Gujarati Whatsapp Status |
Hindi Whatsapp Status
GIRLy Quotes
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archana
मां, नए साल में एक ही फरियाद है…
मुझे नहीं पता तू पत्थर की मूर्ति में है या मंदिरों में बसती है,
मैं तो तुझे अपने दर्द, अपने आंसुओं और अपने टूटे हुए हौसलों में महसूस करती हूं।
बस शिकायत इतनी है कि जो मुझे हर बार तोड़ना चाहते हैं,
मेरा मज़ाक उड़ाते हैं, मेरी इज्ज़त को तमाशा बनाते हैं,
मां… तू ही उन्हें जवाब दे।
ऐसा जवाब दे कि उनके अहंकार को सच का तमाचा लगे…
ताकि उन्हें समझ आए कि तेरी बेटी कमजोर नहीं है, टूटी नहीं है।
वरना लोग फिर जीत जाएंगे,
फिर हंसेंगे, फिर मुझे बदनाम करेंगे…
मां, तू बस इतना कर…
मेरी खामोशी की लड़ाई तू अपने न्याय से पूरी कर दे।
यकीन बस तुझ पर है।🥹
Cupid
Dreaming is the first step of success 🤍
Nilesh Rajput
जनवरी ने कुछ दिया भी नहीं,
और दिसंबर ने सब कुछ छीन भी लिया।
Gajendra Kudmate
नटखट हवाओं ने रुख से तुम्हारे
आँचल को जब फैंका था
ख़ुदा कसम हमनें भी दिन में
खुबसूरत चाँद को तब देखा था
गजेंद्र
Nilesh Rajput
साल के आख़िरी मोड़ पर हम खड़े हैं,
मैं अपनी तन्हाई को ओढ़े नए साल में क़दम रखूँगा,
और तुम किसी और की बाहों में
नए साल की नई कहानी लिखोगी।
बिछड़ते वक़्त तुम्हारी वो बात आज भी याद है—
तुम कहती थी,
तुम्हें मुझसे ज़्यादा हसीन लड़की मिलेगी,
जो तुम्हें बेइंतहा मोहब्बत करेगी।
काश तुम्हें समझा पाता,
कि लड़कियाँ दिल से ज़िंदा मर्दों से इश्क़ करती हैं,
मुर्दों से नहीं।
तुम्हें किसी और का इश्क़ मुबारक,
मुझे मेरी अधूरी साँसों की तन्हाई मुबारक।
- Nilesh Tank
Parmar Mayur
डिसम्बर जा रहा है।
कुछ लम्हों को कुछ यादों को साथ लेकर।
हा फिर भी हमें लगता नहीं है कि,
कुछ अच्छे लम्हों को, यादों को सिमट लेना चाहिए।
स्मृतियों में,
आ रहे नये साल को खुशियां से ज़ीने के लिए,
वो पल या यादें काम आएगी।
हा, मुझे तो लगता है जरुर आयेंगी।
Akash Gupta
Dear December
दिसंबर आज आख़री दिन है तुम्हरा और तुम प्यार मे बदनाम हो दिसंबर ।
लोग खुद बदल जाते है और इल्जाम तुम पर लग जाता है।
तुम्हे पता है दिसंबर की जनवरी तो सिर्फ नई सुरुवात के लिए आता है, जैसे लोग जीवन मे ऐसे आते है जैसे की उनसे ज्यादा खास कोई नही है हि नही अपना ,और मेरे प्यारे दिसंबर तुम तो उन लोगो की औकात दिखाते हो ।
तुम ये सिखाते हो की हर बार हम नये वर्ष कुछ करना चाहते है बड़े बड़े सपने देखते है की नये वर्ष मे ये करना है । मेहनत करना सब , लेकिन आखिर मे तो तुम हमे सिखाते हो की सिर्फ सपने देखना हि अच्छा नही उनको पूरा भी करना पड़ता है।
दिसंबर: जैसे की मै तो फिर आ जाऊंगा ।
लोग सिर्फ मेरा अभी पेज बदलेंगे , लेकिन एक दिन पेज बदलते बदलते मै फिर आ जाऊंगा ।
दिसंबर: और तुम्हारा क्या ,तुम्हारे सपनो का क्या , और तुम्हारे अपनों का क्या।
कहा गये तुम्हारे वो अपने जो दिखा रहे थे हर मुसीबत मे साथ रहने के सपने।
अब नही दिख रहे वो हाथ जो कहते थे की मै हमेसा रहूंगा तुम्हारे साथ।
मै: हा कोई नही है मेरे साथ , लेकिन........
दिसंबर : लेकिन क्या.......
मै : तुम भी तो जा रहे हो लोगो की तरह मुझे अकेला छोड़ कर।
दिसंबर : अरे तो जनवरी आ रहा है ना सब खुस है नई शुरुआत के लिए तुम भी खुस हो वैसे भी लोग मुझसे क्या हि उम्मीद रखते है।
मै: 🥹🥹🥹
दिसंबर : क्या हुआ अब ....
मै: खास तो वो होता है ना जो हमे समझाये की तुम्हारे सपने और अपने कैसे है और तुम्हे उनके साथ कैसे रहना है । कौन हमरा है कौन नही।
दिसंबर : मुझे तो जाना पड़ेगा ना यार
मै : 🥹🥹.........
दिसंबर : एक वादा करो....
मै : क्या
दिसंबर : जो तुम्हारा है तुम सिर्फ उसी के रहोगे मतलब के रिस्ते जहा हो वहा से दूर रहोगे जो तुम करना चाहते हो वो करोगे लोग क्या सोचते है तुम्हे नही सोचना ।
मै: लेकिन .....
दिसंबर : क्या लेकिन हमेसा तो तेरे साथ ऐसा हि होता है।
मै : ठीक 😞
दिसंबर : मै तो आऊंगा फिर लेकिन तुम्हे अहसास दिलाता रहूंगा की महीने गुजर रहे है और मै फिर से आने वाला हु , और तुम सोचो की क्या हुआ उन वादों का और क्या हुआ उन सपनो का ।
मै : ठीक 😞
दिसंबर : ठीक है फिर मै चलता हु ख्याल रखना अपना ।
मै : ठीक है फिर मिलेंगे एक नई कहानी के साथ 😞 📝
आकाश गुप्ता 📝🥀😟
Kirti kashyap
"संगदिली दिसम्बर"
ले गया लबों की हँसी दिसम्बर,
छोड़ गया आँखों में नमी दिसम्बर।
हमने वक़्त से कोई शिकवा न किया,
फिर भी दिल से कर गया दुश्मनी दिसम्बर।
जो सपने थे सारे चूर-चूर हुए ऐ दिल,
मेरे ख़्वाबों की ठहरा खुदखुशी दिसम्बर।
उम्मीदें कुछ बाकी नहीं नए साल से अब,
जब सब कुछ छीन ले गया यही दिसम्बर।
अब यक़ीन किसी पे न करेंगे ऐ जनवरी,
ये सबक दे गया अभी-अभी दिसम्बर।
हर-सू जश्न में डूबी हुई भीड़ है "कीर्ति",
तुझे भीड़ में तन्हा कर गया संगदिली दिसम्बर।
Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
Lalit kumar
वन(जंगल)
वन है जगत का सृजन हार,
मानव इस पर करता प्रहार।
वन को मिटाओ ना कभी,
जीवन का खतरा बढ़ाओ ना कभी।
शुद्ध हवाएं जीवन बचाएं,
प्रकृति का रौनक बढ़ाएं।
वन है जगत का सृजन हार,
वन है जीवन का आधार।
जब मानव वन मानवथा,
तब इंसान नहीं दानव था।
वन है जगत का सृजन हार,
मानव इस पर करता प्रहार।
Lalit kumar
नमस्कार मेरा नाम अंबेडकरवादी ललित है। मैं भी बीएससी नर्सिंग का पढ़ाई कर रहा हूं बट हमें लिखने का बहुत रुचि है। मैंने बहुत कॉपियों में कविताएं कहानियां लिखी है। मैं कुछ ही पल में अपनी कविता और कहानी आपके साथ साझा करूंगा। अच्छा लगे तो रिएक्शन जरूर दीजिएगा।
महेश रौतेला
हम इच्छाओं को ढूंढते रहते हैं
वसंत के खुलासे में,
गंगा के जल में
हिमालय के हर शिखर पर।
प्यार हमारे लिए जीवित होता
बहुत छोटी पगडण्डियों में,
घास के मैदानों में
घर के स्वभाव में।
इच्छाओं का हाथ
बहुत लम्बा होता है,
वसुंधरा से आगे
स्वर्ग तक फैला होता है।
इस साल से, उस साल में जाते
चीते का वेग पकड़े,
शिकार भी हैं, शिकारी भी हैं
शुभकामनाओं के आगार भी हैं।
*****
साल 2026 की शुभकामनाएं।
** महेश रौतेला
Razz Ratan
साल आया है, आवाज़ देता है,
सोया हुआ हौसला आज जगाता है।
जो कल तक डर था, आज ताक़त बने,
हर गिरावट से अब उठना सिखाता है।
बीते लम्हों को पीछे छोड़ चलो,
जो नहीं मिला, उसके लिए और आगे बढ़ो।
ख़ुद पर यक़ीन रखो, यही पहचान है,
नया साल नहीं… ये नई उड़ान है।
आज से बहाने नहीं, बस मेहनत होगी,
हर सुबह एक नई शुरुआत होगी।
जो सपना देखा है, उसे पूरा करना है,
इस साल खुद से ही मुकाबला करना है।
Happy New Year 🌟
यह साल — तुम्हारा साल है।
Razz Ratan
नया साल आया, नई आग जलाई,
सोई तक़दीर आज फिर मुस्काई।
जो कल तक डर था, आज हथियार बने,
हर ठोकर अब जीत की पहचान बने।
बीता कल सबक बनकर रह जाएगा,
आज का पसीना कल रंग लाएगा।
हर सुबह खुद से ये वादा करेंगे,
इस साल हालात नहीं… खुद बदलेंगे।
मेहनत लिखेगी किस्मत का नाम,
हौसले देंगे हर मंज़िल का पैग़ाम।
नया साल नहीं, ये एलान है—
अब जीत ही हमारी पहचान है।
Happy New Year 🔥
नया साल, नई जीत।
Parmar Mayur
डिसम्बर जा रहा है।
कुछ लम्हों को कुछ यादों को साथ लेकर।
हा फिर भी हमें लगता नहीं है कि,
कुछ अच्छे लम्हों को, यादों को सिमट लेना चाहिए।
स्मृतियों में,
आ रहे नये साल को खुशियां से ज़ीने के लिए,
वो पल या यादें काम आएगी।
हा, मुझे तो लगता है जरुर आयेंगी।
Narendra Parmar
तन्हा हूं में और तन्हा रहूंगा
तुम फिक्र मत करो मेरी ??
में तुम बिन तन्हा जी लूंगा ।।
नरेन्द्र परमार " तन्हा "
GIRLy Quotes
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manoj
"वो मिट्टी की खुशबू, वो आंगन की धूप,
याद आता है बचपन का वो भोला सा रूप।" ☀️
"वो परियों के किस्से, वो राजाओं की कहानी,
लोरी सुनाकर सुलाती थी वो बूढ़ी नानी।
तकिए के नीचे छुपे वो मीठे से सपने,
कहाँ खो गए वो दिन, और वो लोग अपने?" 🌙📖
"वो मिट्टी के चूल्हे, वो लकड़ी के खिलौने,
रोते-रोते सो जाना आंगन के किसी कोने।
कागज़ की वो कश्ती, वो बारिश का पानी,
आज भी याद आती है वो मासूम नादानी।
अब कंक्रीट के जंगलों में वो रौनक कहाँ,
ईंटों की इन दीवारों में वो बचपन कहाँ?
हाथों में अब खिलौने नहीं, मोबाइल का शोर है,
भागती इस ज़िंदगी का न जाने कौन सा छोर है। 💼📱
ढूंढता हूँ खुद को उन धूल भरी गलियों में,
उन कच्चे मकानों की तंग सी डगरियों में।
काश! फिर से कोई हाथ पकड़ कर ले जाए,
उसी बचपन के झूले में मुझे फिर से झुलाए।"🎒
"अब वो आंगन पराया हुआ, वो गलियां सो गईं,
बचपन की वो सभी खुशियां वक्त में खो गईं।
न वो नानी की लोरी है, न दादा का वो हाथ,
बस यादों की एक पोटली है अब हमारे साथ। 🎒
लौटकर नहीं आएंगे वो दिन, ये दिल जानता है,
पर बंद आंखों में आज भी मन वही घर मानता है।
विदा उस बचपन को, जो अब बस एक तस्वीर है,
यादें ही अब जीने की हमारी असली जागीर है।" ✨📜
"धुंधले पड़ गए हैं अब वो घर जाने वाले रास्ते,
जहाँ कभी दौड़ते थे हम बस अपनों के वास्ते।
समय की धूल ने उन निशानों को मिटा दिया,
हकीकत ने बचपन के हर ख्वाब को सुला दिया। 🍂
अब चाहकर भी उस चौखट को चूम नहीं सकते,
उन पुरानी गलियों में फिर से घूम नहीं सकते।
बस ये चंद पंक्तियाँ ही उस दौर का ठिकाना हैं,
यादों के सहारे ही अब उस घर वापस जाना है।"
Nisha ankahi
दिख जाए किसी दिन, वो चेहरा जिसे खोजता रहा दिल,
बस एक नजर में सारा जहां मिल जाए।
- Nisha ankahi
Rushil Dodiya
kisi ka hukm hai
saari udaane
hamesha asmaan chhune se pahle
bata de
ke unki intaha kya hai
- rushil
PAYAL PARDHI
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Rushil Dodiya
फिरता हूं यहां वहां लेके अपने दिल और जाँ
- जावेद अख्तर
Kartik Kule
की उस पल हमारी मौजूदगी में उसने हमे भुलाया था
अपनौके बिखर जातेहि उसने हमे फिरसे फोन लगाया था
दिल्नेतों हमदर्दी जताई थी फोन उठाने को उंगलियाभी गई थी
पर फोनपर आई आवाज ने हमे किसकी शादीका न्योता दिया था
- Kartik Kule
Kartik Kule
की ऊस मंजिलको मेने इत्नी पास से देखाता की उस्से मिलनेकिभी मुजमे हिंमत नाही ती
बस चंद कदम का हमार फासला था पर फिरभी तुम दूर जाती दीख रही थी
कर नहीं सकता ऊस पलको मे बाय अब इन किस्सोमे
बात ही कुछ ऐसी ती की जो समजा ना सका मे अपनी ही जिन्दगीको खुदकेही किस्सोमे
- Kartik Kule
Vishakha Mothiya
Reflections live વેબસાઈટ પર પ્રકાશિત થયેલ મારો માહિતીસભર લેખ...
તમે ક્યારેય એવું પક્ષી જોયું છે કે જે મશીન ગનમાંથી જેમ ગોળીઓ છૂટે એવો અવાજ કાઢતું હોય??? એક એવું પક્ષી જે આજના સમયનો જીવતો ડાયનોસોર તરીકે ઓળખાય છે,મગરના બચ્ચાને એક ઝાટકે ગળી જાય છે. તો ચાલો જાણીએ, જીવતો ડાયનોસોર તરીકે ઓળખાતા તેમજ મશીન ગન જેવો ધડાધડ અવાજ કાઢતા પક્ષી - શુબિલ વિશે.
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https://reflections.live/articles/788/shoebill-machine-gun-like-sound-producing-bird-by-vishakha-mothiya-27815-mjsv8e46.html
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Raj Phulware
IshqKeAlfaaz
आपन खूप भोळ...
Sita
ఓడిపోతాం అని సంకెళ్లు వేసుకుని
ముందు కి వెళ్ళకపోతే,
నీవు పోటీ చేయకపోయినా ఓడిపోయినట్లే.
విజయం ఆనందాన్ని ఇస్తే,
ఓటమి అనుభవాన్ని ఇస్తుంది. ...
కాదంటారా!
- Sita
Prithvi Nokwal
ऐसा नहीं है कि अकेलापन है या मेरे इर्द गिर्द लोग नहीं है ऐसा नहीं है कि वक़्त नहीं है विकल्प नहीं है या सम्भावनाएं नहीं है सब कुछ है मगर अब इच्छा नहीं है और न ही हिम्मत कि उन्हीं बातों को फिर से शुरू से जिया जाए !!
Mamta Trivedi
ममता गिरीश त्रिवेदी की कविताएं
Nayantara
Dear girls, खुद को वक़्त के तरह ही precious बनाओ… जो इंसान एक बार कदर ना करे, किसी भी किमत पे उसे दोबारा ना मिलो। 💫✨💔🖤
Nayantara
कितनी बेरहम होती है जिंदगी बेटियों की यहाँ कोई नही करता रहम बेटियों पर ना दूनिया ना समाज ना अपने ना पराये
Nayantara
निगाहें चाहत बयां करती है
दिल के हर जज्बात बयां करती है
अगर पढ़ सको तो पढ़ लो ये हर एहसास बयां करती है 🙃
Murari Pratap
एक आशिक था बेचारा सा,
आशिकी में, हारा सा ।।
दुनिया से दुबके फिरता
न जाने कहा ढूंढ़ता फिरता ।
नजरों से बचके नजरों को,
कुछ ईयू ताकता फिरता ।।
दिल बेचारा सा मानता नहीं,
बात हमेशा ईयू ही कहता
ईयू फिरता दिल बेचारा ।।
Nayantara
🌺 सुनो बहनों, सुनो सखियों,
आज जो ये खास बनकर,
अपने बनकर, चाहने वाले बनकर,
तुम्हें रोकेंगे, तुम्हें टोकेंगे —
तुम भूलो मत — ये जो अपने हैं,
हैं जो ये खास,
इनके मन में है बस एक आस,
एक शौक जो है बहुत खास। 💫
रुक जाने पर तेरे, ना आगे बढ़ने पर तेरे,
यही कल तेरे पे हसेंगे, ताना मारेंगे —
देख के तुम्हारी जगह,
तुम्हें नीची, तुम्हें बुजदिल, तुम्हें नाकाबिल —
यही बुलाएंगे। ⚡
तो सुन लो गौर से मेरी बात —
अगर कोई रोके, अगर कोई टोके,
तो सुनना तुम, ना रुकना तुम,
बस आगे बढ़ते जाना तुम,
हर जीत फतह कर आना तुम! 🌹🔥👑
Abha Dave
https://youtu.be/Xnfzzzl92FU?si=CprL37Qiq5vsDIv_
Dipika
दिसंबर के आख़िरी दिन हैं
सर्द हवा है
और साल भर की यादों का बोझ…
कुछ सबक बने,
कुछ कहानियाँ
2026 इन्हीं से लिखा जाएगा...
😊🍁🌷💯
Shailesh Joshi
સત્યને વળગી રહેતા, અને
જૂઠથી અળગા થતા ના આવડે
તો બધું નક્કામું.....
પછી એ જ્ઞાન હોય, બળ હોય,
કે પછી ધન હોય.
- Shailesh Joshi
Mrs Farida Desar foram
ઘણું બદલાઈ જશે નવા વરસે,
તારા સાથે ની યાદો,
ન તો નવી થશે,
ન બદલાશે....
- Mrs Farida Desar foram
Riddhi Patel
હું સુધારામાં માનતો નથી, હું વિકાસમાં માનું છું...
- સ્વામી વિવેકાનંદ
jighnasa solanki
શ્રીરામ જય રામ જય જય રામ 🚩🙏
જય શ્રીરામ 🚩🙏
Saroj Prajapati
तूने जो दिया वो मेरी तकदीर तो ना था
आगे भी रहे मेरे सिर पर तेरा हाथ सदा
बस इतनी कृपा और करना मेरे कृपापनिधान!
जिंदगी में आए चाहे कैसा भी दौर
बस यूं ही थामे रखना तू मेरे जीवन की डोर।।🙏
सरोज प्रजापति ✍️
- Saroj Prajapati
Dada Bhagwan
Happy New Year!
Let's welcome 2026 with positivity in our minds, kindness in our hearts, & purity in our Souls.
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Jyoti Gupta
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RajniKant H.Joshi
*कैलेंडर हमेशा तारीख को बदलता*
*है, पर एक दिन ऐसी तारीख भी*
*"आती है जो कैलेंडर को ही बदल*
*देती है, इसलिए सब्र रखे, वक़्त*
*हर किसी का आता है बस मेहनत*
*करते रहिये...*
🚩 *जय श्री कृष्ण* 🚩
L otus
नशा और मोहब्बत
नशा हो जाए तो लड़का उल्टी करता है। मोहब्बत हो जाए तो लड़की करती है
Thakor Pushpaben Sorabji
જય શ્રી કૃષ્ણ,શુભ સવાર
Kirti kashyap
"हमने नए साल से भी कोई उम्मीद नहीं रखी,
दिसंबर जो ले गया, वो लौटता नहीं कभी।"
Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
Parmar Mayur
मैंने दीवार पर लटक रहे कैलेंडर को जैसे ही हटाया।
वो पुराना कैलेंडर हंसा,
और इतना ही कहा कि,
दोस्त जिंदगी का भी कुछ ऐसा ही है,
वक्त खत्म हो जाएगा फिर हमें हटना ही पड़ेगा।
हा किन्तु,
मेरी तरह एक- एक पन्ना तुटकर भी किसीको हररोज 'अच्छा और सच्चा वक्त' दिखलाकर जाना।
- Parmar Mayur
ભૂપેન પટેલ અજ્ઞાત
કોમળ ફૂલની કેવી અવદશા હોય છે,
ખીલે છે કાંટાની વચ્ચે તેમછતાં
પગમાં ચાદર બનીને કચડાઈ જાય છે..
તો પણ કેહવાય છે કે કુદરતની
સુંદર અને રંગબેરંગી કારીગરી.....
- ભૂપેન પટેલ અજ્ઞાત
Anusta
ప్రతి ఉదయం నూతనోత్సహం...
ప్రతి రాత్రి అదే నిరుత్సహం...
ఇలా సాగిపోతోంది జీవితం.
- Anusta
kajal jha
आज भी दिल धड़कता है उसका नाम सुनकर…
फर्क बस इतना है,
पहले सुकून मिलता था
अब दर्द।
- kajal jha
Gohil Takhubha ,,Shiv,,
દોસ્તો આપને એક વિનંતી છે.. ચેનલ સબસ્ક્રાઈબ કરો.. ભજન સંતવાણીના વીડિયો..
https://youtube.com/@takhubhagohil4748?si=xKPPs1pASV3-gN6i
Sweta Pandey
इंतज़ार ...
वक्त का और वक्त से ही मेरी रार,
सोचती हूं जब मिलेंगे, कैसे होगा पारावार..
- Sweta Pandey
Dr Darshita Babubhai Shah
मैं और मेरे अह्सास
कोहरा
दिल में यादों का कोहरा छाया हैं l
तबसे दिल ने सुकून ना पाया हैं ll
गम के घने बादलों घेर कर वो l
साथ अपने अश्कों को लाया हैं ll
"सखी"
डो. दर्शिता बाबूभाई शाह
Dinesh
*🙏જય બાબા સ્વામી*🙏
*આજનો સુવિચાર*
'સંપત્તિ'નો વારસો સુખી બનાવે તેની કોઈ 'ગેરંટી' નથી. પરંતુ 'સંસ્કાર'નો વારસો સુખી બનાવે તેની સંપૂર્ણ 'ગેરંટી' છે.
*શુભ સવાર*
amani reddy
good morning 🌅
GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)
दोष भाग्य पर डालकर, करता नर दुष्कर्म। अशुभ-अशुभ करता रहा, किया नहीं शुभ कर्म।।
दोहा--376
(नैश के दोहे से उद्धृत)
----गणेश तिवारी 'नैश'
vikram kori
🌹 Part 5
“मोहब्बत में शर्तें नहीं होती,
बस एक नाम होता है
जो दिल हर धड़कन में लेता है…” 💖
Gori
સાલ કા આખરી દિન આ ગયા…
કઈ નયે રંગ ભરે હે યે સાલ ને,
યે સાલ યાદ હંમેશા રહે ગા…
કુયુકી ઇસ સાલ ને મુજે મેરી જિંદગી
સે મિલાયા હૈ…!!
- Gori💙🤍
Soni shakya
🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏
🌹 आपका दिन मंगलमय हो 🌹
Kaushik dave
आज की सुबह एक सवाल लेकर आई है—
“क्या आज तुम खुद से बेहतर बनोगे?”
जवाब सिर्फ तुम्हारे कर्म देंगे।
Good Morning ✨
— Kaushik Dave
Kaushik dave
सुबह की रोशनी
सूरज ने फिर दस्तक दी है,
नई उम्मीदों का पैग़ाम लाया है।
बीते कल की थकान छोड़ो यार,
आज खुद को और बेहतर बनाना है।
हर सुबह एक नया मौका है,
खुद से वादा निभाने का।
उठो, चलो, मुस्कुरा दो,
ज़िंदगी को गले लगाने का।
शुभ प्रभात 🌸
— Kaushik Dave
Vivek Ranjan Shrivastava
व्यंग्य की कसौटी पर दुष्यन्त कुमार की ग़ज़लें
विवेक रंजन श्रीवास्तव
दुष्यन्त कुमार (1933-1975) आधुनिक हिन्दी साहित्य के ऐसे विशिष्ट ग़ज़लकार हैं, जिन्होंने ग़ज़ल को रूमानियत और श्रृंगार के परम्परागत दायरे से निकालकर समकालीन यथार्थ, सामाजिक विसंगतियों और राजनीतिक विद्रूपताओं के चित्रण का माध्यम बनाया। उनकी काव्य चेतना का केन्द्र 'आम आदमी' की पीड़ा, आकांक्षा और संघर्ष है। इसी चेतना को अभिव्यक्त करने के लिए उन्होंने हिंदी ग़ज़ल को एक सशक्त अस्त्र के रूप में इस्तेमाल किया। ग़ज़लों में उनका कटाक्ष , व्यंग्यात्मक प्रहार और तंज सामाजिक राजनीतिक व्यवस्था की जड़ता, संवेदनहीनता और विडम्बनाओं के प्रति तीखा प्रहार तथा जन चेतना जगाने का प्रयास सिद्ध हुआ है।
दुष्यन्त कुमार की ग़ज़लों में निहित व्यंग्य के स्वरूप, विषय वस्तु और अभिव्यक्ति का विवेचन महत्वपूर्ण है।
दुष्यन्त कुमार के कटाक्ष की जड़ें उनकी गहन सामाजिक प्रतिबद्धता में निहित हैं। उनकी ग़ज़लों में "सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक विसंगतियों को बेबाकी से उभारने" के व्यापक उदाहरण हैं। वे 'साये में धूप' जैसे संग्रह के माध्यम से आज़ाद भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की विडंबनाओं को उजागर करते हैं और "जनता की सुप्त संवेदनाओं को जागृत करते हैं"। उनका व्यंग्य दो स्तरों पर काम करता है , एक ओर वे शोषित जनता से सहानुभूति रखते हैं, तो दूसरी ओर "उसकी संवेदनहीनता और जड़ता पर व भी कटाक्ष में गजल कहते हैं"। इस प्रकार उनकी ग़ज़ल केवल विरोध तक सीमित नहीं, बल्कि एक वैकल्पिक चेतना के निर्माण का छंद बद्ध आह्वान है।
राजनीतिक व्यवस्था और खोखले वादों पर कटाक्ष उनकी लोकप्रियता की ताकत बना दिखाई देता है।
दुष्यन्त कुमार की सबसे प्रसिद्ध ग़ज़लों में से एक है "कहाँ तो तय था चरागाँ हर एक घर के लिए"...। इस ग़ज़ल में राजनीतिज्ञों के कथनी और करनी के अन्तर पर करारा कटाक्ष है। वे कहते हैं कि नेताओं ने हर घर को रोशन करने (सुख-सुविधा देने) का सपना दिखाया, लेकिन वास्तविकता यह है कि "कहाँ चिराग़ मयस्सर नहीं शहर के लिए"। यहाँ 'चिराग़' सुविधाओं और विकास का प्रतीक है। "दुष्यंत जी राजनीति पर व्यंग करते हुए कहते हैं कि राजनीति लोगों को बड़े-बड़े लुभाने सपने दिखाती है... आज स्थिति यह है कि शहरों में भी चिराग़ अर्थात् सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं, नेताओं की घोषणा कागज़ी है"। यह ग़ज़ल राजनीतिक व्यवस्था के थोथे आश्वासनों और जनता के साथ धोखे के उनके अनुभव का जीवन्त भावनात्मक दस्तावेज है, इसी तेवर से वे आम आदमी में लोकप्रिय हुए।
ग़ज़ल "मत कहो, आकाश में कुहरा घना है" सामाजिक यथार्थ की कड़वी सच्चाई को व्यंग्य के माध्यम से पेश करती है। कवि कहता है कि सड़क पर इतना कीचड़ है कि हर किसी का पाँव घुटनों तक सना है, लेकिन "पक्ष और’ प्रतिपक्ष संसद में मुखर हैं, बात इतनी है कि कोई पुल बना है"। यहाँ संसद में होने वाली खोखली बहस और जमीनी हकीकत (सड़कों की बदहाली) के बीच की विसंगति पर तीखा तंज है। वे आगे कहते हैं कि "रक्त वर्षों से नसों में खौलता है, आप कहते हैं क्षणिक उत्तेजना है" , यह समाज में जमी हुई पीड़ा और उसे हल्के में लेने की प्रवृत्ति पर चोट है। अंत में, "दोस्तो! अब मंच पर सुविधा नहीं है, आजकल नेपथ्य में संभावना है" पंक्ति सत्ता और अवसर के केन्द्रों से सामान्य जन के हटाए जाने की विडम्बना को दर्शाती है।
ग़ज़ल "वो आदमी नहीं है मुकम्मल बयान है" सत्ता के एक ऐसे कृत्रिम, दम्भी और खोखले प्रतिनिधि का चित्रण करती है, जो असलियत में कुछ नहीं है, बस एक 'बयान' मात्र है। उसके "झोले में कोई संविधान है" जैसी पंक्ति शासन के नाममात्र के औपचारिक ढाँचे और उसकी वास्तविक निरंकुशता के बीच के अन्तर को उजागर करती है। यह चित्रण उन तथाकथित 'विकास' और 'कानून' के ठेकेदारों की पोल खोलता है, जिनका असली चरित्र जनता से कोसों दूर है।
आज भी राजनेता अपने भाषणों में झोले से संविधान निकाल कर जन सभाओं में लहराते नजर आते हैं, और ये स्थिति दुष्यन्त को प्रासंगिक बनाए हुए है।
"कैसे मंज़र सामने आने लगे हैं" ग़ज़ल में समकालीन समाज में व्याप्त विसंगतियों का चित्रण है। "गाते गाते लोग चिल्लाने लगे हैं", "वो सलीबों के क़रीब आए तो हम को क़ायदे क़ानून समझाने लगे हैं" जैसी पंक्तियाँ धर्म और कानून के नाम पर होने वाले पाखण्ड पर प्रहार करती हैं। "अब नई तहज़ीब के पेश-ए-नज़र हम आदमी को भून कर खाने लगे हैं" , यह पंक्ति नवीन सभ्यता के नाम पर मनुष्यता के भक्षण (शोषण) की ओर संकेत करती है, जो आधुनिकता के नकली आवरण में छिपे बर्बरता भरे व्यवहार पर गहरा व्यंग्य है।
अब विद्रूप स्थिति तो ये हो रही है कि सचमुच तंदूर कांड , या बोटियां काटकर फ्रिज में रखने जैसी वीभत्स्व घटनाएं समाज में हो रही हैं, पर कोई दुष्यन्त कुछ वैसा लिख नहीं रहा, जैसा उस दुष्यन्त ने तात्कालिक परिस्थित पर लिख लिया।
दुष्यन्त कुमार के व्यंग्य की प्रभावोत्पादकता उनकी भाषा-शैली में निहित है। वे उर्दू-हिन्दी के मिश्रित, सहज लेकिन चुभते हुए शब्दों का प्रयोग करते हैं। उनकी भाषा में एक विशिष्ट 'बेचैनी' और 'बेलौस मस्ती' है, जो सामाजिक विसंगतियों को देखकर भीतर ही भीतर सुलगने वाले व्यक्ति की आग को दर्शाती है। वे प्रतीकों और विरोधाभासों का सटीक इस्तेमाल करते हैं, जैसे 'दरख़्तों के साये में धूप लगती है'। यह विरोधाभासी प्रतीक एक ऐसी व्यवस्था की ओर इशारा करता है, जो शरण तो देना चाहती है, लेकिन उसमें भी कष्ट ही है। इस तरह उनकी भाषा व्यंग्य को स्मरणीय और प्रभावशाली बना देती है।
दुष्यन्त कुमार की ग़ज़लों में व्यंग्य कोरी आलोचना या नकारात्मकता नहीं है, बल्कि यह एक रचनात्मक विरोध और सकारात्मक परिवर्तन का आह्वान है। उन्होंने ग़ज़ल की कोमल तान को समाज के कठोर यथार्थ और उसके प्रति तीखे प्रतिरोध की धार दी। राजनीतिक व्यवस्था की खोखली, सामाजिक विडम्बनाओं, जनता की जड़ता और नैतिक मूल्यों के क्षरण पर उनकी व्यंग्यदृष्टि ने हिन्दी ग़ज़ल को एक नया विस्तार और गरिमा प्रदान की। उनका काव्य-संसार इस बात का प्रमाण है कि साहित्य यदि जन-पक्षधर है, तो उसका व्यंग्य केवल विध्वंसक नहीं, बल्कि एक नई चेतना के निर्माण का सृजनात्मक औज़ार भी हो सकता है।
दुष्यन्त कुमार की ग़ज़लें आज भी प्रासंगिक हैं, क्योंकि उनमें चित्रित विसंगतियाँ और उन पर किया गया व्यंग्य समय के साथ और भी स्पष्ट होता गया है।
विवेक रंजन श्रीवास्तव
प्रबुद्ध व्यंग्यकार और समालोचक
( व्यंग्य कल आज और कल के लेखक
ranjitha
ఓయ్ నిన్నే ఈ ప్రపంచం యే ఒక రంగులమయం అని మర్చిపోకు...
గుడ్ మార్నింగ్ ఆల్..
- ranjitha
Bitu
आपके गुस्से पर मेरी
नाराजगी नाजायज
तो नहीं है,
जनाब माना हु गलत मैं
पर आपकी हर बात हर बार
जायज हो जरूरी तो नहीं हैं....
- Bitu....
Gohil Takhubha ,,Shiv,,
ઉમા કહું મેં અનુભવ અપના, સત હરી ભજન જગત સબ સપનાં
🙏🏻ભગવાન મહાદેવ 🙏🏻
- Gohil Takhubha ,,Shiv,,
amani reddy
నాకు రావాల్సింది ఆలస్యంగా అయిన నాకే వస్తుంది.
ఈ లోపు వచ్చే దానితో అడ్జెస్ట్ అవ్వను..😒
Kirti kashyap
"हर ख़ुशी उधार सी"
हर ख़ुशी उधार-सी, हर ग़म हमारा हो गया,
हर लफ़्ज़ आईना, हर रिश्ता किनारा हो गया।
तमाम उम्र गुज़र गई गिरहें सुलझाने में,
मगर ज़िंदगी की भीड़ में फिर भी गुज़ारा हो गया।
न किसी से तवज्जो की चाह, न शफ़कत की तलब,
ख़ल्वतों को ओढ़ लेना अब गवारा हो गया।
आँखों की ख़ामोशी भी अब सवाल लिखने लगी,
हर बहता अश्क़ मानो टूटा सितारा हो गया।
हर बात लबों तक लाना मुमकिन नहीं “कीर्ति”,
अब ग़ज़लें ही दिल के ज़ख़्मों का सहारा हो गया।
Kirti Kashyap"एक शायरा"✍️
Kaushik dave
चाँद ने ओढ़ ली है चुप्पी की चादर,
सितारे भी अब धीमे-धीमे सो रहे हैं।
आज की हर थकान, हर शिकायत को
नींद के हवाले कर दो…
कल फिर हौसलों की सुबह होगी,
फिर सपनों की एक नई कहानी होगी।
इस रात बस इतना याद रखना—
तुम थके हो, हारे नहीं।
Good Night 🌙
— Kaushik Dave
Kaushik dave
दिन भर की थकान को तकिये पर रख दो,
बीते लम्हों की उलझनों को खामोशी में छोड़ दो।
जो मिला उसके लिए शुक्रिया कहो,
जो नहीं मिला उसके लिए सब्र रखो।
क्योंकि हर रात
एक नई सुबह का वादा लेकर आती है…
शुभ रात्रि 🌙✨
— Kaushik Dave
Bhavna Bhatt
રેખાજી તો રેખાજી છે
Ajay
Ki vo khaamosh reh Kar bhi baat krti hai mujhse ki vo khaamosh reh Kar bhi baat krti hai mujhse... ye mujhse shabdo main baat krle inki itni aukaat or Jo ladkiya samajh rhi hai khudhko hoor ki Pari inhe baaju Karo.....uski barabri Karna inke bass ki baat nhi
pink lotus
"Jb naseeb me sangharsh likha jata he,
Tb ishq apne aap khudko mita leta he."
by:pinklotus🌸❣️
Nilesh Rajput
प्यार का मतलब निकालोगे तो,
प्यार सिर्फ मतलब के लिए ही करोगे।
Gohil Takhubha ,,Shiv,,
coming soon new novel
Gohil Takhubha ,,Shiv,,
દરદ જે હોય છે દિલમાં,આવીને બહાર બોલો છે
રહે જો મૌન આંખો તો,અશ્રુધાર બોલે છે... દરદ જે
kattupaya s
Goodnight friends my novel yadhumatra peruveli part 18 will be published on 31/12/25 @11am.Wish you all a very happy New year 2026 in advance. Thanks
Urvisha Vegda
तूने मेरे आंसू नहीं देखे थे,
पर तेरी बर्बादी में पूरे शोख से देखूंगी।
- Urvisha Vegda
Urvisha Vegda
इरादे इतने नेक रहे,
कि मेरे माधव मेरे महादेव रहे।
- Urvisha Vegda
Urvisha Vegda
સામે શકુની હોય
તો કૃષ્ણની રણનીતિ સાથે મેદાનમાં ઉતરવું પડે.
- Urvisha Vegda
.
Urvisha Vegda
घर तेरा भी तबाह होगा, तूने मेरा दिल उजाड़ा था,
याद रखना
राधा रोई थी, इसीलिए कृष्ण ने द्वारिका खोई थी।
- Urvisha Vegda
।
Urvisha Vegda
એ તારો ભગવાન હોય તો શું થયું,
તારો માધવ મારું પણ સાંભળે છે.....
- Urvisha Vegda
Rutvik
"વાત કહી તો જુઓ,
સાંભળી ને સંભાળી લઈશ
યાદ કરી તો જુઓ
દિલ ને ફરી હંફાવી દઈશ
નજર ચૂકવી ગયા બહાનાથી,
આ કોર જોઈ તો જુઓ
શરમાવી દઈશ ઈશારાથી. "
Jyoti Gupta
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Rajeev Namdeo Rana lidhori
https://youtu.be/gthHEnMRRvU?si=tEFw_QzQHb-ZP5Nz
*#राजघाट_डेम* में # *सूर्यास्त का बेहतरीन नजारा* देखिए
*#राजीव_नामदेव_राना_लिधौरी*
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amani reddy
నేను అంటే నాకు ఇష్టం😁
ఎందుకంటే నేను ఎవ్వరిని పట్టించుకోను 🤟 కాబట్టి
good evening
kajal jha
वो एक नज़र जो ठहर जाए दिल पर,
तो धड़कन भी सवाल करने लगती है…
क्या ये बस एहसास है,
या फिर मोहब्बत चुपचाप दस्तक देने लगी है।
- kajal jha
Sita
అద్దం మనకి మనం ఎలా ఉన్నామో చూపిస్తుంది. అలాగే మనలో ఉన్న లోపాలు కనిపించాలి అంటే ఆత్మ పరిశీలన అనే అద్దం లో చూసుకుంటే తెలుస్తుంది అంట. కానీ చూసుకోము, మన లోపాలు తెలిస్తే మనకి మనం నచ్చం అనే భయం తో.
Nilesh Rajput
बेवफ़ा से तुम अब बेशरम बनी हो,
यूँ मेरी ही शायरी सुना कर वाह-वाह लुटाती हो।
जिन लफ़्ज़ों में मैंने ख़ुद को तबाह कर लिया था,
उन्हीं ज़ख़्मों को खुरेद कर अब महफ़िलें सजाती हो।
Neha kariyaal
नया साल आने वाला है...
और मैं ये नहीं बोलूंगी कि तुम ये करना, ये मत करना या फिर तुम्हारा आने वाला समय खुशियों से भरा हो।
मैं झूठी आशाएं किसी को नहीं दूंगी,
मैं बस यही कहती हूं - कि इस बार तुम अपने आप से मिलना, अपने लिए खुश होना, वो सब करना जो तुम करना चाहते हो, अपने आप को समझना... तुम वही हो जिसे तुम्हें प्यार करना चाहिए।
अपनी भावनाओं को छुपाना नहीं उनसे खुद को उभारना है।
तुम्हें कुछ ज्यादा नहीं करना- बस अपने आप से खुश हो कर मिलना।
आने वाला समय अपने आप खुशियों से भर जायेगा। 💜💫
LOVE YOURSELF 🤗
Shraddha Panchal
थोड़ा धीरे चलो ना “ज़िन्दगी”,
अभी तो कई उधर चुकाना बाक़ी है,
कई जिम्मेदारिया पूरी करनी है,
कुछ दर्द मिटाना बाक़ी है,
तेरे साथ तेरी दौड़ में दौड़ने से,
कई लोग नाराज़ हुए है,
और कुछ तो पीछे ही छूठ गए है,
कितनो को मनाना बाक़ी है,
कोई रो रहा है उनको हसना बाक़ी है,
कुछ रिश्ते बने हुए टूट गए,
कुछ बनते बनते टूट गए ,
वही टूटे रिश्तों की खरोच में दवाइया भरनी है,
कुछ ऐसे काम भी है जो बहुत ज़रूरी है,
मेरी इस दुनिया की सबसे जरूरी
और उलझी हुई कविता को
पूरी तरह सुलझा ना बाकी है,
फिर सोचा जब साँसो को थम ही जाना है एक बार,
तो फिर क्या पाना ,और क्या खोना है,
पर इस दिल और दिमाग़ में बैठे छोटे से बच्चे को यह
बताना बाक़ी है,
थोड़ा धीरे से चल ए “ज़िन्दगी”
थोड़ा धीरे से चल ,
अभी कुछ जिम्मेदारिया निभानी बाक़ी है,🙏❤️
ek archana arpan tane
કોઈ કયારેય તમારા પર કાદવ ઉછાળે તો ચિંતા ન કરવી કેમ કે જેની પાસે જે હોય તે જ આપે ને?
- ek archana arpan tane
Sonu Kumar
ताइवान क्यों तरक्की कर रहा है और भारत क्यों पीछे है?
कारण देश नहीं, नागरिक अधिकार हैं
आज जब हम ताइवान जैसे छोटे से देश को देखते हैं, तो सवाल उठता है कि ना उसके पास अधिक तेल है, ना अधिक लोहे की खान है, ना बड़ी जमीन है, ना विशाल सेना है —
फिर भी वह तकनीक, उद्योग, शिक्षा और लोकतंत्र में आगे कैसे है?
.
इसका जवाब बहुत सीधा है:
क्योंकि ताइवान के नागरिकों के हाथ में असली कानूनी ताकत है। नीचे ताइवान और भारत के नागरिक अधिकारों की तुलना समझिए।
1. राइट टू रिकॉल (नेता को हटाने का अधिकार)
ताइवान में अगर कोई राष्ट्रपति, सांसद, विधायक, मेयर या जनप्रतिनिधि भ्रष्टाचार करता है, काम नहीं करता या जनता के खिलाफ जाता है, तो जनता उसके अगले चुनाव का इंतजार नहीं करती।
वह:
हस्ताक्षर इकट्ठा करती है, रिकॉल वोट कराती है
और उसी कार्यकाल में नेता को हटा देती है
इसके बाद जनता नया चुनाव कराकर नया प्रतिनिधि चुनती है।
भारत में:
5 साल तक नेता चाहे कुछ भी करे
जनता उसे हटा नहीं सकती है, जनता केवल दर्शक बनी रहती है, जहाँ जनता मालिक होती है, वहाँ नेता डरते हैं।
जहाँ जनता बेबस होती है, वहाँ नेता बेलगाम हो जाते हैं।
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2. रेफरेंडम (जनता द्वारा कानून तय करने का अधिकार)
ताइवान में:
जनता किसी कानून, नीति या सरकारी फैसले से असहमत हो
तो हस्ताक्षर जुटाकर पूरे देश में जनमत संग्रह (Referendum) करा सकती है
सरकार उस फैसले को मानने के लिए बाध्य होती है।
भारत में:
कानून जनता नहीं बनाती है, जनता से कभी नहीं पूछा जाता
संसद जो चाहे, वही कानून बनता है।
ताइवान में कानून जनता के लिए हैं,
भारत में जनता कानूनों के लिए है।
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3. जूरी सिस्टम जैसा नागरिक न्याय (Lay Judge System) ताइवान में गंभीर आपराधिक मामलों में:
केवल जज ही नहीं
बल्कि आम नागरिक भी अदालत में बैठकर फैसला करते हैं
यानी न्याय व्यवस्था सिर्फ जजों की नहीं, जनता की भागीदारी वाली है।
भारत में:
न्याय पूरी तरह जजों के हाथ में होता है, आम नागरिक की कोई भागीदारी नहीं, इसलिए न्याय आम आदमी से दूर होता चला गया है।
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4. बैलेट पेपर से चुनाव (Paper Ballot Elections)
ताइवान में:
आज भी कागज के बैलेट पेपर से मतदान होता है, वोट की गिनती सबके सामने हाथ से होती है, कोई EVM नहीं, कोई EVM मशीन आधारित रहस्य नहीं
भारत में:
EVM आधारित चुनाव, सीमित जांच, जनता के मन में लगातार अविश्वास।
जिस लोकतंत्र पर भरोसा न हो, वह लोकतंत्र कमजोर होता है।
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5. नतीजा क्या निकला?
ताइवान में:
नेता जवाबदेह हैं, सिस्टम पारदर्शी है, जनता सशक्त है
इसलिए देश आगे बढ़ रहा है।
भारत में:
नेता सुरक्षित हैं, जनता असहाय है
सिस्टम केवल प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, जज, और जिले के सरकारी अधिकारियों के पास है!!
इसलिए समस्याएं बढ़ती जा रही हैं।
गरीबी, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, अपराध — ये किसी देश की किस्मत नहीं होते, ये खराब कानूनों का परिणाम होते हैं।
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6. अब सवाल यह है: भारत में यह अधिकार क्यों नहीं?
क्योंकि:
जनता को कभी बताया ही नहीं गया!!
कि, कानून लागू किया जा सकता है।
कि, कानून जनता के दबाव से बनते हैं।
कि, जनआंदोलन से अधिकार छीने जाते हैं।
ताइवान ने यह अधिकार भीख में नहीं पाए, उन्होंने जन आंदोलन से हासिल किए!!
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7. भारत को भी यही रास्ता अपनाना होगा
अगर हम चाहते हैं:
नेता ईमानदार हों, सस्ता और तेज न्याय हों, पारदर्शी चुनाव हों, और सशक्त नागरिक हों।
तो हमें भी:
वोट वापसी पासबुक कानून।
रेफरेंडम कानून।
जूरी कोर्ट कानून।
बैलेट पेपर चुनाव कानून, जैसे कानूनों को लागू करवाने के लिए संगठित होना पड़ेगा।
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8. यह लड़ाई किसी पार्टी की नहीं, नागरिक अधिकारों की है
यह आंदोलन:
सरकार बदलने के लिए नहीं है, बल्कि सिस्टम बदलने के लिए है।
अगर आप भी चाहते हैं कि:
भारत में नागरिक मालिक बनें
नेता नौकर हों और कानून जनता के हाथ में हों।
तो इस विचार को आगे बढ़ाइए,
लोगों को कानूनों की जानकारी दीजिए।
और हमारे इस नागरिक अधिकार जनआंदोलन से जुड़िए।
देश बदलता है जब कानून बदलते हैं,
और कानून बदलते हैं जब नागरिक अच्छे कानूनों की मांग करते हैं।
________
हमारे आंदोलन से जुड़ने के लिए संपर्क करें:
88106-40928
RRPindia.in , EvmHatao.co
Miska
Biology is a living example that humans and other organisms exist in countless forms
महेश रौतेला
मरना बुरी बात नहीं
शोक की बात है,
मनुष्य जो मर गया
उसमें भगवान था।
पेड़ जो सूख गया
उसमें कभी प्राण था,
संग-संग जिया गया
वह पावन परिवार था।
टूट के संग भी
निकट का जुड़ाव था,
रोग जो हुआ था
उसका भी निदान था।
अस्तव्यस्त राह में
मिलन सुकुमार था,
गीत के पास में
स्वरों का संसार था।
मरना एक विराम है
प्रकृति में अनिवार्य है,
जो सांस में आया-गया
उसके निकट भगवान है।
***
** महेश रौतेला
Saroj Prajapati
बीत गया एक और दिन जिंदगी की जद्दोजहद में
खुद से मिलने की फुर्सत आज फिर ना मिल सकी।।
सरोज प्रजापति ✍️
- Saroj Prajapati
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