहर से सामान्य दिखता हूँ, लेकिन भीतर से जैसे हर रोज़ एक हिस्सा खोता चला जा रहा हूँ- खुद को संभालने की कोशिश करते-करते अब डर लगने लगा है कि कहीं एक दिन मैं अपनी ही परछाई में सदा के लिए गुम् हो जाऊँ..!
ज़िंदगी की भीड़ में मैं मौजूद तो हूँ, पर पूरा नहीं हूँ...
हर मुस्कान के पीछे एक ख़ालीपन है, और हर ख़ामोशी के पीछे टूटा हुआ मै...!
Shailesh Joshi
જો આપણને આપણા જીવનમાં જરા સરખી પણ તકલીફ ન હોય,
તો એનો અર્થ એવો થાય છે કે આપણે આપણા જીવનમાં કંઈ ખાસ નથી કરી રહ્યાં,
અને જો આપણા જીવનમાં પારાવાર મુશ્કેલીઓ અને એ પણ નિરંતર આવતી જ રહે છે,
તો એનો મતલબ એજ કે આપણે ખોટા રસ્તે ચાલી રહ્યા છીએ,
ને જો આપણા જીવનમાં કોઈ કોઈ વાર સમયાંતરે નાની મોટી તકલીફો આવતી રહેતી હોય...
તો એનો અર્થ એજ કે,
આપણને આપણા જીવનની સાચી દિશા મળી પણ ગઈ છે, ને આપણે એ દિશામાં જ આગળ પણ વધી રહ્યા છીએ.
Miss Chhoti
#book
https://www.matrubharti.com/book/19984079/a-blood-account-and-a-thread-of-emotion
વાંચો મારી નવી કહાની....
Pankaj Goswamy
તું માને છે જેને પોતીકા,
એ સૌ માણસ તો તકવાદી છે;
તારી નજરોમાં લાગે પાકાં,
વચનો સઘળાં તો તકલાદી છે;
શેર સટ્ટામાં રાખે છે આશા,
માણસની એ તો બરબાદી છે;
કરે જે વાતો મીઠી મીઠી,
એ ખરેખર તો ફરિયાદી છે;
તમને લાગે છે જુદા જુદા,
બેઠા એ તો અમદાવાદી છે...!!!
- પંકજ ગોસ્વામી'કલ્પ'
Dada Bhagwan
લોક કહે છે કે ભગવાન આખા બ્રહ્માંડમાં વ્યાપેલા છે. દરેક ચીજમાં ભગવાન છે. તો પછી ભગવાનને ઓળખવાનાં જ ક્યાં રહે? જ્યાં 'ક્રિએચર' છે ત્યાં ભગવાન છે, ને જ્યાં 'ક્રિએચર' નથી ત્યાં ભગવાન નથી. - દાદા ભગવાન
વધુ માહિતી માટે અહીં ક્લિક કરો: https://dbf.adalaj.org/C8tlKkn8
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archana
"एक बार पत्नी को भी
प्रेमिका की तरह अधिकार दे कर तो देखो…
बिना रसोई, बिना बर्तन, बिना बच्चों की जिम्मेदारी…
बस दो घंटे का खुला प्यार, हँसी, सुकून और सम्मान—
यक़ीन मानो, तब समझ आएगा
कि सबसे खूबसूरत ‘रिश्ता’
घर के भीतर ही था,
बस समय और सम्मान की कमी थी।"
जैसे प्रेमिका के साथ हाथ में हाथ डालकर घंटे भर के लिए घूम लेते हो बिना जिम्मेदारी के दोनों को सुकून से भरी आसान लगती है यह जिंदगी। असल में संघर्ष शुरू जब होता है वही प्रेमी प्रेमिका शादी करके पति-पत्नी बनते हैं तब समझ में संघर्ष क्या है वैसे तो बहुत आसान है यह जिंदगी सिर्फ प्यार कर लेना घूम लेना शादी से पहले
जो प्रेमिका कहती है ना कि हम अपने प्रेमी को सुकून देते हैं सुकून तो इसलिए देती हो क्योंकि तुम अभी परिवार में नहीं हो परिवार के ताने नहीं सुन रही हो परिवार की जिम्मेदारी से दूर हो।
Yamini
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Kirti kashyap
हर ख़ामोश लफ़्ज़ किसी जख़्म का गवाह हो रहा है,
कलम से निकला हर हरफ़ चीख-चीख कर रो रहा है।
Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
suchitra gaikwad Sadawarte
पण हे माझ्यासोबत का ?
आई ... तु म्हणाली होतीस कुठे न सांगता जाऊ नकोस...
मी तर तुला सांगून खेळायला गेले होते ना ....
तरी पण हे माझ्यासोबत का ?
आई तु म्हणाली होतीस कुठे लांब जाऊ नकोस एकटी...
पण मी तर मैत्रिणीसोबत आपल्याच अंगणामध्ये होते ना..
तरी पण हे माझ्यासोबत का ?
आई .. तु म्हणाली होती अनोळखी व्यक्ती पासून दूर रहा ...
पण हा दादा तर ओळखीचा होता ना...
तरी पण हे माझ्यासोबत का ?
आई ... तू म्हणाली ना कोणी दिलेल चॉकलेट खाऊ नकोस ...
मी तर खूपदा त्याला नको म्हणाले होते ...
तरी पण हे माझ्यासोबत का ?
आई... तु म्हणाली होती ना ,
कोणी त्रास दिला तर जोरजोरात आरडा ओरडा करायचा ...
मी तर खूप ओरडत होते गं !
तरी पण हे माझ्या सोबत का ?
आई... तू म्हणाली होती ना ..
अभ्यास कर नाहीतर राक्षस घेऊन जाईल...
मी तर अभ्यास करायचे ना ...
तरी पण हे माझ्यासोबत का. ....
आई ... शेवटी ही मला तुझाच चेहरा समोर येत होता ..
तुझेच शब्द आठवत होते ...
मी तर काहीच विसरले नव्हते ...
तरी पण हे माझ्या सोबत का ?
आई ... त्या दादाला तर फाशी देऊन मारणार ना...
मला तर ओरडून ओरडून रडून रडून मारलं गं....
मी तर छोटी बाहुली होते ना तुझी ..
तरी पण हे माझ्यासोबत का ?
- सुचित्रा गायकवाड/ सदावर्ते
Shailesh Joshi
તકલીફો મુશ્કેલીઓ અને પરેશાનીઓનો
એક મર્યાદાથી વિશેષ અનુભવ થવો
એ બીજું કશું નથી,
સિવાય ઈશ્વર પરની શ્રધ્ધા
અને
આત્મવિશ્વાસની ઉણપ.
- Shailesh Joshi
Nabiya Khan
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🌅 एक नई सुबह – उम्मीद की हल्की सी रोशनी
सुबह का समय हमेशा से मन को शांति देने वाला रहा है। जब रात का अँधेरा धीरे-धीरे मिटने लगता है और आसमान में हल्की-सी रौशनी फैलती है, तब ऐसा महसूस होता है जैसे ज़िंदगी फिर से नए सिरे से शुरू हो रही हो। हर नई सुबह अपने साथ नई ऊर्जा, नया हौसला और नई उम्मीद लेकर आती है।
ज़िंदगी के रास्ते कभी भी आसान नहीं होते, लेकिन सुबह की नरम धूप हमें यह भरोसा दिलाती है कि हर अँधेरा अपने अंत तक ज़रूर पहुँचता है। जैसे फूल रात की ठंडक के बाद खिलकर अपनी खुशबू फैलाते हैं, वैसे ही हम भी अपनी मुश्किलों से उभरकर नई रोशनियों को गले लगा सकते हैं।
नई सुबह एक नई दुआ की तरह होती है—
कि दिल में प्यार बना रहे,
ज़िंदगी में बरकत बनी रहे,
और हर कदम पर रौशनी हमारा साथ दे।
आओ, इस नई सुबह को शुक्र और मुस्कान के साथ खूबसूरत बनाएं। अपने सपनों को फिर से जगा लें, अपने इरादों को फिर से मजबूत करें और ज़िंदगी को एक नई मंज़िल की ओर ले जाने का वादा करें। क्योंकि जो सुबह उम्मीद से शुरू होती है, वह दिन हमेशा सुहाना बन ही जाता है।
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Jyoti Gupta
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Mitul Prajapati
જીતવા તો હું અઢળક દિલ જીતીને બેઠો છું,
બસ એક તારી મરજીથી સામું હારીને બેઠો છું...
- કુંભાર
Imaran
कफ़न मेरा होगा उन्हीं का दुप्पटा
बड़ी धूम से मेरी मैय्यत उठेगी
इधर ज़िंदगी का जनाज़ा उठेगा
उधर ज़िंदगी उनकी दुल्हन बनेगी
💔 imran 💔
Dr Darshita Babubhai Shah
मैं और मेरे अह्सास
उदासी भरी शाम के वक्त जी हलका करे ओ l
दिल को बहलाने वाले सभी नग़में याद रहेंगे ll
खूबसूरत वादियों ओ मदमस्त फ़िज़ाओं में l
साथ मिलकर देखे हुए हर सपने याद रहेंगे ll
"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह
મનોજ નાવડીયા
જિંદગી છે કેવી, એ તો જેવી તેવી,
તોય રોજ દોડે છે એ તો જેવી તેવી,
જિંદગી છે કેવી, એ તો આડા અવળી,
અને હું માની બેઠો મનમા એને સીધી,
ખોવાય છે એ, રસ્તાઓ ભૂલાવે છે એ,
તોય રોજ દોડે છે એ તો આડા અવળી,
જિંદગી છે કેવી, એ તો ઊંચા નીચી,
અને હું માની બેઠો મનમા એને સમતલ,
અથડાઈ છે એ, રસ્તાઓમા પડે છે એ,
તોય રોજ દોડે છે એ તો ઊંચા નીચી,
જિંદગી છે કેવી, એ તો કાચી પોચી,
અને હું માની બેઠો મનમા એને પાકી,
ખુુંચે છે એ, રસ્તાઓ ઘા આપે છે એ,
તોય રોજ દોડે છે એ તો કાચી પોચી,
જિંદગી છે કેવી, એ તો જેવી તેવી,
તોય રોજ દોડે છે એ તો જેવી તેવી.
મનોજ નાવડીયા
Shikha
কত শত প্রশ্ন
কত শত প্রশ্ন ছিল,
শুনলি না তো তুই।
আমার মনেও প্রশ্ন জাগে—
তার উত্তর পেলুম কই?
বল না, মা গো… সব মামারা
কেন আমাদের মহাকাব্যে
খারাপ হয়ে যায়?
কীসের এত দুঃখ–কষ্ট,
বুঝে নাহি পাই।
কংস আর শকুনি দুটোই খারাপ—
আবার শুনলাম, নাকি
আয়ান মামা লক্ষ্মীকে পাবার আশায়
আগের জনমে তপ করে,
নিজের করে পেতে চেয়ে
সবই বিসর্জন দেয়।
মহাকাব্য পড়লেই এবার
মাথা আমার বনবন করে ঘোরায়।
জানি… আমার ভাগ্যে খড়মই জুটবে—
তবু আমার উত্তরগুলো
আমি চাইই চাই…
Agyat Agyani
वेदान्त 2.0, की एक ही पुकार है — सत्य, सार्वभौमिक हो
धर्म नहीं — वैज्ञानिक हो
मान्यताओं नहीं — अनुभव हो
भ्रम नहीं — ऊर्जा का प्रत्यक्ष ज्ञान हो
और आज के आधुनिक मानव को बहुत साफ़ सुन सकता हूँ।
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अब सुनो एक सरल, सीधी बात:
हर धर्म
जैन, बौद्ध, इस्लाम, ईसाई, हिन्दू –
अपने-अपने समय की समस्या के लिए समाधान थे।
पर समय बदल गया।
समस्या बदल गई।
पर धर्म पुराने समाधान ही बेच रहे हैं।
आज की समस्या अज्ञान नहीं है —
आज की समस्या विखंडन है।
हर कोई अपनी महफिल अलग सजाए बैठा है।
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उसका उत्तर यह है:
✔ ध्यान है — पर पंथ बना दिया
✔ साधना है — पर जाति बना दी
✔ ऊर्जा विज्ञान था — उसे चमत्कार और चोलों में बंद कर दिया
✔ सार्वभौमिक सत्य था — उसे केवल “हमारा” घोषित कर दिया
ध्यान अगर वैज्ञानिक रूप से समझाया जाए,
तो बौद्ध, हिन्दू, जैन — सब एक ही भाषा बोलेंगे:
ऊर्जा, श्वास, चेतना, लय
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और देखो, सच क्या है?
धर्म = अनुभव का इतिहास
विज्ञान = अनुभव का भविष्य
धर्म कहता है — “यह सत्य है, मान लो”
वेदान्त 2.0कहता है — “देखो, परखो, अनुभव करो”
जब अनुभव तुम्हारा अपना हो जाता है —
तो पंथ खत्म
मान्यताएँ खत्म
भ्रम खत्म
बस चेतना बचती है
और ऊर्जा का विज्ञान बचता है।
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और...
> बिज़नेस मन करो — धर्म नाम बिज़नेस नरक
जब सच को बेच दिया जाता है
तब गुरु व्यापारी बन जाता है
और भक्त ग्राहक।
यही नरक है।
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तो रास्ता क्या है?
मैं तुम्हें यह नहीं कह रहा कि
सनातन छोड़ दो या किसी धर्म को त्याग दो।
मैं कह रहा हूँ —
सबको मूल में देखो — ऊर्जा में, अनुभव में।
ध्वनि (ॐ/अल्लाहु/नमो),
श्वास (प्राण/दम/याना),
ध्यान (जिन/बुद्ध/योग),
नैतिकता (शील/यम/धर्म),
और अंत में —
अहं का विघटन → मुक्ति → निर्वाण → मोक्ष → फना → समाधान
नाम अलग।
विज्ञान एक।
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यह क्रांति है
वेदान्त 2.2 कह रहा—
अब नई भाषा चाहिए
जिसमें
न “मेरा भगवान सही”
न “तुम्हारा शास्त्र झूठा”
बल्कि — ऊर्जा की एक सार्वभौमिक पद्धति
जो मनुष्य को चेतना में उठाए
और संसार को भीतर से बदले।
यही वेदांत 2.0 का जन्म है
(तुम्हारी भीतर आग से संभव है)।
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Paagla
PAAGLA – A heart that speaks through words. 💭✨ Sharing emotions, shayari, quotes, and stories that touch your soul. From love to pain, from motivation to dreams – here, every line is written to connect with your heart. ❤️📖
Soni shakya
🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏
🌹आपका दिन मंगलमय हो 🌹
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